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मिजोरम विधानसभा चुनाव (Mizoram Assembly Election) की 40 विधानसभा सीटों पर आज यानी 7 नवंबर 2023 को मतदान हो रहा है. वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी. इस बार मिजोरम का चुनाव बेहद दिलचस्प है. क्योंकि अबतक मिजोरम में मुख्य मुकाबला जोरमथांगा की सत्तारूढ़ पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है. इस बार जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है. लेकिन, मिजोरम का विधानसभा चुनाव अन्य राज्यों के मुकाबले अलग तरीके से होता है, वो कैसै, चलिए जानते हैं.
मिजोरम के साथ ही 4 अन्य राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव हो रहा है. लेकिन जहां एक तरफ इन राज्यों में विशाल जनसभाएं, बड़ी रैलियां, पोस्टर और बैनर की शोर है, तो दूसरी तरफ मिजोरम इस मामले में सबसे अलग है. और इतना अलग कि यह मिजोरम की चुनावी प्रक्रिया को सबसे अनोखा बना देता है. यहां प्रचार की एक खास प्रक्रिया है, और बीते कुछ सालों में इस प्रक्रिया को सामने लाकर 'मिजोरम पीपुल्स फोरम' (एमपीएफ) काफी चर्चा में है.
2003 के मिजोरम विधानसभा चुनाव में भारी भरकम खर्च को देखते हुए भारत के सबसे बड़े चर्च संघ यानी प्रेस्बिटेरियन चर्च ऑफ इंडिया (PCI) द्वारा 2004 की मिजोरम धर्मसभा में इसे गंभीरता से लिया गया और प्रत्येक चर्च एसोसिएशन, नागरिक समाज और स्वैच्छिक संघों की बैठक के बाद 21 जून, 2006 को मिजोरम पीपुल्स फोरम (MPF) की स्थापना की गई है. जिसका मुख्य उद्देश्य स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करना है और साथ ही नागरिकों को धन और बाहुबल के प्रभाव के बिना स्वतंत्र रूप से अपने मताधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाना है.
नागरिक समाज, चर्च के संगठनों और राजनीतिक दलों के बीच 2008 में पहली बार एक समझौता हुआ था. पांच पेज का यह समझौता यहां चुनाव संचालन का मार्गदर्शन करता है. एमपीएफ की चुनाव प्रचार गतिविधियां भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी आदर्श आचार संहिता के दिशानिर्देशों पर ही आधारित हैं.
एमपीएफ और राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच समझौता ज्ञापन के अनुसार भव्य दावतें, संगीत बैंड, रोड शो, घर-घर अभियान, अलग-अलग सार्वजनिक रैलियां, झंडे और पोस्टर वार, राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित विशेष सार्वजनिक बैठकें और पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा शोर-शराबे वाले नारे लगाना सख्ती से प्रतिबंधित हैं.
मिजोरम पीपुल्स फोरम, आमतौर पर निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक इलाके में एक साझा मंच की व्यवस्था करता है. जहां क्षेत्र के समर्थक और मतदाता उपस्थित होते हैं और उम्मीदवारों को धैर्यपूर्वक सुनते हैं. कार्यक्रम के दौरान सभी उम्मीदवारों को मतदाताओं के बीच अपने एजेंडे और कैंपन स्पीच देने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है.
हालांकि, उम्मीदवारों को किसी पर व्यक्तिगत हमले, अन्य दलों की अनावश्यक आलोचना, झूठे प्रचार करने की मनाही होती है. एमपीएफ यह सुनिश्चित करता है कि ये आयोजन सभ्य तरीके से किए जाएं.
मिजोरम पीपुल्स फोरम ना सिर्फ चुनावी रैली की जगह और समय सीमा तय करता है बल्कि झंडों और पोस्टरों की संख्या और साइज भी तय करी है. चुनावी आचार संहिता के मामले में फोरम के निर्देशों की अनदेखी किसी उम्मीदवार की हार की वजह बन सकता है.
मिजोरम विधानसभा के इस चुनाव में 174 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल की है, जिसमें 15 महिलाएं हैं. महिला उम्मीदवारों में से तीन बीजेपी से हैं, और दो-दो सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (MNF), कांग्रेस और जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) से हैं, जबकि अन्य स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रही हैं.
मिजोरम की 4,12,969 पुरुषों और 4,38,925 महिलाओं सहित 8,52,088 मतदाताओं के लिए 40 सीटों पर 1,276 मतदान केंद्रों का निर्माण किया गया है.
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