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क्या चुनाव लड़ रहे नेताओं को चुनाव आयोग से डर लगता है? क्या उन्हें इस बात का अहसास रहता है कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कुछ गलत किया तो सजा भुगतनी होगी? इन सवालों का औचित्य समझ में आ जाएगा जब लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार कर रहे कुछ नेताओं के बयान देखेंगे.
सोमवार को चुनाव आयोग ने बीएसपी चीफ मायावती, यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी, एसपी नेता आजम खान और बीजेपी की नेता मेनका गांधी को चुनाव प्रचार करने से मना कर दिया. इन सब पर दो से तीन दिन तक चुनाव प्रचार से दूर रहने को कहा गया है. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये एक्शन काफी है? इस आदेश के आने के बाद मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर ढेर सारे आरोप लगा दिए.
माया,योगी, मेनका और आजम पर चुनाव आयोग का एक्शन भी तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा -’क्या वाकई आपके पास ताकत नहीं है? चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा - हम आपके अधिकारों को रिव्यू करेंगे और मुख्य चुनाव आयुक्त को कोर्ट में बुलाएंगे.’ कोर्ट ने आयोग से जो पूछा है कि दरअसल वो काफी अहम है. सच्चाई ये है कि चुनाव आयोग के पास पर्याप्त अधिकार हैं. हम आपको मोहिंदर सिंह गिल बनाम चुनाव आयोग केस में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी दिखाते हैं -
संविधान के आर्टिकल 324 में चुनाव आयोग को पूरे अधिकार दिए गए हैं. चुनाव आयोग अगर चाह ले तो कोई भी नेता रास्ते से भटक नहीं सकता. भारतीय लोकतंत्र में इसके उदाहरण भी मिलते हैं. जब टीएन शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे तो उन्होंने बिहार में बेहद ताकतवर नेता लालू प्रसाद यादव को पानी पिला दिया था. 1995 के बिहार विधानसभा चुनावों के समय उन्होंने मतदान की तारीखों में चार बार बदलाव किए. लालू रैलियों से लेकर मुख्य चुनाव अधिकारी के दफ्तर तक शिकायतें करते रह गए लेकिन टीएन शेषन टस से मस नहीं हुए.
मोहिंदर सिंह गिल बनाम चुनाव आयोग के केस में ही सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 324 के तहत मिले चुनाव आयोग सीमाओं से परे बताया था. कुल मिलाकर निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव हों, ये हमारे लोकतंत्र की बुनियाद हैं और लोकतंत्र की इस बुनियादी जरूरत की गारंटी देने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है. लेकिन इस बार चुनाव प्रचार के दौरान जो सब हो रहा है उससे इसकी गारंटी शायद ही मिलती है.
मोदी बायोपिक की रिलीज पर रोक का निर्देश जारी करते हुए चुनाव आयोग ने खुद मोहिंदर सिंह गिल बनाम चुनाव आयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का उल्लेख किया है - ‘संविधान बनाने वालों ने चुनाव आयोग को अपने अधिकार इस्तेमाल करने के पूरे हक दिए हैं. ऐसी परिस्थितियों में जहां कानून खामोश है वहां मुख्य चुनाव आयुक्त हाथ बांधे नहीं रह सकते. वो भगवान से अपना कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरणा देने के लिए प्रार्थना नहीं कर सकते, या किसी और से शक्तियां नहीं मांग सकते. कर्तव्य के साथ अधिकार भी मिलते हैं ताकि आप अपना दायित्व ठीक से निभा सकें.’ सवाल है कि चुनाव आयोग अपने इन अधिकारों का इस्तेमाल कब करेगा. लोकसभा चुनाव 2019 से बेहतर मौका और क्या हो सकता है?
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की राह में गाठें बढ़ती जा रही हैं. कांग्रेस चाहती है गठबंधन सिर्फ दिल्ली के लिए हो, लेकिन आम आदमी पार्टी बाकी राज्यों में भी सीट शेयरिंग पर अड़ी है. यहीं मामला फंसा है. अब तक दूसरे-तीसरे क्रम के नेता बयान दे रहे थे लेकिन अब टॉप लीडरशिप उलझ गई है. सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद इस मामले पर ट्वीट किया.
कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से इस तीखे बयान के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने जवाब दिया-
जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की गुंजाइश कम होती जा रही है. दोस्ती से पहले हो रहे इस झगड़े से जितने दुखी इन दोनों पार्टियों के नेता नहीं हो रहे, उससे ज्यादा खुश बीजेपी का डर हो रहा है. कांग्रेस-AAP का बढ़ता झगड़ा खासकर दिल्ली में बीजेपी का संकट घटाता जा रहा है.
सोमवार को बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की 21वीं लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में दो नामों पर चर्चा जरूरी है. बीजेपी ने गोरखपुर से भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन को टिकट दिया है. साथ ही संतकबीर नगर से प्रवीण निषाद को चुनाव मैदान में उतारा है.ताज्जुब ये है कि जो आदित्यनाथ योगी देश भर में घूम-घूमकर बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं, उनके अपने गढ़ में बीजेपी को चुनाव जीतने के लिए पापड़ बेलने पड़ रहे हैं. अपने किले को बचाने के लिए योगी हर जुगत लगा रहे हैं. बीजेपी ने गोरखपुर सीट पर हुए उपचुनाव में उपेन्द्र दत्त शुक्ला को चुनाव मैदान में उतारा था, हालांकि उन्हें गठबंधन के उम्मीदवार प्रवीण निषाद से शिकस्त मिली थी.
प्रवीण को साथ मिलाकर पार्टी ने गोरखपुर के करीब 3.5 लाख निषाद वोटरों पर निशाना साधा तो ब्राह्मण रवि किशन को उतारकर 2 लाख ब्राह्मण वोट मैनेज करने की कोशिश की है. पार्टी को ये उम्मीद भी होगी कि रवि किशन का स्टार पावर भी उसके काम आएगा. गोरखपुर को लेकर योगी का डर पूरे राज्य में उनके काम और उसपर जनता के रुख की ओर इशारा करता है.
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Published: 15 Apr 2019,09:09 PM IST