Chhattisgarh Election Results: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है. प्रदेश की 90 सीटों पर हुए मतदान के रुझान आ चुके हैं. एग्जिट पोल की सभी भविष्यवाणियों को गलत साबित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बहुमत के साथ प्रदेश में सरकार बनाती दिख रही है. इससे पहले सभी बड़े एग्जिट पोल में सूबे में काका यानी भूपेश बघेल की सरकार बनने की भविष्यवाणी की गई थी, जो कि रुझानों में गलत साबित हुई है.
चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी 46 फीसदी वोटों के साथ बढ़त बनाए हुए है. वहीं कांग्रेस करीब 42 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर है. बीएसपी को 2.47 और JCC को 1.32 फीसदी वोट मिले हैं. चुनाव में ताल ठोक रही आम आदमी पार्टी (AAP) को 1 फीसदी से भी कम वोट मिले हैं.
आइए समझने की कोशिश करते हैं कि किन वजहों से कांग्रेस को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस की हार के 5 बड़े कारण
1. भ्रष्टाचार का मुद्दा: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भरोसे की सरकार का नारा दिया और इसी थीम पर प्रचार को केंद्रित भी रखा. लेकिन बीजेपी ने इसकी काट के रूप में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया. महादेव बेटिंग ऐप घोटाला मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम आने के बाद बीजेपी ने इस मुद्दे को खूब हवा दी. चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर बीजेपी के अन्य नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर सीएम बघेल पर जमकर निशाना साधा. वहीं कांग्रेस इस मुद्दे का काट नहीं ढूंढ पाई, जिससे उसे चुनावों में साफ नुकसान होता दिख रहा है.
इसके साथ ही कोयला परिवहन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी हो या फिर 2000 करोड़ का कथित शराब घोटाला. चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के कई दाग लगे.
2. किसानों का मुद्दा नहीं चला: किसानों का मुद्दा कांग्रेस के लिए ट्रंपकार्ड माना जा रहा था. पार्टी एक बार किसानों के मुद्दे पर चुनाव में उतरी थी. कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने पर धान खरीद दर बढ़ाकर 3200 रुपये प्रति क्विंटल करने और कृषि ऋण माफ करने का भी वादा किया, लेकिन उसका ये दांव नहीं चल सका. 2018 विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए ये मुद्दा काम कर गया था, लेकिन इस बार 'मोदी की गारंटी' के सामने ये फेल साबित हुआ है.
वहीं बीजेपी ने 3100 रुपये के दर से धान खरीदने का वादा किया है. इसके साथ ही 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी की भी घोषणा की है.
3. महिलाओं के मुद्दे पर कांग्रेस फेल: भारतीय जनता पार्टी के महतारी वंदन योजना से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. बीजेपी ने महतारी वंदन योजना के तहत विवाहित महिला को 12,000 की वार्षिक वित्तीय सहायता और रानी दुर्गावती योजना के तहत BPL बालिकाओं के जन्म पर 1,50,000 का आश्वासन प्रमाण पत्र देने का वादा किया है. कांग्रेस इसका काट नहीं ढूंढ पाई, जिससे उसे चुनाव में नुकसान हुआ है.
मध्य प्रदेश की लाडली बहना योजना की तर्ज पर बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में भी महिला वोटर्स को रिझाने का काम किया. जिसका फायदा उसे चुनाव में होता दिख रहा है. चुनाव से पहले बीजेपी ने दावा किया था कि उसने महतारी वंदन योजना के लिए 50 लाख से ज्यादा फॉर्म भरवाए हैं.
4. आदिवासी Vs ईसाई: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में पिछले साल हुए विवाद का असर विधानसभा चुनावों में साफ देखने को मिला है. 'आदिवासी बनाम परिवर्तित ईसाई' के मुद्दे पर कांग्रेस को बस्तर संभाग में झटका लगा है. बस्तर एक आदिवासी बाहुल्य इलाका. इस संभाग में 12 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से 11 सीटें ST के लिए रिजर्व हैं, तो वहीं एक जनरल सीट है. रुझानों के मुताबिक बीजेपी बस्तर संभाग के ज्यादातर सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. बता दें कि अभी सभी 12 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.
बता दें कि दिसंबर 2022 में ईसाई और आदिवासी खासकर हिंदू संगठनों के बीच हिंसात्मक विवाद हुआ था. इसके बाद कई चर्चों पर हमले हुए थे. कई गांव जहां आदिवासी आबादी ईसाई बनने वालों से ज्यादा थी वहां ऐसे मामले सामने आए थे. इस विवाद का असर अनंतगढ़, कोंडागांव और चित्रोकट पर भी पड़ा था.
चुनाव से पहले बीजेपी लगातार धर्मांतरण के मुद्दे को उठाती रही और विरोध प्रदर्शन करती रही. बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस सरकार के संरक्षण में खुलेआम धर्मांतरण हो रहा है. वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर ज्यादा खुलकर नहीं आई और न्यूट्रल रही.
5. हिंदुत्व कार्ड: बीजेपी के चुनाव में हिंदुत्व कार्ड भी खेला. पार्टी ने साजा सीट से ईश्वर साहू (Ishwar Sahu) को प्रत्याशी बनाया. ईश्वर साहू 21 वर्षीय भुवनेश्वर साहू के पिता हैं, जिसकी हत्या 8 अप्रैल 2023 को बिरनपुर में कर दी गई थी. बाद में ये मामला धार्मिक विवाद में बदल गया. धार्मिक हिंसा भी हुई. ईश्वर साहू गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं, बावजूद इसके बीजेपी ने उन्हें चुनावी मैदान में उतारा.
वहीं कवर्धा से कांग्रेस के मोहम्मद अकबर विधायक हैं और कांग्रेस सरकार के दौरान कवर्धा में कथित भगवा झंडा लगाने का मामला गरमाया था. जिसमें विजय शर्मा को आरोपी बनाया गया. बीजेपी ने उन्हें यहां से चुनाव में मैदान में उतारा है.
टिकट बंटवारे से ही साफ हो गया था कि बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर खेल रही है. वहीं कांग्रेस अपने सॉफ्ट हिंदुत्व पर टिकी रही है. जिससे उससे नुकसान हुआ है.
इसके साथ ही बीजेपी छत्तीसगढ़ में रामलला दर्शन योजना लागू करने का वादा कर हिंदू वोटर्स को भी रिझाने में कामयाब रही.
6. भूपेश बघेल पर भारी पड़े पीएम मोदी: कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के चेहरे पर चुनाव लड़ा था. वहीं बीजेपी ने रमन सिंह को साइड लाइन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया, जो उसके फेवर में जाता दिख रहा है.
छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए पीएम मोदी ने चार चुनावी रैलियां की थीं. पीएम मोदी ने अपनी पहली ही रैली में कहा था कि मैं बीजेपी सरकार के शपथ ग्रहण के लिए निमंत्रण देने आया हूं. इसके साथ ही पीएम ने कहा था कि मैं पहली ही रैली से समझ गया था कि राज्य में बीजेपी की बंपर जीत होने वाली है.
दूसरी तरफ कांग्रेस ने 'भरोसे का घोषणा पत्र' जारी किया तो बीजेपी ने 'मोदी की गारंटी' नाम से चुनावी वादे किए, पार्टी को इसका भी फायदा होता दिख रहा है.
बता दें कि चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस सहित अन्य दलों और निर्दलीय मिलाकर 1181 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है. पहले चरण में 223 प्रत्याशियों में 198 पुरुष और 25 महिलाएं हैं. वहीं दूसरे चरण में 958 उम्मीदवारों में 827 पुरुष और 130 महिलाएं चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी ने इस बार 15 और कांग्रेस से 18 महिलाओं को टिकट दिए हैं.
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