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हिसाब-किताब: "मध्य प्रदेश अब बीमारू राज्य नहीं", अमित शाह के दावों में कितना दम?

Madhya Pradesh के सीएम शिवराज सिंह चौहान बोले, पिछले 15 सालों में MP ने बीमारू राज्य से विकासशील राज्य के रूप में उभरने का सफर तय किया है.

प्रतीक वाघमारे
मध्य प्रदेश चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>"मध्य प्रदेश अब बीमारू राज्य नहीं": कितना बीमार है MP | हिसाब-किताब</p></div>
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"मध्य प्रदेश अब बीमारू राज्य नहीं": कितना बीमार है MP | हिसाब-किताब

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh) के प्रचार के दौरान अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि बीजेपी (BJP) सरकार ने इन सालों में सफलतापूर्वक राज्य से बीमारू (पिछड़ा) - BIMARU टैग को हटा दिया है.

लेकिन क्या आपको पता बीमारू राज्य का मतलब क्या है, इसका इस्तेमाल क्यों किया गया था और क्या वाकई में मध्य प्रदेश बीमारू राज्य है या नहीं? चलिए हिसाब किताब करते हैं.

अमित शाह ने कहा कि, "मध्य प्रदेश 1956 में अस्तित्व में आया और तब से पांच-छह सालों को छोड़कर, कांग्रेस ने 2003 तक राज्य पर शासन किया, लेकिन उनके शासन के दौरान राज्य बीमारू बना रहा." उन्होंने कहा, "हालांकि, बीजेपी सरकार ने सफलतापूर्वक राज्य को बीमारू टैग से बाहर निकाला है और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लागू करके विकास के पथ पर आगे बढ़ाया है."

बीमारू - BIMARU का क्या मतलब है?

भारत में मध्य प्रदेश समेत कुछ राज्य ऐसे हैं जहां विकास बहुत ही निम्न स्तर पर हुआ है, इन्हें पूर्व में बीमारू राज्य का नाम दिया गया था.

बीमारू शब्द "बीमार" से निकला है जिसका मतलब है बीमार या अस्वस्थ. लेकिन जब आप बीमारू को अंग्रेजी की वर्णमाला में पढ़ेंगे - BIMARU - तो ये 4 राज्यों के बारे में बताता है कि वे बीमार हैं, जो हैं: बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश.

कब और कैसे आया BIMARU शब्द?

यह शब्द दिवंगत जनसांख्यिकी विशेषज्ञ (जनसांख्यिकी विशेषज्ञ वह होता है जो जनसंख्या और उसमें होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करता है) आशीष बोस द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सौंपे गए एक रिसर्च पेपर में गढ़ा गया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उस समय तक, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड राज्य अलग-अलग राज्य नहीं थे.

2007 में इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के लिए एक लेख में बोस ने बताया था कि, "मैंने 1985 में ही भारत की जनसांख्यिकीय बीमारी को दिखाने के लिए यह शब्द गढ़ा था, जब मुझसे भारत के परिवार नियोजन कार्यक्रम के बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री को जानकारी देने के लिए कहा गया था."

बोस ने आगे लिखा था कि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रजिस्ट्रार जनरल के अनुमान के मुताबिक, बीमारू राज्य आज भी बीमारू बने हुए हैं और इससे भी बुरी बात यह है कि ये राज्य 25 साल बाद भी बीमारू बने रहेंगे.

बोस ने आगे लिखा था कि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रजिस्ट्रार जनरल के अनुमान के मुताबिक, बीमारू राज्य आज भी बीमारू बने हुए हैं और इससे भी बुरी बात यह है कि ये राज्य 25 साल बाद भी बीमारू बने रहेंगे.
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क्या मध्य प्रदेश आज भी बीमारू है?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछले 15 सालों में मध्य प्रदेश ने बीमारू राज्य से विकासशील राज्य के रूप में उभरने का सफर तय किया है. राज्य जल्द ही भारत के विकसित राज्यों की सूची में होगा. उन्होंने आगे कहा कि 19.70 फीसदी की विकास दर के साथ मध्य प्रदेश देश का सबसे तेजी से विकास करने वाला राज्य है.

"भारतीय अर्थव्यवस्था में राज्य का योगदान 2.6 प्रतिशत से बढ़कर 3.6 प्रतिशत हो गया है. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में काम कर रहे हैं. 15 साल का सफर देखें तो हम बीमारू राज्य कहलाते थे. मध्य प्रदेश बीमारू राज्य से बाहर निकलकर विकासशील राज्य बन गया है.”
सीएम शिवराज सिंह चौहान

यहां समझे MP की स्थिति

  • द प्रिंट के एक विश्लेषण के अनुसार, मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था 2011-12 और 2021-22 के बीच औसतन लगभग 6.65% प्रति वर्ष की दर से बढ़ी है.

  • 1 ट्रिलियन से बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्यों के बीच मध्य प्रदेश 2011-12 और 2021-22 में चौथे नंबर पर रहा.

  • हालांकि, एमपी ने विकास की गति तो पकड़ी लेकिन राज्य एक इंडस्ट्रियल राज्य में नहीं बदला है. इसकी बजाय, मध्य प्रदेश अधिक कृषि प्रधान बन गया है.

  • वहीं अपने पांच पड़ोसी राज्यों की तुलना में, एमपी की जीएसडीपी वृद्धि (GDP) गुजरात के बाद दूसरे स्थान पर है, राजस्थान (5.45 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (5.41 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (5.22 प्रतिशत) और महाराष्ट्र (4.71 प्रतिशत) है.

  • लेकिन, ये ग्रोथ प्रति व्यक्ति आय के मामले में मध्य प्रदेश को फायदा नहीं पहुंचा पाई. 1 ट्रिलियन रुपये और उससे अधिक की जीएसडीपी वाले 21 राज्यों में से, यह 2011-12 में 18वें स्थान पर था. तब से 1.2 लाख रुपये प्रति व्यक्ति आय के साथ राज्य 2021-22 में 18वें से 16वीं रैंक तक ही पहुंच पाया है.

  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में औसतन प्रति व्यक्ति आय 1.48 लाख रुपये है.

  • अपने पड़ोसियों की तुलना में मध्य प्रदेश अभी भी इस मामले में छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से बेहतर है लेकिन गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान से अभी भी पीछे है.

इन सब बातों का मतलब अगर आपको एक लाइन में बताया जाए तो राज्य ने विकास किया है लेकिन यहां के लोगों का विकास होना अभी भी बाकी है.

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