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गुरमीत के डेरे में वोटों का कुनबा, राम रहीम ने किससे किया चुनाव का 'सच्चा सौदा'

पंजाब में डेरा सच्चा सौदा के हजारों डेरे हैं. यह डेरा राज्य की 56 सीटों पर काफी प्रभावी है.

राजकुमार खैमरिया
पंजाब चुनाव
Updated:
<div class="paragraphs"><p>  गुरमीत राम रहीम&nbsp;</p></div>
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गुरमीत राम रहीम 

(फोटो: Twitter/@GurmeetRamRahim)

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पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) में हो रहे मतदान के दौरान एक समीकरण की चर्चा हर ओर हो रही है कि इन चुनावों में हाल ही में फर्लो पर जेल से बाहर आया रेप की सजा काट रहा कथित संत गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) और उसका डेरा किस पार्टी का समर्थन करने जा रहे हैं. इस सवाल का उठना निरर्थक नहीं है, क्योंकि पंजाब में डेरा पॉलिटिक्स बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस राज्य में हजारों की तादाद में डेरे हैं जिनका सामाजिक के साथ राजनीतिक भी काफी महत्व है. हर जाति-वर्ग के लोग इन डेरों से जुड़े हैं और डेरे से जारी आदेश के बाद उनके फॉलोअर्स द्वारा वोटिंग का निर्णय लिया जाता है.

बात करें गुरमीत राम रहीम के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा की ताकत की तो पंजाब में इसके डेरों की संख्या करीब 10 हज़ार हैं. पूरे भारत में 6 करोड़ अनुयायियों वाले इस डेरे का प्रभाव राज्य की कुल 117 सीटों में से 56 सीटों पर बेहद प्रभावी हैं. चंडीगढ़ स्थित इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन की रिसर्च में इस डेरे की इस राजनैतिक ताकत का उल्लेख है. ऐसे में इस डेरे के वोटों का एक दो परसेंट का स्विंग भी सत्ता के समीकरण बदल सकता है.

मालवा सिरसा डेरे का गढ़

पंजाब के जिस मालवा रीजन में सबसे ज्यादा 69 सीटें आती हैं वहां इस डेरे को 35-40 सीटों पर मजबूत माना जाता हैं. मालवा को ही राज्य में सत्ता की कुर्सी का रास्ता बताया जाता है और इस अंचल में आने वाले फिरोजपुर, मोगा, अबोहर, फाजिल्का, बठिंडा, पटियाला, फरीदकोट, मुक्तसर, मानसा, लुधियाना,संगरूर, बरनाला, फतेहगढ़ साहिब और मलेरकोटला जिलों में इस डेरे का वोट बैंक काफी असरकारी होता है. बड़े जिलों में भी इसके अनुयायी काफी तादाद में हैं. फिरोजपुर में 90 हजार, जबकि फाजिलका में डेरा सच्चा सौदा के करीब 58 हजार फॉलोअर्स हैं.

उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में 20 साल की सजा हुई है. पत्रकार छत्रपति हत्याकांड और रणजीत हत्याकांड में भी वह सजा काट रहा है. 2017 से वह हरियाणा की सुनारिया जेल में बंद है. पंजाब के चुनाव से कुछ दिन पहले इसे 21 दिन की फर्लो मिली है जो 7 फरवरी को शुरू हुई और 28 फरवरी तक चलेगी.

क्या है डेरे का राजनीतिक गणित ?

गुरमीत राम रहीम के डेरे सच्चा सौदा में एक पॉलिटिकल कमेटी है. ऐसा बताया जाता है कि वह चुनावों में किसी एक दल को सपोर्ट करने के बारे में सहमति देती है. हालांकि यह समिति भी गुरमीत के आदेश ही पालन करती है. जब गुरमीत की ओर से फाइनल सपोर्ट की बात कह दी जाती है तो यह समिति लाखो फॉलोवर्स को मैसेज बढ़ा देती है और उसी का पालन यह फॉलोअर्स करते हैं. इस बार डेरा अपने निर्णय को खुलकर नहीं बता रहा, इसे गाेपनीय ही रखा जा रहा है. डेरा अनुयायियों को मुंह-जुबानी मैसेज पहुंचाया जा रहा है. यह मैसेज कोड वर्ड के रूप में फॉलोअर्स को भेजा जाता है.

मैसेज जारी, पर उजागर नहीं

डेरे से जुड़े सूत्रों के अनुसार आज सुबह तक तो डेरा की ओर से यह मैसेज जारी ही कर दिया गया होगा कि किस पार्टी को वोटिंग करना है. पर डेरे के ये धुर अनुयायी यह बताने को तैयार नहीं कि किस पार्टी को डेरे ने सपोर्ट किया है. अंदरखाने से यह बात भी निकल कर सामने आई है कि इस बार डेरा सच्चा सौदा किसी एक पार्टी को सपोर्ट करने की जगह सीट वाइज प्रत्याशियों का समर्थन कर रहा है. समर्थन की बात को गुपचुप रखने का एक कारण यह भी है कि कहीं राम रहीम को चुनाव से पहले सोचे समझे तरीके से फर्लो दिलाकर मैदान में उतारने के आरोप बीजेपी पर भी लग सकते हैं. डेरे के अनुयायी राजनीतिक समर्थन पर इसलिए भी पर्दा डाले रखना चाहते हैं, क्योंकि यह उजागर होने पर उनके आका राम रहीम की पैरोल एवं अन्य कानूनी सुविधाओं में अड़चन खड़ी हो सकती है.

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कैसी है राज्य की डेरा पॉलिटिक्स

पंजाब राज्य में 117 विधानसभा सीटें पर चुनाव लड़ा जा रहा है और इनमें से 93 सीटों पर सीधे-सीधे डेरों का प्रभाव माना जाता है. पंजाब में कुल वोटरों की संख्या लगभग 2.12 करोड़ के आसपास है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार इन वोटर्स में से 53 लाख लोग यानी कि कुल वोटर संख्या का 25% के आसपास किसी ना किसी डेरे से संबंधित हैं. पंजाब के तीनों बड़े अंचल मालवा, दोआबा और माझा में ऐसे डेरे फैले हुए हैं और यह सियासी जीत-हार की तकदीर लिखने में बहुत रोल निभाते हैं.

पूरे पंजाब का मोटा अंदाजा लगाया जाए तो यहां ऐसे डेरों की सवा लाख शाखाएं हर गांव शहर में फैली हुई हैं. डेरों के बारे में चाहे कितने विवाद फैलें पर ग्रामीण आबादी तो अभी भी इन डेरों से जुड़ी हुई है. राज्य के 12,000 से ज्यादा गांवों में इन डेरों की मजबूत पकड़ है. गुरमीत के डेरे की पकड़ की राजनीतिक पकड़ का विश्लेषण हम ऊपर के बॉक्स में कर चुके हैं पर उसके डेरे के अतिरिक्त जिन डेरों की वोटों पर पकड़ हैं

उनमें राधा स्वामी सत्संग, डेरा नूरमहल, डेरा निरंकारी, डेरा सचखंड बल्लां, डेरा नामधारी, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आदि प्रमुख हैं. दिव्य ज्योति जागृति संस्थान और नामधारी डेरे का माझा अंचल की सीटों पर प्रभाव है, वहीं सचखंड बल्लां दोआबा क्षेत्र के जालंधर, कपूरथला जैसे जिलों की विधानसभा सीटों पर अपने फॉलोअर्स के जरिए प्रभाव डालने में सक्षम है. अमृतसर और तरनतारन जिले के अंतर्गत की 8 सीटों पर संत निरंकारी जीत हार का गणित तय करने में सक्षम है. वहीं राधा स्वामी सत्संग व्यास भी प्रदेश में 10-12 सीटों पर प्रभावी कहा जा सकता है.

कब-कब निभाई गुरमीत के डेरे ने भूमिका

  • सन 2007 में गुरमीत ने कांग्रेस को समर्थन दिया इससे सत्ता की कुर्सी कहे जाने वाले मालवा इलाके में अकाली को तगड़ा नुकसान हुआ और कांग्रेस जीत गई.

  • साल 2009 के लोकसभा चुनाव में गुरमीत का डेरा सच्चा सौदा अकालियों के पाले में खड़ा हो गया.

  • साल 2017 के विधानसभा चुनावों में राम रहीम के डेरे ने शिरोमणि अकाली दल का समर्थन किया था. इसी समर्थन के बूते एंटी इनकंबेंसी फैक्टर झेल रही अकाली पार्टी का सूपड़ा साफ होने से बच गया था और उसे 25 प्रतिशत तक वोट मिल गए थे.

  • हरियाणा में 2014 और 2019 के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की जीत में भी डेरा सच्चा सौदा ने एक बड़ी भूमिका निभाई थी.

  • 2014 के लोकसभा चुनावों में डेरा सच्चा सौदा ने अकाली उम्मीदवार हरसिमरत कौर बादल को बठिंडा से जिताने में बड़ा रोल निभाया था.

हरियाणा, दिल्ली में भी असर

गुरमीत का डेरा पंजाब के चुनाव में कितना असर डालेगा यह तो रिजल्ट का वक्त ही बताएगा, पर पंजाब के अलावा हरियाणा व दिल्ली जैसे राज्यों में इस डेरे के समर्थन का राजनीतिक असर पड़ने की बात से कोई इनकार नहीं कर सकता. पिछले हरियाणा चुनाव के रिजल्ट के बाद आई कई मीडिया रिपोर्ट ने तो इस बात की पुष्टि की थी कि डेरा सच्चा सौदा के समर्थन ने हरियाणा में भाजपा को जिताने में निर्णायक भूमिका निभाई थी. खुद हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने चुनावी जीत के बाद बयान देकर कहा था कि गुरमीत राम रहीम के समर्थन ने ही हमें जिताया है. इसके अलावा डेरा से जुड़े लाखों अनुयायी दिल्ली में भी रहते हैं तो यह वहां के चुनावों में भी अहम भूमिका निभाता है.

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Published: 20 Feb 2022,04:28 PM IST

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