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चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में नेताओं ने हर चुनावी पैंतरा आजमाने की कोशिश शुरू कर दी है. साम, दाम, दंड, भेद किसी भी तरीके से वोट पाने की चाहत है. लेकिन कभी-कभी चुनाव आयोग ऐसे नेताओं का मजा खराब कर देता है. फिर चाहे वो पीएम हो या सीएम आचार संहिता का उल्लंघन करना उन्हें भारी पड़ सकता है. हाल ही में खुद पीएम मोदी भी इसी जांच के दायरे में आए. इसके अलावा उनकी बायोपिक पर भी आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप लगे.
लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान होते ही पूरे देश में आचार संहिता लागू हो गई थी. लेकिन तारीखों के ऐलान के बाद कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें आचार संहिता का उल्लंघन हुआ. जानिए आचार संहिता तोड़ने के कुछ ऐसे मामले-
पीएम मोदी ने 27 मार्च को अचानक एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, मेरे प्यारे देशवासियों मैं आप लोगों के सामने एक अहम संदेश लेकर आने वाला हूं. आचार संहिता के लागू रहते ऐसे ऐलान के बाद कयास लगाए जाने लगे. ज्यादातर लोगों ने कहा कि देश की सुरक्षा को लेकर कोई बड़ा ऐलान हो रहा है. लेकिन पीएम ने सामने आकर बताया कि हमने एंटी सैटेलाइट मिसाइल तैयार कर ली है. जिसने तीन मिनट में एक जिंदा सैटेलाइट को मार गिराया है. इसे मिशन शक्ति नाम दिया गया.
पीएम मोदी पर बन रही बायोपिक को लेकर भी चुनाव आयोग कुछ बड़ा एक्शन ले सकता है. पीएम की बायोपिक चुनाव से ठीक पहले 5 अप्रैल को रिलीज होने जा रही है. चुनाव आयोग का मानना है कि फिल्म से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हो सकता है. इसीलिए आयोग ने फिल्म के निर्माताओं को नोटिस जारी किया है. इसके अलावा चुनाव आयोग ने दो अखबारों को भी नोटिस जारी किया है, जिन्होंने इस फिल्म के पोस्टर को अखबार में पब्लिश किया.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को भी चुनाव आयोग का नोटिस मिला है. राजीव कुमार सरकारी पद पर रहते हुए एक पॉलिटिकल बयान देकर फंस गए. राहुल गांधी ने जैसे ही न्यूनतम आय योजना (न्याय) की घोषणा की तो राजीव कुमार सबसे पहले रिएक्शन देने कूद पड़े. उन्होंने इस योजना को नुकसानदायक बताया था. जिसके बाद विपक्षी दलों ने उनकी शिकायत आयोग में की थी.
आचार संहिता के उल्लंघन के हर चुनाव में कई मामले आते हैं. लेकिन काफी कम ऐसा देखा गया है कि किसी को इसके लिए कड़ी सजा मिली हो. यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. 2013 में इसके लिए एक स्टैंडिंग कमेटी बनाई गई थी, जिसने कहा था कि इसे कानून के दायरे में आना चाहिए. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. आर्टिकल 324 ही चुनाव आयोग को ताकत देता है. इसके अलावा कई मामलों में दूसरे कानूनों का इस्तेमाल कर आईपीसी के तहत सजा भी दी जा सकती है.
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