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Punjab Assembly Election Result: पंजाब के लोगों ने अपना जनादेश दे दिया है. 117 विधानसभा वाले पंजाब में AAP को 92 सीटें मिली हैं. कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की है तो वहीं शिरोमणी अकाली दल ने 4 सीटों पर कब्जा जमाया है. जबकि, बीजेपी 2 और अन्य के खाते में 1 सीट गई है. ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि इस जनादेश का मतलब क्या है. आइए कुछ प्वॉइंट के जरिए आपको समझाने की कोशिश करते हैं.
एक अलग धार्मिक पहचान रखने वाला राज्य अगर गैर सिख नेता की पार्टी को बहुमत देता है, तो ये साबित करता है कि पंजाब के लोगों ने जाति, धर्म से ऊपर उठकर वोट दिया है. जिसका नतीजा आपके सामने है.
नवंबर 1966 से साल 2022 तक पंजाब के लोगों ने सिर्फ दो ही सरकारें देखीं हैं. पहली, कांग्रेस नहीं तो दूसरी शिरोमणी अकाली दल. इसके अलावा पंजाब को कई दूसरा विकल्प नहीं मिला. ऐसे में जब पंजाब को आम आदमी पार्टी के तौर पर विकल्प मिला तो उसने ये मौका हाथ से निकलने नहीं दिया और आप को दिल खोलकर वोट लुटाया.
इस बात से कोई असहमत नहीं होगा कि अरविंद केजरीवाल का पंजाब दूसरा डेस्टीनेशन है. दिल्ली के बाद केजरीवाल हमेशा से पंजाब पर ही डेरा डालते रहे हैं. पांच राज्यों के चुनाव में केजरीवाल ने पंजाब को हमेशा ऊपर रखा, जिसका नतीजा सामने है. केजरीवाल ने पंजाब में सबसे पहले दिल्ली मॉडल को पेश करने की बात की. फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री....फ्री....सब फ्री....वहीं, पंजाब की जनता ने भी दिल्ली मॉडल को सर्वोपरि रखते हुए कांग्रेस और कई बार सत्ता में रही अकाली दल को नकार दिया है और AAP को राज्य की बागडोर सौंप दी.
चुनाव से पहले हुए किसान आंदोलन ने आप के लिए सोने पर सुहागा का काम किया. पंजाब में वैसे भी बीजेपी का कोई जनाधार नहीं था. अगर था तो शिरोमणी अकाली दल का जो बीजेपी का एक लंबे समय से पार्टनर था. ऐसे में इन दोनों से नाराज किसानों ने केजरीवाल का रूख किया. क्योंकि, किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली हरियाणा के बॉर्डर पर धरनारत किसनों की केजरीवल ने मदद पहुंचाई थी, जिसका नतीजा चुनाव परिणाम में प्रचंड बहुत में दिखने को मिला. वहीं, युवाओं ने भी बढ़ चढ़कर आम आदमी को वोट दिया है.
कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का फायदा आप को मिला है. पहले तो सिद्धू के बागी तेवर देख कांग्रेस ने सीएम अमरिंदर सिंह को हटाया और फिर चन्नी को ले आई. लेकिन, अब दिख रहा है कि न तो सिद्धू की गेंद चली और न ही बल्ला और उनकी टीम कांग्रेस आउट होकर पवेलियन यानी सत्ता से बाहर हो चुकी है.
पंजाब ने अपने यहां एक ऐसी पार्टी को एंट्री दे दी है, जो बीजेपी और कांग्रेस का विकल्प बनने का सपना देख रही है. इस दृष्टि से पंजाब में आप की सफलता को देश में बदलाव की राजनीति का गेट-वे कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
पंजाब चुनाव के आए नतीजों ने ये साबित कर दिया है कि आने वाले वक्त में भारत की राष्ट्रीय राजनीति में दो प्रमुख निहितार्थ होंगे. हालांकि, AAP अभी भी एक छोटी पार्टी है. लेकिन, एक राष्ट्रीय पद चिन्ह वाली पार्टी बनकर उभरी है. ये दिल्ली की सत्ता पर काबिज है और अब पंजाब में भी सत्तासीन हो गई है. उत्तराखंड और गोवा में भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा दी है. गोवा में 2 सीटों के साथ AAP ने खाता खोल दिया है. यूपी चुनाव में भी केजरीवाल के सिपहसलार संजय सिंह ने खूब मेहनत की. राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में भी वह तेजी से अपना संगठन फैला रही है. पार्टी को उम्मीद है कि इसके नेता अरविंद केजरीवाल की छवि और कद पर राष्ट्रीय राजनीति में कोई चत्मकार जरूर होगा.
पंजाब चुनाव नतीजों से साफ हो गया है कि अब केजरीवाल देश की सियासत को साधने के लिए तैयार हैं. ये तस्वीर 31 मार्च को और साफ हो जाएगी, जब राज्यसभा की 5 सीटों के परिणाम सामने आएंगे. दरअसल, पंजाब में राज्यसभा की 7 सीटें हैं, जिनमें से 5 सीटों पर 31 मार्च को चुनाव होंगे और उसी दिन शाम 5 बजे तक परिणाम भी आ जाएंगे. फिलहाल, राज्य सभा में AAP के तीन सांसद हैं. जिनमें, संजय सिंह, एनडी गुप्ता और सुशील गुप्ता शामिल हैं. ऐसे में चुनाव नतीजों से साफ हो गया है कि राज्यसभा में भी AAP की उपस्थिति अच्छी खासी हो जाएगी.
मोदी के विकल्प के तौर पर केजरीवाल खुद पेश करना चाहते हैं इसका एक सबूत ये है कि अगले गुजरात चुनाव में दमदारी से उतरने जा रहे हैं. साल 2020 में सूरत नगर पालिका के चुनावों में 27 सीटें हासिल करके उनकी पार्टी ने यह तो बता ही दिया है कि गुजरात में उनके लिए जमीन है. यदि गुजरात चुनाव में भी केजरीवाल कोई चमत्कारी प्रदर्शन कर जाते हैं तो फिर यह निश्चित है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर खुद को मोदी के विकल्प के चेहरे के तौर पर प्रस्तुत करने से पीछे नहीं हटेंगे.
जब हम कह रहे हैं कि पंजाब चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बनकर आए हैं, तो ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर कैसे? तो बता दें, कि एक-एक कर हर राज्य से कांग्रेस अपनी सत्ता खोती जा रही है. साथ ही विपक्ष के तौर पर भी उसपर खतरा मंडराने लगा है. अगर, आप की ताकत बढ़ती है तो सबसे ज्यादा खतरा कांग्रेस को होगा. नेतृत्व के नाम पर भी यह पहले से बैकफुट पर है. ऐसे में कांग्रेस ने केजरीवाल के लिए देश में दूसरे सबसे बड़े विकल्प बनने के मौके खोल दिए हैं.
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