Gujarat Election में क्यों बिजी हैं राजस्थान के नेता? 43 ‘कारण’ हैं

Gujarat Assembly Election: कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने अपने राजस्थान के नेताओं को मैदान में कुदाया है.

उपेंद्र कुमार & पंकज सोनी
गुजरात चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>Gujarat Election 2022: गुजरात के चुनावी समर में राजस्थान के नेता की मांग क्यों?</p></div>
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Gujarat Election 2022: गुजरात के चुनावी समर में राजस्थान के नेता की मांग क्यों?

फोटोः उपेंद्र कुमार/क्विंट हिंदी

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गुजरात में विधानसभा के चुनावी बिगुल के बीच अपने पक्ष में प्रचार करने के लिए पार्टियां दूसरे राज्यों से नेताओं की लैंडिंग करा रही हैं. बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने राजस्थान के नेताओं को गुजरात के चुनावी समर में उतार दिया है. इसके पीछे की वजह राजस्थान का गुजरात से सटे होना और राजनीतिक रूप से भी प्रभावी होना है. क्योंकि, राजस्थान और गुजरात के कई जिले आपस में सटे हुए हैं, जहां की जनता का एक दूसरे से रोटी-बेटी का नाता है, जिसका दोनों राज्यों के चुनावों में भी खासा असर देखने को मिलता है.

गुजरात की 43 सीटों पर राजस्थानियों का दबदबा

गुजरात की 182 में से 43 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानी रह रहे हैं या फिर उनका राजस्थान में रोटी-बेटी का नाता है. इसके चलते गुजरात की इन सीटों पर राजस्थानी नेताओं को प्रचार-प्रसार के लिए भेजा जा रहा है. इन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला भी माना जा रहा है.

गुजरात के इन जिलों में राजस्थानियों का दबदबा

राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों से सटे गुजरात के जिन जिलों में राजस्थानी मतदाताओं का दबदबा है, उनमें अहमदाबाद, मेहसाणा, बनासकांठा, वड़ोदरा, आणंद, कच्छ, सुरेन्द्रनगर, राजकोट और सूरत शामिल हैं. इन जिलों में राजस्थान मूल के लोगों की आबादी करीब 25 से 50 प्रतिशत तक है. जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर , प्रतापगढ़, डूंगरपुर बांसवाड़ा, सिरोही क्षेत्र के लाखों परिवार गुजरात में रहते हैं.

गुजरात में कांग्रेस की 'राजस्थानी लैंडिंग'

भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त राहुल गांधी ने गुजरात की कमान सीधे तौर पर राजस्थान के नेताओं को सौंप दी है, जिसकी अगुवाई खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कर रहे हैं. हालांकि, ये पहला मौका नहीं जब गहलोत गुजरात के चुनावी समर में उतरे हैं. इससे पहले वो जब साल 2017 में कांग्रेस के महासचिव थे तब भी उन्होंने ही गुजरात में कांग्रेस की चुनावी रणनीति की बुनी थी.

अशोक गहलोत 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रभारी थे. उस दौरान वह राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं थे. चुनाव में गहलोत ने गांव और शहरों में कई दौरे किए थे. इससे कांग्रेस, बीजेपी को 182 में से 99 सीटों पर रोकने में कामयाब हुई थी. चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं थीं, जो पिछले दो दशक में पार्टी का सबसे बेहतर प्रदर्शन रहा था.

इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार भी राजस्थान से नेताओं की लैंडिंग कराई गई है. गुजरात की 26 लोकसभा सीटों पर राजस्थान के अलग-अलग मंत्रियों-विधायकों की ड्यूटी लगाई गई है. इनमें शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को आणंद, राजस्व मंत्री रामलाल जाट को पाटन, अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद को कच्छ, खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना को बनासकांठा, खान मंत्री प्रमोद जैन भाया को राजकोट, गृह राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह यादव को जामनगर और प्रशासनिक सुधार राज्य मंत्री गोविंद राम मेघवाल को भरूच की जिम्मेदारी दी गई है.

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बीजेपी ने भी राजस्थानी नेताओं को मैदान में उतारा

बीजेपी ने राजस्थान से सटे गुजरात के नौ जिलों अहमदाबाद, गांधी नगर, मोडासा, भुज, साबरकांठा, बनासकांठा, मेहसाना, कच्छ और पाटन की 43 विधानसभा सीटों पर राजस्थान के 100 नेताओं को चुनावी कमान सौंपी है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी, ओमप्रकाश माथुर, सांसद देवजी पटेल, सुशील कटारा सहित अन्य नेताओं को इन सीटों की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं, राजस्थान बीजेपी के प्रदेश महामंत्री सुशील कटारा और विधायक नारायण सिंह देवल को प्रभारी बनाया गया है. इनके अधीन प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में दो-दो और प्रत्येक जिले में दो से तीन नेताओं को प्रभारी बनाकर तैनात किया गया है.

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