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नरेंद्र मोदी के साथ-साथ उनके मंत्रियों (Modi Cabinet) ने 9 जून को शपथ ली. लेकिन इनमें से दक्षिणी राज्यों से कितने मंत्री हैं? गिनती करने पर पता चलता है कि पांच दक्षिण भारतीय राज्य - केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से पांच कैबिनेट मंत्रियों और आठ राज्य मंत्रियों ने मोदी 3.0 सरकार में शपथ ली है.
दो मंत्री पद तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) से हैं और एक जनता दल (सेक्युलर) से है. दोनों ही भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगी हैं. चलिए विस्तार से बताते हैं.
कर्नाटक से, बीजेपी की निर्मला सीतारमण और प्रल्हाद जोशी ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि शोभा करंदलाजे और वी सोमन्ना को राज्य मंत्री पद मिला. जेडी (एस) प्रमुख और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को भी कैबिनेट पद मिला है.
तेलंगाना से, वरिष्ठ बीजेपी नेता जी किशन रेड्डी ने कैबिनेट मंत्री और और बंदी संजय कुमार राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली.
आंध्र प्रदेश से, टीडीपी के राम मोहन नायडू को कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया, चंद्र शेखर पेम्मासानी को राज्य मंत्री का पद मिला. राज्य से बीजेपी सांसद भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है.
तमिलनाडु से केवल एल मुरुगन ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली, जो राज्यसभा सांसद और राज्य के पूर्व बीजेपी प्रमुख हैं. तमिलनाडु बीजेपी के मौजूदा प्रमुख अन्नामलाई का नाम मंत्री पद के लिए चर्चा में था लेकिन उन्हें कोई पद नहीं दिया गया, लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस राज्य में कोई सीट नहीं मिली.
कर्नाटक से राज्यसभा सांसद और पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मोदी 3.0 कैबिनेट में वापसी हो गई है. पांच बार के धारवाड़ सांसद प्रल्हाद जोशी की भी वापसी हुई जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में 97,000 से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीता था.
कुमारस्वामी ने लोकसभा का चुनाव मांड्या से लड़ा था. ये पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बेटे हैं और 2006 से 2007 और 2018 से 2019 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. बता दें कि प्रज्वल रेवन्ना कुमारस्वामी के भतीजे हैं जिन पर यौन शोषण जैसे गंभीर आरोप लगे हैं. रेवन्ना अपनी सीट हार चुके हैं.
शोभा करंदलाजे की मंत्री परिषद में वापसी हुई है जो मोदी 2.0 सरकार में भी राज्य मंत्री थीं. करंदलाजे, उडुपी चिकमगलूर की एक प्रमुख चेहरा हैं. शोभा को पार्टी में विद्रोह के कारण बेंगलुरु नॉर्थ से चुनाव लड़ाया था.
कर्नाटक के तुमकुर से बीजेपी सांसद वी सोमन्ना मोदी सरकार में नया चेहरा हैं. हालांकि, उन्होंने कर्नाटक में लगातार बीजेपी सरकारों में काम किया है.
राम मोहन नायडू तीन बार के टीडीपी सांसद हैं. 36 साल की उम्र में, वह मोदी 3.0 कैबिनेट में कम उम्र के मंत्रियों में से एक भी हैं. वह पूर्व टीडीपी नेता और केंद्रीय मंत्री येरन नायडू के बेटे हैं, जो संयोग से 1996 के एचडी देवेगौड़ा मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र के मंत्री थे.
2012 में अपने पिता के निधन के बाद, उन्होंने 26 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा. 2014 के लोकसभा चुनाव में श्रीकाकुलम सीट जीती और 2019 में वे अपनी सीट बरकरार रखने वाले कुछ टीडीपी सांसदों में से एक थे.
48 वर्षीय पेम्मासानी गुंटूर के रहने वाले हैं और उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई की है. पेशे से वे चिकित्सक हैं, उन्होंने जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी-सिनाई अस्पताल में लगभग पांच वर्षों तक काम किया है. वह एक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म 'यूवर्ल्ड' के फाउंडर भी हैं.
केरल में बीजेपी का खाता खोलने वाले सुरेश गोपी को केंद्रीय मंत्री पद मिलना स्वाभिक है. वे अपने चुनावी अभियान में कहते रहते थे कि 'त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र से एक केंद्रीय मंत्री होना चाहिए'.
राज्यसभा सांसद, गोपी ने अपनी जीत से पहले त्रिशूर से दो बार चुनाव लड़ा था - पहली बार 2019 और दूसरी बार 2021 के विधानसभा चुनाव में.
गोपी को कांग्रेस का किला तोड़ने में मदद करने वाले प्रमुख फैक्टर में से एक उच्च जाति के हिंदुओं और ईसाइयों के एक वर्ग का समर्थन था.
राजीव चन्द्रशेखर को इस बार मंत्री पद नहीं मिला. इन्होंने अपना पहला चुनाव तिरुवनंतपुरम निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा और कांग्रेस के शशि थरूर से हार गए. मोदी 2.0 सरकार में ये सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री थे, तब ये राज्यसभा सांसद थे.
सिकंदराबाद से दो बार सांसद रहे जी किशन रेड्डी ने तेलंगाना में बीजेपी के वोट पर्सेंट को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाई है. मोदी 2.0 सरकार में, उन्होंने भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के पर्यटन, संस्कृति और विकास मंत्री के रूप में काम किया. वह इस बार भी कैबिनेट में शामिल हैं.
उन्होंने 2023 में तेलंगाना बीजेपी प्रमुख के रूप में पदभार संभाला - उनके नेतृत्व में, पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनावों में आठ सीटें जीतीं और अपनी लोकसभा सीटों की संख्या 2019 के मुकाबले चार से बढ़ाकर 2024 में आठ कर ली.
वहीं करीमनगर से दो बार के सांसद बंदी संजय कुमार मोदी सरकार में एक नया चेहरा हैं.
किशन रेड्डी के सत्ता संभालने तक संजय कुमार तेलंगाना में बीजेपी प्रमुख रहे. ये लोकप्रिय ओबीसी नेता हैं, जिन पर कई बार अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण का आरोप लगाया गया है.
उन्होंने 2023 का विधानसभा चुनाव करीमानगर से लड़ा लेकिन भारत राष्ट्र समिति से हार गए. राज्य मंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति, शायद, बीजेपी तेलंगाना में एकजुटता सुनिश्चित करने के लिए की गई है. वैसे भी दक्षिण भारत में बीजेपी अपना वोट बढ़ाना चाहती है.
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