advertisement
लोकसभा चुनाव 2019 के जो रुझान और नतीजे आ रहे हैं उसमें एनडीए ने अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बीजेपी और गठबंधन की पार्टियां 336 के 2014 के आंकड़े को पार चुकी है. जाहिर ये बहुमत से बहुत ज्यादा है. इस कामयाबी में यूपी का बड़ा योगदान है. उम्मीद जताई जा रही थी कि यूपी में महागठबंधन से बीजेपी को बड़ा नुकसान होगा लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. ताजा आंकड़ों के मुताबिक यूपी में NDA (बीजेपी+अपना दल) 56 सीटों पर आगे हैै. पिछले चुनाव में बीजेपी को 71 सीटें मिली थीं.
रुझानों से साफ है कि एसपी-बीएसपी-आरलेडी के महागठबंधन ने बीजेपी को नुकसान नहीं पहुंचाया है. पिछले चुनाव में एसपी को 5, कांग्रेस को 2, अपना दल को 2 और बीएसपी को शून्य सीट मिली थी. इस बार बीएसपी-एसपी और आरएलडी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा है. महागठबंधन की टैली इस वक्त है 23. ये सही है कि इन तीनों का आंकड़ा पिछली बार से ज्यादा है लेकिन फिर भी इनसे बीजेपी को बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा है. रुझानों के मुताबिक महागठबंधन को 23 सीटें मिलती दिख रही हैं.
2018 में यूपी की 3 लोकसभा सीटों (फूलपुर, गोरखपुर और कैराना) पर उपचुनाव हुए. 2014 के चुनाव में ये तीनों ही सीटें बीजेपी ने जीती थीं. मगर 2018 में ये सीटें महागठबंधन के खाते में चली गईं. आकड़े ये बता रहे थे कि एसपी-बीएसपी के वोट मर्ज हुए तो बीजेपी की हार हुई.
इस सीट पर हुए 2014 के चुनाव में बीजेपी को 50.54% वोट मिले थे. वोट शेयर के मामले में एसपी (29.39%) और बीएसपी (14.33%), दोनों ही पार्टियों की स्थिति बीजेपी के मुकाबले काफी कमजोर थी. बात आरएलडी की करें तो उसे महज 3.81% वोट ही मिले थे.
साल 2018 में इस सीट पर उपचुनाव से पहले एसपी और बीएसपी ने अपना समर्थन देकर आरएलडी की उम्मीदवार को उतारा. हालांकि, इस गठबंधन की वजह से बीजेपी के वोट शेयर में ज्यादा गिरावट नहीं आई, लेकिन इस गठबंधन की उम्मीदवार को बीजेपी से ज्यादा वोट मिले. बीजेपी को इस उपचुनाव में 46.72% वोट मिले, जबकि आरएलडी उम्मीदवार को 51.49% वोट मिले.
साल 2018 के उपचुनाव से पहले इस सीट को बीजेपी का गढ़ कहा जाता था. 2014 के चुनाव में यहां बीजेपी को 51.80% वोट मिले थे. इस चुनाव में वोट शेयर के हिसाब से बीजेपी की तुलना में एसपी (21.75%) और बीएसपी (16.95%) का प्रदर्शन काफी खराब था.
2018 के उपचुनाव में इस सीट पर एसपी उम्मीदवार को बीएसपी का समर्थन मिला. एसपी को इसका जबरदस्त फायदा मिला. इस चुनाव में उसे 49.31% वोट मिले. जबकि बीजेपी को 46.95% वोट हासिल हुए.
इस सीट पर 2014 के चुनाव में बीजेपी को 52.43%, जबकि एसपी को 20.33% और बीएसपी को 17.05% वोट मिले थे. इसके बाद 2018 के उपचुनाव में इस सीट पर बीएसपी के समर्थन के साथ उतरी एसपी को 47.12% वोट मिले, जबकि बीजेपी के खाते में 38.95% वोट ही आए.
चुनाव से पहले माना जा रहा था कि यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ योगी को लेकर भारी गुस्सा है. हिंदुत्व को लेकर उनकी हार्ड लाइन का जवाब जनता देगी, ऐसा माना जा रहा था. खासकर एसपी-बीएसपी और आरएलडी के साथ आने पर दलित, यादव और मुस्लिम वोटों के एक होने के कयास लगाए गए थे. लेकिन नतीजों से साबित हो गया है कि यूपी में योगी को लेकर नाखुशी नहीं हैं, एंटी इनकम्बेंसी नहीं है. जाहिर है यूपी में जीत के पीछे मोदी-शाह की जोड़ी का बड़ा योगदान है लेकिन इसका क्रेडिट योगी को भी दिया जाएगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 23 May 2019,10:56 AM IST