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लोकसभा चुनाव का परिणाम कई मायनों में चौंकाने वाला रहा. सरकार तो एनडीए की बनी लेकिन इंडिया गठबंधन भी इस बार पीछे नहीं रहा. जहां उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए वहीं बंगाल में बीजेपी का संदेशखाली फैक्टर बेअसर दिखा. महाराष्ट्र में बीजेपी को कड़ी टक्कर मिली तो धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए चुनाव में तो एक-एक फैक्टर ऐतिहासिक रहा.
आइए जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में जनादेश किस ओर गया, यहां पुराने मुद्दे ही हावी रहे या जनता का मूड इस बार इतिहास रच गया...
जम्मू-कश्मीर की 5 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ जिसमें मतदाताओं ने जमकर योगदान दिया. लिहाजा वोटिंग के मामले में 35 साल का रिकॉर्ड टूट गया. यहां इस बार के चुनाव में सबसे अधिक 58.46 फीसदी मतदान हुआ और यह 2019 की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा रहा.
बता दें, इस लोकसभा क्षेत्र में कहीं भी शून्य वोटिंग नहीं हुई और घाटी की तीन सीटों पर 50.86 फीसदी मतदान हुआ. सबसे ज्यादा बदलाव अनंतनाग में देखने को मिला जहां हर समूह के लोगों ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
- बारामूला
- श्रीनगर
- अनंतनाग
- जम्मू
- उधमपुर
जम्मू-कश्मीर में पांच चरणों में वोटिंग हुई थी. इन पांच सीटों पर 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 07 मई, 13 मई और 20 मई 2024 को वोट डाले गए थे. उधमपुर में 19 अप्रैल को वोट डाले गए थे. वहीं, जम्मू में 26 अप्रैल को वोटिंग हुई थी. अनंतनाग में 7 मई को मतदान हुआ था तो श्रीनगर में 13 मई को चुनाव हुआ. वहीं, बारामूला में 20 मई को वोट डाले गए थे जबकि लद्दाख की बात करें तो यहां पर पांचवें चरण में 20 मई को मतदान किया गया था.
बारामूला सीट
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला बारामूला सीट से प्रत्याशी थे. यहां उनके प्रतिद्वंद्वी के तौर पर इंजीनियर राशिद बतौर उम्मीदवार खड़े थे. दोपहर बाद ही नतीजों का रुख देखते हुए उमर अब्दुल्ला ने बारामूला सीट पर हार स्वीकार कर ली थी और उन्होंने इंजीनियर राशिद को जीत की बधाई भी दे दी थी. बता दें कि इंजीनियर राशिद जेल में हैं और उन्होंने जेल से ही अपना चुनाव लड़ा और 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीत का परचम फहराया.
पहले इस सीट पर मुख्य मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन के बीच माना जा रहा था लेकिन अब्दुल राशिद के पक्ष में परिणाम आने से स्थिति काफी रोचक हो गई.
अनंतनाग राजौरी सीट
इस सीट पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को नेशनल कांफ्रेंस उम्मीदवार मिया अल्ताफ अहमद से कड़ी टक्कर मिली. महबूबा मुफ्ती ने भी अपनी हार स्वीकार करते हुए बढ़त पा रहे उम्मीदवार को शाम को ही बधाई दे डाली. नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ 2,81,794 वोटों से जीत हासिल की. बीजेपी ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था. उन्होंने यहां अपनी पार्टी को समर्थन दिया था.
बता दें, मुफ्ती शुरुआती रुझान से ही भारी मतों के अंतर से पिछड़ती हुई नजर आ रही थीं.
उधमपुर सीट
यह जम्मू-कश्मीर की वीआईपी सीट है. यहां से उधमपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी डॉ. जितेंद्र सिंह ने तीसरी बार जीत दर्ज की है. डॉ. जितेंद्र सिंह ने 571076 वोट हासिल किए और उन्होंने 1,24,373 वोटों से जीत दर्ज की क्योंकि कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी लाल सिंह को 4,46,703 वोट ही मिले. बता दें, उधमपुर सीट पर 16 लाख से ज्यादा वोटर्स जबकि सीट पर 12 उम्मीदवार मैदान में रहे.
जम्मू सीट
इस सीट पर बीजेपी से जुगल किशोर, कांग्रेस से रमण भल्ला, बसपा से जगदीश राज और जेकेपीसी रतन लाल मैदान में थे. फिलहाल जम्मू रियाशी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी जुगल किशोर ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की. उन्होंने 1,35,498 मतों से जीत हासिल कर कांग्रेस प्रत्याशी रमन भल्ला को पीछे छोड़ा. बता दें, इस सीट पर अबकी बार 72.22 प्रतिशत मतदान हुआ था.
साल 2019 के लोकसभा परिणामों की बात करें तो बीजेपी प्रत्याशी जुगल किशोर ने मैदान जीता था. वहीं कांग्रेस के रमन भल्ला दूसरे स्थान पर रहे थे.
श्रीनगर सीट
श्रीनगर लोकसभा सीट जम्मू-कश्मीर की हॉट सीटों में से एक थी. इस सीट पर रुहुल्लाह को 3,56,866 वोट मिले. उन्होंने 1,88,416 वोटों से पीडीपी के उम्मीदवार वाहिद पर्रा को पराजित किया क्योंकि वाहिद को 1,68,450 वोट प्राप्त हुए थे. बता दें,. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से फारूक अब्दुल्ला ने जीत हासिल की थी. साल 2019 में यहां 14.08 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं, इस बार श्रीनगर में 37.98 फीसदी मतदान हुआ.
2019 के संसदीय चुनाव में पुलवामा और आतंकी हमले भाजपा समेत अन्य दलों के लिए नारा और मुद्दा थे तो पांच साल बाद बदली परिस्थितियों में हो रहे चुनाव में मुद्दा अब विकास भी है. बदली परिस्थितियों में अब युवाओं के हाथ में सिर्फ बंदूक नहीं है बल्कि लैपटॉप भी है. यहां युवाओं के लिए रोजगार पर भी बात हो रही है तो घाटी में सिनेमा हॉल खुलने से मनोरंजन की बयार बह रही है. यही कारण है कि इस बार युवाओं ने लोकतंत्र के पर्व का जश्न मनाया और मुद्दों को ध्यान में रखकर मतदान किया.
बता दें, अभी तक घाटी की सीटों पर हर चुनाव में 31 फीसदी के करीब मतदान होता रहा लेकिन इस चुनाव में यहां युवा मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इस बार बारामूला में वोट डालने वाले 56.02 प्रतिशत वोटर 18 से 35 साल के थे. अनंतनाग राजौरी में 54.41 फीसदी युवा वोटरों ने मतदान किया जबकि श्रीनगर में युवा वोटरों की तादाद 48.57 प्रतिशत रही. वहीं उधमपुर में 68.27 और जम्मू में 72.22 प्रतिशत वोटरों ने अपने हक का इस्तेमाल किया.
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Published: 04 Jun 2024,06:20 PM IST