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चुनाव के चक्कर में भाई-भाई ना रहा, तेजप्रताप से ठाकरे तक की कहानी

लोकसभा चुनाव से पहले लालू परिवार में महाभारत जारी है.

स्मिता चंद
चुनाव
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तेजप्रताप और तेजस्वी में दरार
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तेजप्रताप और तेजस्वी में दरार
(फोटो: क्विंट)

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लोकसभा चुनाव से पहले लालू परिवार में महाभारत जारी है. लालू के दोनों लाल एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. तेजस्वी यादव ने 6 पार्टियों के साथ मिलकर भले ही महागठबंधन कर लिया हो, लेकिन उनके बड़े भाई के साथ ही उनका गठबंधन टूटता नजर आ रहा है. बागी हुए तेज प्रताप लालू-राबड़ी मोर्चा बनाकर आरजेडी के 20 उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में हैं और खुद अपने ससुर चंद्रिका राय के खिलाफ सारण से चुनाव लड़ने का ऐलान कर रहे हैं

वैसे सियासत में दो भाईयों के बीच अदावत कोई पहली बार नहीं है, इस बार सियासी अखाड़े में कई ऐसे भाई हैं, जो एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. उत्तर से लेकर दक्षिण तक 2019 के महाभारत में कई ऐसे भाई हैं जो राजनीति की बिसात पर अलग-अलग पालों में नजर आ रहे हैं. 

एक दूसके के खिलाफ शिवपाल और मुलायम सिंह यादव

शिवपाल यादव और मुलायम सिंह के बीच दरार(फोटो: क्विंट)

बिहार के सियासी घराने की तरह यूपी के सबसे बड़े सियासी कुनबे मुलायम परिवार में तो कई महीनों से रार चल रही है. जो शिवपाल यादव अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के कंधे से कंधा मिलाकर कई दशकों से राजनीतिक पारी खेल रहे थे, इस बार उन्होंने भी पाला बदल लिया है. भतीजे अखिलेश से शिवपाल इतने खफा हुए कि समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बना डाली.

शिवपाल यादव को अखिलेश की मायावती से नजदीकी कभी रास नहीं आई वो कई बार सार्वजनिक मंच से भी बोल चुके हैं-

मैंने ओर नेताजी ने मायावती को बहन नहीं बनाया, फिर वो अखिलेश की बुआ कैसे हो गई, अब अखिलेश को बबुआ बना लिया, बबुआ ने अपने बाप को धोखा दिया.

शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के नेताओं को ही नहीं तोड़ा है, बल्कि जमीनी कार्यकर्ताओं में भी सेंध लगाई है उनकी ये पार्टी उनके भाई का पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है. मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं शिवपाल यादव फिरोजबाद से चुनावी मैदान में उतरेंगे.

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अलागिरी-एमके स्टालिन में विरासत की लड़ाई

अलागिरी-एमके स्टालिन में विरासत की लड़ाई(फोटो: क्विंट)

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि के दोनों बेटों एमके स्टालिन और एमके अलागिरी बीच की लड़ाई भी जगजाहिर है. करुणानिधि की मौत के बाद स्टालिन DMK के अध्यक्ष बन चुके हैं. जबकि अलागिरि अपने लिए आज भी जगह तलाश रहे हैं.

करुणानिधि के निधन को एक हफ्ते भी नहीं बीते थे कि उनके दोनों बेटे एम के अलागिरी और एम के स्टालिन के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू हो गई थी. करुणानिधि की राजनीतिक विरासत पर कब्जे को लेकर स्टालिन और अलागिरी में पहले से ही लड़ाई चल रही थी और दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं थे.

करुणानिधि ने 2014 में ही अलागिरी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया था और स्टालिन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था.

हरियाणा के चौटाला परिवार में भी दरार

अलग हुए चौटाला परिवार के दो भाई(फोटो: क्विंट)

हरियाणा के भी एक बड़े राजनीति परिवार में कुछ महीनों पहले ही दरार पड़ी थी. ओमप्रकाश चौटाला के दोनों बेटों की राहें जुदा हो चुकी हैं. 17 नवंबर 2018 को पार्टी के दो बड़े नेता और भाई अजय चौटाला और अभय चौटाला ने एक दूसरे से अपना रास्ता अलग कर लिया. इनेलो से अलग होकर अजय चौटाला के दोनों बेटों दुष्यंत सिंह और दिग्विजय सिंह ने जननायक जनता पार्टी का गठन किया. अब दोनों भाई एक दूसरे के खिलाफ चुनावी ताल ठोंक रहे हैं.

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे

क्यों अलग हुए उद्धव और राज ठाकरे(फोटो: क्विंट

अकेले दम पर शिवसेना को संभाल रहे बाल साहेब ठाकरे को जब सहारे की जरूरत पड़ी तो उनके सामने थे उनके भतीजे राज ठाकरे. चाचा की तरह राज ठाकरे में भी कार्टून बनाने का हुनर था. राज ठाकरे का हावभाव बिल्कुल बाल ठाकरे की तरह था, वो उनके साथ सभाओं में जाते थे. राज ठाकरे भले ही उद्धव ठाकरे से 7 साल छोटे थे, लेकिन राजनीति में वो पहले आए थे. पूरे महाराष्ट्र को यही लगता था कि बाल ठाकरे के वारिस राज ठाकरे ही बनेंगे, लेकिन जब बाल ठाकरे ने राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी अपने बेटे उद्धव ठाकरे को बनाया, तब राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ 2006 में अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना ली.

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