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लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की महाजीत के साइड इफेक्ट्स केंद्र से राज्यों तक नजर आ रहे हैं. दिल्ली में राहुल रूठे हैं. ममता के यहां कोलकाता में कोहराम मचा हुआ है. कर्नाटक में कांटा फंसा हुआ है. भोपाल से लेकर जयपुर तक सियासी तूफान उठा हुआ है. ऐसा लगता है कि बीजेपी की जीत तो मुकम्मल हो गई लेकिन विपक्ष की हार जारी है. जो हो रहा है वो हार से भी बुरा है. 23 मई को मिली हार, 29 मई आते-आते दरार में बदल गई है. विपक्ष में 'टूट-फूट का वायरस 9 राज्यों यानी कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, मणिपुर और दिल्ली तक फैल चुका है.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कर्नाटक की 28 में से 25 सीटें जीतीं. वहीं सत्ताधारी कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को महज एक-एक सीट मिली. इसके बाद पहले से ही परेशानी में चल रही कांग्रेस-जेडीएस की सरकार की परेशानी और बढ़ गई. सरकार को डर इसलिए है कि क्योंकि वहां सरकार तलवार की धार पर चल रही है.
चुनाव के पहले ही जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन में दरार नजर आ रही थी, लोकसभा चुनाव नतीजों के सामने आने के बाद बीजेपी इस दरार में से अपने लिए सरकार बनाने की जगह निकालना चाहती है.
कर्नाटक का कांटा निकालने के लिए बुधवार को कांग्रेस के सीनियर नेता और राज्य प्रभारी केसी वेणुगपाल ने दिन भर बेंगलुरु में बैठकें कीं. खबर है कि जरकीहोली समेत असंतुष्टों को मनाने के लिए उन्हें मंत्रिपद दिया जा सकता है. लेकिन इसके लिए कुछ मंत्रियों को पद छोड़ने के लिए कहा जा सकता है. ऐसा हुआ तो फिर निकाले गए मंत्रियों में असंतोष पैदा होने का डर होगा. ऊपर से इन बिखरे विधायकों के ‘शिकार’ की ताक में बीजेपी घात लगाकर बैठी है. याद रखिए कि बीजेपी ने खुलेतौर पर कहा था कि गठबंधन के 20 असंतुष्ट विधायक उसके संपर्क में हैं और लोकसभा चुनाव के बाद जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर सकती है.
राज्य में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने सीएम अशोक गहलोत पर पुत्रमोह में पार्टी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया. इसके बाद राजस्थान में अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत हो रही है.
आरोप लगे कि गहलोत ने ज्यादातर रैलियां अपने बेटे वैभव गहलोत के लिए कीं. नौबत यहां तक आई कि पार्टी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि गहलोत ने दूसरे प्रत्याशियों के भी प्रचार किया.
बुधवार को हार पर मंथन के लिए प्रदेश कांग्रेस की बैठक भी हुई. जिसमें राहुल गांधी के अध्यक्ष बने रहने के समर्थन में प्रस्ताव पास हुआ. इससे पहले कांग्रेस नेता रामनारायण मीणा ने चेताया कि अगर जल्द ही फूट को पाटा नहीं गया तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने का खतरा होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान के चार मंत्रियों ने चुनावी हार की समीक्षा पर जोर दिया और गहलोत का नाम लिए बिना मांग की कि हार की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.
जल्द ही राज्य में निकाय और पंचायत चुनाव होने वाले हैं, अगर पार्टी में मतभेद दूर नहीं हुए तो इन चुनावों में पार्टी को नुकसान हो सकता है और अगर लोकसभा चुनाव के बाद लोकल चुनावों में भी पार्टी की हार हुई तो गहलोत सरकार पर दबाव और बढ़ जाएगा.
ऐसा लगता है बीजेपी का मिशन बंगाल लोकसभा चुनावों के साथ खत्म नहीं, शुरू हुआ है. चुनाव में बीजेपी ने बंगाल में अपनी टैली 2 से बढ़ाकर 18 कर ली. TMC 38 से 22 सांसदों पर सिमट गई.
ये सही है कि आज टीएमसी सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन आज जो साख जा रही है वो कल (2021) बड़ा खतरा भी बन सकती है.
2018 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि पार्टी मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव की जंग जीत लेेगी लेकिन हुआ उल्टा. बीजेपी ने 29 में से 28 सीटें जीत लीं. हालांकि सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ जीते, लेकिन पार्टी आलाकमान से फटकार मिली कि कमलनाथ ने अपने बेटे को टिकट देने की जिद मचाई. इसके बाद राज्य में नेतृत्व बदलने की मांग जोर पकड़ने लगी. कमलनाथ फिलहाल सीएम और प्रदेश अध्यक्ष दोनों हैं.
5. बिहार में भी महागठबंधन में झगड़ा शुरू हो गया है. चुनाव में RJD का सफाया हो गया तो कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत पाई. अब वहां के कांग्रेसी खुलेआम कह रहे हैं कि उन्हें RJD के साथ जाने का नुकसान हुआ.
6. पंजाब में आम चुनाव में हालांकि कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन देश स्तर पर हार के बाद सिद्धू और कैप्टन साहब के बीच तकरार तेज हो गई है. चुनाव के पहले कैप्टन कह चुके थे कि सिद्धू उनकी कुर्सी लेना चाहते हैं, चुनाव के बाद उन्होंने कहा - पाकिस्तान आर्मी चीफ से गले मिलने वालों को आर्मी के वेटरन कभी पसंद नहीं करेंगे.
8. दिल्ली में आम आदमी पार्टी में भी कलह शुरू हो गई है. आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा ने अगले साल अपने इस्तीफे की भविष्यवाणी कर दी है. बुधवार को एक ओपन लेटर लिखकर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं से कहा -हम वोटर को ये बताने में नाकाम रहे कि हमें वोट क्यों दें? चुनाव से पहले ही पार्टी के दो विधायक बीजेपी में शामिल हो चुके थे
महाराष्ट्र में हालांकि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार है लेकिन वहां भी विपक्ष में खलबली मची है. बुधवार को ही एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष जयंती पाटिल ने कहा कि बीजेपी उनके विधायकों के शिकार की ताक में है. उनका बयान आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर उनकी असहजता की ओर इशारा करता है. लोकसभा चुनावों में राज्य की 48 सीटों में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने 41 सीटें जीत लीं. एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन को सिर्फ 5 सीटें मिलीं. दो अन्य ने जीतीं.
दिल्ली में सबसे बड़ा हंगामा राहुल गांधी के आवास पर हो रहा है. पार्टी के नेता वहां धरने पर बैठ गए हैं. मांग है कि राहुल अध्यक्ष पद से इस्तीफा न दें. तमाम नेता राहुल को मना चुके हैं लेकिन वो मान नहीं रहे. राहुल को मनाने के लिए लखनऊ में कांग्रेस प्रवक्ता प्रदीप सिंह ने आमरण अनशन शुरू कर दी है.
नया अध्यक्ष कौन होगा इसपर सिंधिया से लेकर सचिन पायलट और केसी वेणुगोपाल के नाम तैर रहे हैं लेकिन इस वक्त इसे सिर्फ कयास कहना ही ठीक होगा. कोई अध्यक्ष न मिला तो अध्यक्ष मंडल बनाने की बात भी हो रही है. यानी कई नेता मिलकर पार्टी संभालेंगे. ऐसा हुआ तो कुल मिलाकर पार्टी और विपक्ष कमजोर ही होगा.
सिर्फ इतना ही नहीं, यूपी में मुलायम परिवार में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. मुलायम अखिलेश को लेकर सख्त हो गए हैं. इससे पहले अखिलेश कई नेताओं की छुट्टी कर चुके हैं.
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Published: 29 May 2019,11:52 PM IST