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मेरे बेटे ने पार्टी बदल ली है इसलिए अपने बेटे से सभी रिश्ते खत्म करता हूं. आज से अभी से सारे सामाजिक संबंध खत्म.
उत्तर प्रदेश लेकर महाराष्ट्र तक बड़े नेताओं के बेटे सियासी जमीन तलाशने के लिए अपने ही घर में, अपने ही पिता के खिलाफ विद्रोह कर चुके हैं. नामी गिरामी नेताओं के बेटों ने साफ कर दिया है मकसद है सांसद बनना, पिता की पार्टी टिकट नहीं देगी तो विरोधी ही सही.
लेकिन इन बेटों का बायोडेटा देखकर आप चौंकने की बारी आपकी है.
उत्तर प्रदेश की गौतमबुद्ध नगर सीट से बीजेपी के बड़े नेता ठाकुर जयवीर सिंह के बेटे डॉ. अरविंद कुमार चौहान लोकसभा टिकट पाने के लिए कांग्रेस में शामिल हो गए. इससे पिता जयवीर आगबबूला हो गए. बोले शादी के बाद लड़के की विचारधारा ही बदल गई.
हालांकि जयवीर खुद ही साल पिछले साल विचारधारा बदलकर बीएसपी से बीजेपी में शामिल हुए हैं. लेकिन बेटे ने जब पार्टी बदली तो पिता को गुस्सा आ गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में अरविंद ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की टिकट पर किस्मत आजमाई थी, तब पिता जयवीर सिंह बीएसपी में ही थे.
बहरहाल, ये विचारधारा का टकराव है, या अपने लिए अलग सियासी जमीन तैयार करने की छटपटाहट, ये तो वही जानें.
महाराष्ट्र के विखे पाटिल परिवार में भी घर में ही तलवारें खिंच गई हैं. राज्य कांग्रेस के बड़े नेता और विधानसभा में नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय विखे पाटिल बीते हफ्ते बीजेपी में शामिल हो गए.
सुजय के बीजेपी में शामिल होने के फैसले ने महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी. सजय ने बीजेपी में शामिल होने के फैसले पर कहा-
बताया जा रहा है कि सुजय महाराष्ट्र की अहमदनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन जब कांग्रेस से बात बनती नहीं, दिखी तो वह पिता की इच्छा के खिलाफ जाकर बीजेपी में शामिल हो गए.
वहीं, अपने बेटे सुजय पाटिल के बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर राधाकृष्ण पाटिल ने कहा, 'सुजय ने बीजेपी में शामिल होने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली थी. जहां तक मेरे विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा देने का सवाल है तो मैं कहना चाहूंगा कि मैं वही करूंगा जो मेरी पार्टी का नेतृत्व मुझसे कहेगा.'
बहरहाल, अब स्थिति ये है कि सवालों से घिरे पिता को जवाब देते नहीं बन रहा और बेटा पिता की ही पार्टी को चुनौती दे रहा है.
उधर, उत्तराखंड भी इस राजनीतिक उठापटक से अछूता नहीं रहा है. उत्तराखंड बीजेपी के बड़े नेता, पूर्व मुख्यमंत्री और पौड़ी से सांसद भुवन चंद्र खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. हाल यहां भी वही है, ऐसा माना जा रहा है कि मनीष लोकसभा चुनाव की टिकट के लिए कांग्रेस में शामिल हुए हैं.
उधर, कांग्रेस के इस कदम को उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री खंडूरी की राजनीतिक विरासत को भुनाने के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, मनीष की व्यक्तिगत राजनीतिक जमीन नहीं है, लेकिन उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी तीन दशक से सियासत में सक्रिय हैं. वह सूबे में बीजेपी के शीर्ष नेताओं में शुमार हैं. ऐसे में कांग्रेस मानकर चल रही कि मनीष के चुनाव मैदान में उतरने पर उनके साथ ही पाटी को खंडूरी की राजनीतिक विरासत का लाभ मिलेगा.
बहरहाल, अपने बयानों से राजनीतिक विरोधियों का मुंह बंद कर देने वाले इन नेताओं से अपने बेटों के विपक्षी खेमे में चले जाने पर कुछ भी बोले नहीं बन रहा है, अब उम्मीद है तो बस यही कि 'बेटा हमारा बड़ा नाम करेगा.'
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Published: 19 Mar 2019,06:00 PM IST