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दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बीजेपी प्रदेश संगठन में बड़ा फेरदबल करने की तैयारी में है. बीजेपी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं संगठन के अन्य पदाधिकारियों को हटाने की भी तैयारी में है. चुनाव नतीजे आने के बाद मंगलवार को अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मनोज तिवारी ने भी हार की जिम्मेदारी ले ली है.
हालांकि तिवारी ने अपने अगले कदम के बारे में कुछ नहीं बताया है, मगर सूत्र बता रहे हैं कि वह अगले कुछ दिनों में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस्तीफे की पेशकश कर सकते हैं, जिसके बाद पार्टी दिल्ली में संगठन चुनाव कराकर नया प्रदेश अध्यक्ष चुनेगी. बीजेपी की केंद्रीय टीम से जुड़े एक नेता ने कहा,
समाजवादी पार्टी के टिकट पर कभी गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ चुके मनोज तिवारी ने साल 2013 में भगवा कैंप का रुख किया तो कम समय में सबसे ज्यादा सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में कामयाब रहे. तीन साल में ही उन्हें वो सब कुछ मिल गया, जिसकी हर नेता को तलाश होती है.
पहले 2014 में पार्टी ने उत्तरी-पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का टिकट दिया तो मोदी लहर में सांसद बने और फिर 2016 में ही पूर्वांचलियों का वोट बैंक साधने के चक्कर में पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पूरा राज्य संगठन उनके हवाले कर दिया. पार्टी में महज तीन साल पुराने मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के फैसले से दिल्ली के कई स्थानीय नेता खफा भी रहे. यही वजह रही कि दिल्ली यूनिट में रह-रहकर यह नाराजगी सार्वजनिक भी हुई. कभी मनोज तिवारी और विजय गोयल में तकरार की खबरें आईं और कभी रमेश विधूड़ी और अन्य नेताओं से.
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि मनोज तिवारी के कार्यकाल में एमसीडी और लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जरूर शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की, मगर उसमें उनके चेहरे का कोई खास योगदान नहीं रहा. बीजेपी के एक नेता के मुताबिक लोकसभा चुनाव में मोदी के चेहरे पर जनता ने वोट दिया और एमसीडी तो बीजेपी का हमेशा से गढ़ रहा है.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "दिल्ली में चाल, ढाल और रणनीति बनाने में माहिर और बौद्धिक रूप से मजबूत एक नेता तैयार करना शीर्ष नेतृत्व के लिए चुनौती है. अगर बीजेपी दिल्ली में केजरीवाल के कद का कोई नेता नहीं खड़ा कर पाई तो फिर पांच साल बाद भी यही हश्र होगा."
(इनपुट: IANS)
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