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चुनाव 2019 नतीजे: सत्ता भले ही न बदली हो, लेकिन सियासत बदल गई

देश की राजनीति किस ओर जा रही है?

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बंगाल में ममता बनर्जी की भरपूर कोशिशों के बावजूद कमल खिल गया है
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बंगाल में ममता बनर्जी की भरपूर कोशिशों के बावजूद कमल खिल गया है
(फोटो: पीटीआई)

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लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव नतीजों के रुझान में एनडीए 300 का आंकड़ा पार करती दिख रही है. यूपी में महागठबंधन के फॉर्मूले को धता बताते हुए बीजेपी राज्य की 80 सीटों में से 50 से ज्यादा पर आगे चल रही है. बंगाल में ममता बनर्जी की भरपूर कोशिशों के बावजूद कमल खिल गया है. कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन फेल नजर आ रहा है. सवाल है- देश की राजनीति किस ओर जा रही है?

ज्यादातर एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत मिलता दिखाया गया था, लेकिन विश्लेषकों का मानना था कि ये अनुमान ठीक नहीं होगा. बीजेपी को अच्छी-खासी सीटों का नुकसान होने का अंदाजा लगाया गया था. लेकिन इन अनुमान, विश्लेषण और अंदाजों से इतर, बीजेपी एक बार फिर केंद्र की सत्ता पर काबिज होने जा रही है और नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रहे हैं.

2014 में बीजेपी की जीत को एक अपवाद कहा जाता था, लेकिन उस चुनाव में शुरू किया गया नैरेटिव इस चुनाव में आगे बढ़ाया गया है. इन शुरूआती रुझानों से एक बात साफ जाहिर होती है कि कांग्रेस अभी बीजेपी को आमने-सामने की लड़ाई में हराने का माद्दा नहीं रखती है. इससे उलट क्षेत्रीय पार्टियां राज्यों में बीजेपी को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही हैं.

ये कहना भी गलत नहीं होगा कि कोई एंटी-इंकम्बेंसी नहीं थी. पीएम मोदी तो अपनी रैली में कहा करते थे कि ये चुनाव प्रो-इंकम्बेंसी पर लड़ा जा रहा है. इससे लगता है कि देश में प्रो-मोदी वेव मौजूद थी. ये सब कुछ नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के दम पर हुआ है. बीजेपी ने यूपी में अपने अनुमानित नुकसान को सीमित किया और नए राज्यों में एंट्री की.

इन सब बातों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि सत्ता भले ही न बदली हो, लेकिन सियासत बदल गई है. प्रज्ञा ठाकुर का संसद पहुंचना, बंगाल में इतनी हिंसा के बाद भी कमल का खिलना दिखाता है कि देश की सियासत बहुत अलग तरह से बदली है. आने वाले दिनों में राष्ट्रवाद की और बड़ी लहर देखने को मिलेगी.
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इस चुनाव में बुनियादी मुद्दों को इमोशनल मुद्दों ने मात दे दी. यहां से हिंदुत्व की राजनीति ने सेक्यूलर पॉलिटिक्स को पीछे छोड़ दिया है. ये नतीजे इस बात का प्रमाण है कि हिंदू राष्ट्र के विचार को लोग हाथो-हाथ ले रहे है. नरेंद्र मोदी अगर परफॉर्म नहीं भी कर पाए तो लोग ये मानने को तैयार हैं कि उन्होंने खुशहाली के लिए मेहनत बहुत की. हिंदुस्तान की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया है.

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