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राहुल के घोषणापत्र में न्याय (NYAY) और उम्मीद (UMMEED) दोनों हैं

घोषणापत्र में कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा फोकस है. लेकिन इसके साथ उद्दमशीलता को बढ़ाने का एक रोडमैप भी दिया हुआ है

मयंक मिश्रा
चुनाव
Updated:
राहुल के घोषणापत्र में न्याय (NYAY) और उम्मीद (UMMEED) दोनों है
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राहुल के घोषणापत्र में न्याय (NYAY) और उम्मीद (UMMEED) दोनों है
(फोटो: द क्विंट)

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सबसे पहले नजर डालते हैं कांग्रेस के घोषणापत्र की बड़ी बातों पर-

  • देश के सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को हर महीने 6,000 रुपए का वादा
  • एक अलग रोजगार मंत्रालय बनाना
  • केंद्र सरकार और सरकारी कंपनियों की सारी वैकेंसी को एक साल के अंदर भरना
  • पंचायतों और निकायों में सेवा मित्र की भर्ती- कांग्रेस का अनुमान है कि इससे 10 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा
  • किसानों के लिए अलग बजट, एपीएमसी एक्ट को खत्म करने का वादा
  • मनरेगा में बदलाव, अब 100 दिन के बदले 150 दिन काम मिलेगा
  • रिजर्व बैंक और चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं की स्वायत्तता बढ़ाना
  • पार्टियों की फंडिंग के लिए बनी इलेक्टोरल बॉड को खत्म करना

लेकिन इन बड़े वादों से ज्यादा बड़ी बात ये है कि वेलफेयर के साथ-साथ वेल्थ क्रिएशन पर जोर देने की बात कही गई. या फिर द क्विंट के एडिटर-इन-चीफ राघव बहल के एक लेख में यूज हुए शब्दों में कहें तो- न्याय के साथ उम्मीद जगाने की कोशिश की गई है.

राघव बहल ने पिछले हफ्ते लिखा था कि

अगर न्याय को सफल बनाना है तो राहुल गांधी और कांग्रेस को उम्मीद यानी ‘Unleash Mahatvakanksha and Mojo via Exceptional and Energetic Deregulation’ पर भी काम करने और उसे लागू करने की तैयारी करनी होगी. न्याय और उम्मीद एक ही मां के जुड़वा बच्चे हैं दोनों को मां यानी सरकार का संरक्षण और स्नेह मिलना चाहिए. सरकार को दोनों के लिए एक जैसी संवेदनशीलता दिखानी चाहिए क्योंकि न्याय और उम्मीद मिल जाएं तो देश वाकई बदल सकता है.

क्विंट के एडिटर-इन-चीफ राघव बहल का आर्टिकल यहां पढ़ें-डियर राहुल, आपने न्याय (NYAY) कर दिया, अब उम्मीद (UMMEED) दिखाइए

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कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा फोकस

कांग्रेस के घोषणापत्र में कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा फोकस है. लेकिन अच्छी बात है कि इसके साथ-साथ उद्दमशीलता को बढ़ाने का एक रोडमैप भी दिया हुआ है. घोषणापत्र में माना गया है कि सरकारी कंट्रोल और नौकरशाही की दखलंदाजी फिलहाल काफी है. रेगुलेटर का ध्यान कंट्रोल करने पर ज्यादा है. इसको बदलने की जरूरत है.

ग्रोथ बढ़ाने में प्राइवेट सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान

शायद कांग्रेस पार्टी ने पहली बार माना है कि देश की विकास को रफ्तार देने में प्राइवेट सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान है. निजी निवेश को बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने हर कदम उठाने का भरोसा दिया है. ऐसे माहौल में जब निवेश की दर 15 साल के सबसे निचले स्तर पर है, ऐसा करना जरूरी नहीं है? साथ ही कांग्रेस ने सरकारी निवेश की बाउंड्री तय करने का भी संकेत दिया है. सरकारी निवेश का इस्तेमाल लोगों की भलाई वाले कामों पर होगा. साथ ही कांग्रेस ने ये भी वादा किया है निवेश के रास्ते में रुकावट पैदा करने वाले सारे नियम-कायदे को खत्म किए जाएंगे और वो भी तीन महीने के अंदर.

किन कामों में दखल नहीं होगा, इसका भी जिक्र

कांग्रेस के घोषणापत्र में एक खास बात ये है कि इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि सरकार किन-किन मामलों में दखल नहीं देगी. ठीक-ठाक काम करने वाले बाजारों में फालतू की दखलंदाजी नहीं की जाएगी. सरकारी कर्मचारियों की दक्षता उन मामलों में बढ़ाई जाएगी जहां सरकारी काम जरूरी है.

कांग्रेस का दावा है कि घोषणापत्र बनाने की प्रक्रिया में लोगों के सुझाव लिए गए. 174 इस तरह के सेशंस हुए, जहां एक्सपर्ट से इनपुट लिए गए. शायद यही वजह है कि सरकारी फैसले कि प्रक्रिया में एक्सपर्ट की राय कैसे ली जाए इसका भी रास्ता इस घोषणापत्र में बताया गया है. विदेश नीति जैसे मसलों पर एक कमीशन बनाने की बात की गई है जिसमें एक्सपर्ट को भी तरजीह दी जाएगी.

आने वाले दिनों में कांग्रेस के घोषणापत्र पर जोरदार बहस होगी. कुछ लोग इसे जुमलों से भरा बोलेंगे तो कई बड़े-बड़े वादों का पिटारा. लेकिन एक बात माननी होगी की कांग्रेस के घोषणापत्र में कुछ ऐसे नए आइडिया हैं जिन्हें अगर लागू किया गया तो तरक्की को नई रफ्तार दी जा सकती है.

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Published: 03 Apr 2019,11:35 AM IST

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