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धर्मेंद्र ने कहा है कि अगर उन्हें पता होता कि गुरदासपुर में बलराम जाखड़ के बेटे चुनाव लड़ने के लिए उतरे हैं तो शायद वह सनी को यहां से लड़ने नहीं देते. बलराम जाखड़ उनके गहरे दोस्त थे. एक बार उन्हें बलराम जाखड़ के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऑफर मिला था लेकिन उन्होंने मना कर दिया था.
इसके बाद वह बीकानेर से लड़े और उन्हें इसमें जीत मिली थी. धर्मेंद्र ने कहा कि किस्मत हमें गुरदासपुर ले आई है. मुझे यहां आकर पता चला कि सनी बलराम जाखड़ के बेटे के खिलाफ चुनाव मैदान में है. अगर मुझे पहले पता चलता तो मैं सनी को उनके खिलाफ नहीं लड़ने देता. अब हम चुनाव मैदान में उतर चुके हैं तो कुछ भी बदला नहीं जा सकता.
उन्होंने कहा कि उन्हें तो पहले सांसद और विधायक में भी अंतर पता नहीं था. बलराम जाखड़ ने ही उन्हें राजनीति का शुरुआती ज्ञान दिया. धर्मेंद्र ने कहा कि उन्होंने राजस्थान में बलराम जाखड़ के लिए प्रचार किया था. बहरहाल गुरदासपुर में हम जो वादा करेंगे वो पूरा करेंगे.
धर्मेंद्र ने कहा, बहरहाल गुरदासपुर में हम जो वादा करेंगे वो पूरा करेंगे. इस बीच, बलराम जाखड़ के बेटे और कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील जाखड़ ने उन्हें स्थानीय मुद्दों पर बहस की चुनौती दी है. इस पर धर्मेंद्र ने कहा कि सनी डिबेट नहीं कर सकता.
उन्होंंने कहा, मैंने सनी को समझाया कि राजनीति बेहद मुश्किल चीज है. और दूसरी बात ये कि हम यहां डिबेट नहीं करने आए हैं. लोगों की समस्याएं सुनने आए हैं. धर्मेंद्र ने कहा कि अब पीछे हटने का सवाल पैदा नहीं होता. हम मैदान में उतरे हैं तो जरूर लड़ेंगे.
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