एक तरफ बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना थे और दूसरी तरफ बीजेपी के फायरब्रांड नेता लालकृष्ण आडवाणी. बात 1991 की हैं, जब लालकृष्ण आडवाणी नई दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे और उनके खिलाफ कांग्रेस ने मैदान में उतारा राजेश खन्ना को. ये चुनाव तो आडवाणी जीत गए, लेकिन ये जीत महज 1500 वोटों से थी. चुनाव जीतने में आडवाणी के पसीने छूट गए, सियासत के माहिर खिलाड़ी आडवाणी को एक फिल्मी हस्ती ने कड़ी चुनौती दी थी, जो उनके लिए बड़ा झटका था.
राजेश खन्ना ही नहीं अमिताभ बच्चन ने तो कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले हेमवती नंदन बहुगुणा का एक तरह से करियर ही खत्म कर दिया था. पार्टी से तकरार के बाद हेमवती नंदन बहुगुणा ने पार्टी छोड़ दी थी और लोकदल की तरफ से इलाहाबाद से चुनाव लड़ा था, अमिताभ ने उन्हें करीब 2 लाख वोटों से हरा दिया था.
चुनावी मौसम है और राजनीति में कई फिल्मी कलाकारों की एंट्री की खबरें हैं, उर्मिला मांतोडकर, सनी देओल, संजय दत्त ऐसे कई नामों की फेहरिस्त हैं. वहीं सालों से कई पुराने चेहरे हैं जो राजनीति में हैं, जया प्रदा ने बीजेपी का हाथ थामा है, तो वहीं बीजेपी के शत्रु अब कांग्रेस के मित्र बनने वाले हैं. चुनावी समर में ये फिल्मी सितारे कूद तो पड़ते हैं, लेकिन उन्हें कितनी कामयाबी मिल पाती है?राजनीतिक पार्टियां भी इन सितारों की चमक का फायदा अपनी राजनीति चमकाने के लिए करती रही हैं.
2019 में ये सितारे मैदान में
जया प्रदा
बॉलीवुड अभिनेत्री और पूर्व एसपी सांसद जया प्रदा अब बीजेपी में शामिल होकर रामपुर से आजम खान के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी. जया प्रदा सियासत की पुरानी खिलाड़ी हैं. जया प्रदा 2004 से 2009 के बीच रामपुर से सांसद रह चुकी हैं. जया ने कांग्रेस की बेगम नूर बानों को हराया था. 2009 में आजम खान और जया प्रदा के बीच इस कदर तक मनमुटाव हुआ कि आजम खान ने समाजवादी पार्टी का साथ तक छोड़ दिया.
2009 में लोकसभा चुनाव में जया प्रदा ने इस सीट से चुनाव लड़ा और उनको जीत हासिल हुई. इस चुनाव को आजम खान और अमर सिंह के बीच मुकाबले के रूप में देखा गया था. अमर सिंह के एसपी छोड़ने के बाद जया प्रदा ने भी पार्टी छोड़ दी थी. 2014 में उन्होंने आरएलडी के टिकट पर बिजनौर से चुनाव लड़ा था, लेकिन वो चुनाव हार गईं थीं.
हेमा मालिनी
2014 में मथुरा से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचने वाली हेमा मालिनी पर बीजेपी ने एक बार फिर भरोसा जताया है. हेमा मालिनी एक बार फिर मथुरा से चुनाव लड़ने को तैयार हैं. बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी जितनी हिट फिल्मों में रही, राजनीति में भी उतनी ही फिट हैं. कई सालों वो राजनीति में सक्रिय हैं और साथ ही अपने फिल्मी प्रोजेक्ट भी करती आई हैं. हेमा मालिनी ने 2004 में बीजेपी ज्वाइन की थी और 2003 से 2009 तक वो राज्यसभा सांसद की रहीं.
शत्रुघ्न सिन्हा
करीब तीन दशक से बीजेपी के साथ रहे शत्रुघ्न सिन्हा अब कांग्रेस का हाथ थामने जा रहे हैं. अपने फिल्मी करियर में शत्रुघ्न सिन्हा ने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दीं और फिर राजनीति में अपनी दूसरी पारी की शुरुआत की. उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई 1984 में जब उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की. 1996 में शत्रुघ्न सिन्हा पहली बार निर्वाचित हुए, 2002 में वो दोबारा राज्यसभा के लिए चुने गए.
2003 से 2004 के बीच वो अटल सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रहे. 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से जीतकर सांसद बने, लेकिन पिछले कुछ सालों में वो अपनी ही पार्टी के शत्रु बन गए, कई मौकों पर वो अपनी ही सरकार की आलोचना करते नजर आए. कड़वाहट इतनी बढ़ गई कि अब शत्रुघ्न बीजेपी के साथ 3 दशकों का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं.
स्मृति ईरानी
छोटे पर्दे पर संस्कारी बहू तुलसी का किरदार निभाकर स्मृति ने घर-घर में पहचान बनाई. राजनीति के लिए स्मृति ने अपना एक्टिंग करियर छोड़ दिया. स्मृति ने 2003 में बीजेपी ज्वाइन किया और 2004 में वो महाराष्ट्र यूथ विंग की वाइस प्रेसिडेंट बन गई.
20014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा, हालांकि स्मृति ये चुनाव हार गईं, लेकिन उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया. 2019 के रण में एक बार फिर स्मृति राहुल गांधी को अमेठी में चुनौती देंगी.
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राज्यसभा में तो फिल्मी कलाकारों को मनोनीत करने का सिलसिला पृथ्वीराज कपूर के दौर से ही चल रहा है, लेकिन लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंचने का ट्रेंड अमिताभ बच्चन, सुनील दत्त से शुरू हुआ.
अमिताभ को रास नहीं आई राजनीति
बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन को उनके दोस्त पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी राजनीति में लेकर आए. अमिताभ ने 1984 में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा और दिग्गज नेता हेमवंती नंदन बहुगुणा को हरा दिया. अमिताभ भले ही चुनाव जीत गए, लेकिन उन्हें राजनीति रास नहीं आई और बोफोर्स घाटोले में नाम आने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. उसके बाद अमिताभ ने दोबारा कभी राजनीति का रुख नहीं किया.
राजेश खन्ना
बॉलीवुड के सबसे पहले सुपरस्टार माने जाने वाले राजेश खन्ना ने भी राजनीति में किस्मत अजमाई, लेकिन रुपहले पर्दे पर हिट राजेश खन्ना पॉलिटिक्स में फ्लॉप हो गए. कांग्रेस ने 1991 में उन्हें नई दिल्ली से बीजेपी के फायर ब्रांड नेता लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ाया, लेकिन वो हार गए. 1992 के उपचुनाव में इसी सीट से राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को चुनाव हराया था. 1996 तक राजेश खन्ना राजनीति में रहें, लेकिन उसके बाद उन्होंने सन्यास ले लिया.
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सुनील दत्त
सुनील दत्त एक ऐसे कलाकार रहे, जो राजनीति में सबसे सक्सेसफुल माने जाते हैं. सुनील दत्त ने अपना पहला चुनाव 1984 में मशहूर वकील राम जेठमलानी के खिलाफ लड़ा था. सुनील दत्त ने इस चुनाव में जेठमलानी को शिकस्त दी. सुनील दत्त पांच बार सांसद रहे, 2004 में उन्हें खेल और युवा मामलों का मंत्री भी बनाया गया था.
गोविंदा ने भी पॉलिटिक्स को कहा ना
90 के दशक के हिट हीरो गोविंदा भी 2004 में कांग्रेस की सीट पर लोकसभा चुनाव लड़े और पांच बार के सांसद रहे और बीजेपी के बड़े नेता राम नाईक को 50 हजार वोटों से हरा दिया. लेकिन गोविंदा राजनीति में अपना स्टारडम बरकरार नहीं रख पाए और 2008 में गोविंदा ने इस्तीफा दे दिया.
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