मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पंजाब देश का इकलौता ‘मोदी मुक्त’ राज्य है:5 आंकड़े तस्दीक करते हैं

पंजाब देश का इकलौता ‘मोदी मुक्त’ राज्य है:5 आंकड़े तस्दीक करते हैं

गैर-दक्षिण भारतीय राज्यों में पंजाब इकलौता राज्य है, जहां मोदी की संतुष्टि रेटिंग नकारात्मक है

आदित्य मेनन
चुनाव
Updated:
पंजाब में मोदी की कथित लोकप्रियता शक के घेरे में है
i
पंजाब में मोदी की कथित लोकप्रियता शक के घेरे में है
(फोटो: अरूप मिश्रा/द क्विंट)

advertisement

भारतीय राजनीति में पंजाब का स्थान बड़ा अजूबा है. पंजाब, 2014 चुनाव में मोदी लहर से बेअसर रहा, तो 2009 चुनाव में कांग्रेस लहर से. यहां स्थानीय मुद्दे राजनीति पर हावी रहते हैं. कुछ एक परिवारों मसलन, बादल, कैरों, मजीठिया, बरार और पटियाला का शाही परिवार का दबदबा है और राज्य में बदलाव की बयार हावी रहती है.

फिर भी पंजाब की राजनीति में आमतौर पर एक बात देखी गई है. यहां की जनता तानाशाही नेताओं को बर्दाश्त नहीं करती. सदियों पहले की ये आदत आज भी बनी हुई है. वक्त सिकंदर का रहा हो, औरंगजेब का इंदिरा गांधी का या फिर मोदी का, पंजाब हमेशा तानाशाहों को नकारता आया है.

इस आर्टिकल को सुनने के लिए नीचे क्लिक करें

मोदी शासन में पंजाब में बीजेपी का पतन

इस आर्टिकल में हम प्रधानमंत्री मोदी के पंजाब से रिश्तों पर ध्यान केंद्रित करते हैं. 2014 के चुनाव में भारत के हर राज्य में मोदी लहर थी. बीजेपी की जीत न सिर्फ हिंदी भाषी और पश्चिमी राज्यों में हुई, बल्कि केरल, आन्ध्र प्रदेश और असम में भी पार्टी के वोट शेयर में इजाफा हुआ.

इकलौता राज्य, जहां 2009 और 2014 लोकसभा चुनावों के बीच बीजेपी के वोट शेयर में कमी आई, वो पंजाब था.

बीजेपी के वोट शेयर में राज्यवार बदलाव (2009 - 2014)

(पंजाब इकलौता राज्य है, जहां 2009 और 2014 चुनावों के बीच बीजेपी के वोट शेयर में गिरावट आई)

पंजाब में 2009 में बीजेपी का वोट शेयर 10.1 फीसदी था, जो 2014 में गिरकर 8.7 फीसदी हो गया. यानी वोट शेयर में 1.4 फीसदी की गिरावट.

2017 का विधानसभा चुनाव आते-आते बीजेपी के वोट शेयर में और गिरावट आई. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को महज 5.4 फीसदी वोट मिले, जो पिछले 25 सालों में सबसे कम थे. जबकि मोदी-राज में देश के दूसरे हिस्सों में बीजेपी को भारी फायदा हुआ था.

2017 में पंजाब में बीजेपी का प्रदर्शन सबसे खराब था

(पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर पिछले 25 सालों में सबसे कम था)

नाम उजागर न करने की शर्त पर कुछ बीजेपी नेताओं ने बताया कि “मोदी तो लोकप्रिय हैं, लेकिन बादल की कम लोकप्रियता के कारण पार्टी को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है”. लेकिन आंकड़े इस बात की तस्दीक नहीं करते. 2017 विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, उनके वोट शेयर सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल के वोट शेयर से थोड़े कम ही थे.

वोट शेयर को जीत में बदलने का अनुपात भी कम था. अकाली दल ने जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, उनमें 16 फीसदी में जीत हासिल हुई, जबकि बीजेपी के खाते में जीत प्रतिशत सिर्फ 13 था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मोदी को सिख नापसंद करते हैं

पंजाब में मोदी की कथित लोकप्रियता शक के घेरे में है. लोकनीति-CSDS के चुनाव-पूर्व सर्वे के मुताबिक, पंजाब में मोदी की संतुष्टि रेटिंग नकारात्मक थी. यानी राज्य में मोदी से असंतुष्ट होने वालों की संख्या संतुष्टि रखने वालों की संख्या से ज्यादा थी.

पंजाब में नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति संतुष्टि नकारात्मक

(दक्षिण भारत के अलावा पंजाब इकलौता राज्य है, जहां मोदी सरकार की रेटिंग नकारात्मक है.)

पंजाब में मोदी के प्रति संतुष्टि रेटिंग -29 फीसदी है. इससे ज्यादा असंतुष्टि रेटिंग सिर्फ तमिलनाडु और केरल में, यानी -39 फीसदी है.

गैर-दक्षिण भारतीय राज्यों में पंजाब इकलौता राज्य है, जहां मोदी की संतुष्टि रेटिंग नकारात्मक है. सवाल है कि पंजाब की जनता मोदी को इतना नापसंद क्यों करती है? इसकी वजह तमिलनाडु, केरल और आन्ध्र प्रदेश से अलग नहीं. और वो है, केंद्रीय नेतृत्व की तानाशाही के खिलाफ आक्रोश.

त्रिदिवेश सिंह मैनी, जो जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में पढ़ाते हैं,

“पंजाब का रुख हमेशा राष्ट्रीय रुख से अलग रहा है. पंजाब की जनता तानाशाह नेतृत्व पर भरोसा नहीं करती और ऐसा केंद्रीय नेतृत्व चाहती है, जो संघवाद का समर्थन करे. राज्यों की गतिविधियों से छेड़छाड़ पंजाब में पसंद नहीं की जाती.”

माना जाता है कि राज्यों की गतिविधियों में मोदी वैचारिक हस्तक्षेप करते हैं, जिसका दूसरे समुदाय के लोग नापसंद करते हैं. उदाहरण के लिए, केरल में मोदी के प्रति ज्यादातर नापसंदगी मुस्लिम और इसाई समुदायों में है, जिनकी तादाद राज्य में काफी है. सिख बहुल पंजाब में भी मोदी के लिए नापसंदगी का यही कारण है.

लोकनीति-CSDS चुनाव-पूर्व सर्वे के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर सिखों में मोदी के लिए नापसंदगी सबसे ज्यादा है. इसाईयों और मुस्लिमों से भी ज्यादा. जब ये पूछा गया कि क्या वो मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनते देखना पसंद करेंगे, तो 68 फीसदी लोगों का कहना था, नहीं. सिर्फ 21 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया. भारत के करीब 80 फीसदी सिख पंजाब में रहते हैं, लिहाजा, ये आंकड़ा उनके नजरिए का प्रतिनिधित्व करता है.

मोदी के लिए नापसंदगी सिखों में सबसे ज्यादा

(68% सिखों ने कहा, मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने का मौका नहीं मिलना चाहिए. ये संख्या मुस्लिमों और इसाईयों की तुलना में ज्यादा है.)

मुस्लिम और इसाई समुदायों में क्रमश: 62 फीसदी और 56 फीसदी का कहना था कि मोदी को दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का मौका नहीं मिलना चाहिए. हिंदू समुदाय का दृष्टिकोण अलग है. 51 फीसदी हिंदुओं का कहना है कि मोदी को एक और मौका मिलना चाहिए, जबकि 31 फीसदी की सोच इससे उलट है.

इसका भाषाई आधार भी है. पंजाबी मीडिया में हिंदी मीडिया की तुलना में मोदी के लिए नापसंदगी ज्यादा है. धर्म और भाषा को अक्सर साथ जोड़ा जाता है. लिहाजा, हिंदी को अक्सर हिंदू धर्म के साथ जोड़ा जाता है.

“वो (बीजेपी) पंजाब का सम्मान नहीं करते. यहां तक कि पंजाब में मोदी के ज्यादातर होर्डिंग भी पंजाबी के बजाय हिंदी में हैं. लगता है उन्हें हमारा वोट नहीं चाहिए.” ये कहना है तरन-तारन में रहने वाले गुरतेज सिंह पन्नू का, जिनका वोट खदूर साहिब संसदीय क्षेत्र में पड़ता है. पन्नू कांग्रेस और कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी नहीं चाहते, लेकिन इस बात की सराहना करते हैं कि कम से कम पार्टी की एक भी होर्डिंग हिंदी में नहीं है.

पन्नू से पूछा गया कि क्या सिख मोदी को नापसंद करते हैं, तो उनका कहना था:

“बिलकुल, जब कोई नेता सिर्फ एक धर्म और एक समुदाय की हिमायत करता है, तो दूसरा समुदाय अलग-थलग महसूस करेगा ही. (योगी) आदित्यनाथ का बयान सुनिए, जिससे साफ है कि साम्प्रदायिक लॉबी सिर्फ मुस्लिमों तक सीमित नहीं है.”

राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क से उदासीन

यहां तक कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा उछालकर मोदी के प्रचार को भी पंजाब में कम तरजीह मिली. 3 मई को C-Voter के इलेक्शन ट्रैकर के मुताबिक पंजाब के सिर्फ 2.1 फीसदी वोटरों का मानना था कि इस चुनाव में राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे अहम मुद्दा है. देश के सभी राज्यों में ये आंकड़ा सबसे कम था.

पंजाब में राष्ट्रीय सुरक्षा सबसे कम महत्त्वपूर्ण

(पंजाब में सिर्फ 2.1% लोगों ने कहा कि उनके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा सबसे अहम है. ये आंकड़ा सभी राज्यों में सबसे कम है.)

2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ ही महीनों बाद 2017 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए. लेकिन सभी राज्यों की तुलना में पंजाब इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा उदासीन था.

लोकनीति-CSDS के मुताबिक, विधानसभा चुनावों से पहले किए गए सर्वे में पंजाब में 19.6 फीसदी वोटरों का कहना था कि सर्जिकल स्ट्राइक काफी अहम मुद्दा है, जबकि 25.7 फीसदी का कहना था कि इसका कोई महत्त्व नहीं है.

दूसरी ओर उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले 47.5 फीसदी वोटरों का कहना था कि सर्जिकल स्ट्राइक काफी अहम मुद्दा है, जबकि 15 फीसदी के लिए ये कोई मुद्दा नहीं था.

पंजाब के कई सिख, मोदी की पाकिस्तान नीति को शक भरी निगाहों से देखते हैं. अमृतसर के वोटर बलजिंदर सिंह का कहना है, “मोदी राज में पाकिस्तान के साथ रिश्ते खराब हुए हैं. बीजेपी और मीडिया ने जबरदस्ती पागलपन पैदा किया है, लेकिन जंग की कीमत के बारे में कोई नहीं सोच रहा. हमारे (सिखों के) कई धार्मिक स्थल सीमा पार हैं. हम एक सीमावर्ती राज्य में रहते हैं. अगर पाकिस्तान के साथ तनाव होता है, तो हम सबसे ज्यादा झेलते हैं.”

सिखों के लिए करतारपुर कॉरिडोर एक अहम मुद्दा है. इसका अभियान तेज करने का सेहरा काफी कुछ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धु के सिर पर सजा है. लिहाजा, ये भी डर है कि अगर मोदी दोबारा सत्ता में लौटे तो ये परियोजना खटाई में पड़ जाएगी.

हालांकि, ऐसा नहीं है, कि पंजाब में मोदी समर्थकों की कमी है. शहरी क्षेत्रों के सवर्ण हिंदुओं, गुरदासपुर के कुछ ग्रामीण इलाकों और उत्तर प्रदेश, बिहार के प्रवासियों का एक तबका प्रधानमंत्री मोदी का समर्थक है. लेकिन उनकी संख्या ऐसे लोगों से काफी कम है, जो मोदी को नापसंद करते हैं, या उदासीन हैं. स्थानीय मुद्दों या कांग्रेस के कमजोर उम्मीदवारों के कारण शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी गठबंधन को कुछ सीटें जरूर मिल सकती हैं, लेकिन इतना तय है कि पंजाब में मोदी फैक्टर काफी हद तक बेअसर है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 07 May 2019,09:02 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT