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MP: SP के साथ आने से कांग्रेस को कितना फायदा होता? BSP का कैसा रहा प्रदर्शन?

Madhya Pradesh Election Results 2023: UP की सीमा से सटे एमपी के कई जिलों में SP और BSP का प्रभाव रहता है. .

पीयूष राय
मध्य प्रदेश चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>SP के साथ आने से कांग्रेस को कितना होता फायदा? BSP का कैसा रहा प्रदर्शन?</p></div>
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SP के साथ आने से कांग्रेस को कितना होता फायदा? BSP का कैसा रहा प्रदर्शन?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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MP Assembly Election Results: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक जीत के साथ दोबारा सरकार बनाने जा रही है. इन चुनावों में समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने क्रमश: 71 और 181 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे.

उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के कई जिलों में समाजवादी पार्टी और बीएसपी का प्रभाव रहता है. इनमें मुरैना, भिंड, दातिया, शिवपुरी, अशोक नगर, सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली जिलों की विधानसभा सीटों पर SP-BSP ने अपने प्रत्याशी उतारे.

SP के लिए 2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव निराशाजनक

अगर नतीजे की तरफ नजर डालें, तो एसपी के लिए 2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव निराशाजनक रहा. पार्टी को किसी भी सीट पर जीत हाथ नहीं लगी और कई ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनकी जमानत जप्त हो गई.

बीएसपी का भी मध्य प्रदेश में कुछ हाल ऐसा ही रहा. पार्टी का विधानसभा चुनाव में खाता नहीं खुल पाया. हालांकि पार्टी के लिए संतोषजनक बात यह थी कई ऐसी सीटें थी, जहां पर इनके प्रत्याशी दूसरे या तीसरे नंबर पर रहे.

शुरुआती रुझानों में पार्टी मध्य प्रदेश में दो सीट, दिमनी और सुमावली पर लगातार बढ़त बनाए रही लेकिन यह बढ़त शाम होते-होते खत्म हो गई.

अगर वोट बैंक की बात करें, तो बीएसपी का प्रदर्शन एसपी से अच्छा रहा. इलेक्शन कमीशन के ताजा आंकड़ों की बात करें, तो मध्य प्रदेश लोकसभा विधानसभा चुनाव में बीएसपी का वोट शेयर 3.3% तो वहीं एसपी का वोट परसेंट 0.45 रहा.

SP ने आधा दर्जन सीटों पर बिगड़ा कांग्रेस का गेम

कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के बनाए गए 'INDIA' गठबंधन के आने के बाद प्रयास लगाए जा रहे थे कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और एसपी एक साथ चुनाव लड़ सकती है. हालांकि, चुनाव के करीब आते ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों के लेकर कोई समझौता नहीं बन पाया. इसके बाद दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से हुए बयानबाजी से यह स्पष्ट हो गया कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे.

चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें सीटों पर समझौते के लिए बातचीत के लिए बुलाया था लेकिन कांग्रेस ने बाद में सभी 230 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए.

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बाद में समाजवादी पार्टी ने भी पलटवार करते हुए मध्य प्रदेश में 71 प्रत्याशी उतारे.

नतीजे में उत्तर प्रदेश बॉर्डर से सटे मध्य प्रदेश के जिलों की कई ऐसी विधानसभा सीटें थी, जहां पर अगर एसपी और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़ती तो शायद नतीजे में फर्क पड़ सकता था. निवाड़ी, चंदला, राजनगर और जतारा जैसी आधा दर्जन ऐसी विधानसभा सीटें है, जहां कांग्रेस की हार का अंतर समाजवादी पार्टी को मिले वोटो से कम है.

BSP-SP का मध्य प्रदेश में क्या रहा है इतिहास?

2003 का प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद में समाजवादी पार्टी को बीस साल बाद निराशा हाथ लगी. 2003 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के सात प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई थी. 2008 चुनाव में यह संख्या 7 से एक रह गई. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी सिर्फ एक प्रत्याशी को जीत मिली थी.

इस बार पार्टी प्रदेश में खाता भी नहीं खोल पाई.

वहीं अगर बीएसपी की बात करें, तो SP के मुकाबले पार्टी का प्रदर्शन मध्य प्रदेश में बेहतर रहा है. 1993 विधानसभा चुनाव में पार्टी के 11 प्रत्याशियों को जीत मिली. 1998 की विधानसभा चुनाव में पार्टी का सीटों के मामले में प्रदर्शन बरकरार रहा और एक बार फिर पार्टी के 11 प्रत्याशी चुनकर विधानसभा गए. 2008 के विधानसभा चुनाव से पार्टी के प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखी गई. 2008, 2013 और 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीएसपी के क्रमश: सात, चार और दो प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई.

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