Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Punjab election  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019EXIT POLL:बढ़ेगी केजरीवाल की ताकत-बदलेगी देश की सियासत, मोदी के लिए 9 चुनौतियां?

EXIT POLL:बढ़ेगी केजरीवाल की ताकत-बदलेगी देश की सियासत, मोदी के लिए 9 चुनौतियां?

अरविंद केजरीवाल (AAP) खुद को मोदी (Modi) के विकल्प के तौर पर पेश करना चाहते हैं.

राजकुमार खैमरिया
पंजाब चुनाव
Updated:
<div class="paragraphs"><p>पंजाब से देश की सियासत में AAP की एंट्री</p></div>
i

पंजाब से देश की सियासत में AAP की एंट्री

फोटो : Altered by Quint

advertisement

पांच राज्यों के एग्जिट पोल (Exit Poll) ने यहां बनने वाली सरकारों के संकेत देने के साथ देश में भविष्य की राजनीति बदलने के भी कुछ बड़े संकेत दिए हैं. ऐसा सबसे स्ट्रांग संकेत हमें पंजाब के एग्जिट पोल से मिल रहा है,जहां लगभग सभी एग्जिट पोल्स ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को बहुमत के पार पहुंचाया है. केजरीवाल के बढ़ते कद से पंजाब और देश की राजनीति में होने वाले बदलाव को इन बिंदुओं के जरिए समझ सकते हैं.

पंजाब में कुछ नया हो रहा है

एक राज्य जिसकी एक धार्मिक पहचान है, वो एक गैर सिख नेता की पार्टी को बहुमत देती है तो ये नई बात होगी. दूसरी बात ये है कि आम आदमी पार्टी (AAP) को दिल्ली की पार्टी बताया जा रहा था. उसका पंजाब में जाकर इतना अच्छा प्रदर्शन बताता है कि पंजाब की जनता अकाली, कांग्रेस और बीजेपी की तिकड़ी से ऊब चुकी है. भले ही इस राज्य में आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, पर इससे कोई इंकार नहीं कर सकता कि पंजाब के वोटर ने अरविंद केजरीवाल के नाम और उनके दिल्ली मॉडल को देखते हुए ही वोट दिया है.

विपक्ष का चेहरा केजरीवाल?

केजरीवाल दिल्ली से बाहर अपनी छाप छोड़ने की कोशिश में काफी लंबे समय से थे. पंजाब के परिणाम उन्हें खुद को एक बड़ा राष्ट्रीय विकल्प प्रस्तुत करने की दिशा में काफी मदद कर सकते हैं. दिल्ली के बाद पंजाब का किला जीतने के बाद हो सकता है कि वो विपक्ष का सबसे चेहरा बन जाएं. ममता 2024 में विपक्ष का चेहरा बनने की कोशिश कर रही हैं, जाहिर है अब उन्हें केजरीवाल से चुनौती मिल सकती है.

मोदी के गुजरात में चुनौती

मोदी के विकल्प के तौर पर केजरीवाल खुद पेश करना चाहते हैं इसका एक सबूत ये है कि अगले गुजरात चुनाव में दमदारी से उतरने जा रहे हैं. साल 2020 में सूरत नगर पालिका के चुनावों में 27 सीटें हासिल करके उनकी पार्टी ने यह तो बता ही दिया है कि गुजरात में उनके लिए जमीन है. यदि गुजरात चुनाव में भी केजरीवाल कोई चमत्कारी प्रदर्शन कर जाते हैं तो फिर यह निश्चित है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर खुद को मोदी के विकल्प के चेहरे के तौर पर प्रस्तुत करने से पीछे नहीं हटेंगे.

केजरीवाल की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा

अरविंद केजरीवाल ने शुरू से ही ऐसे राज्यों पर फोकस करने की रणनीति अपनाई जहां लोग कांग्रेस, बीजेपी या अन्य प्रमुख क्षेत्रीय दलों का विकल्प तलाश रहे हैं. पंजाब-गुजरात के अलावा केजरीवाल का फोकस उत्तराखंड, गोवा जैसे राज्यों पर है. अभी यूपी चुनाव में भी उनके सिपहसलार संजय सिंह ने खूब मेहनत की. राजस्थान में सियासी अनिश्चितता के दौरान AAP ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा था. मध्यप्रदेश, हरियाणा व छत्तीसगढ़ में वह तेजी से अपना संगठन फैला रही है. महाराष्ट्र के मुद्दे पर भी काफी मुखर रहती है. ये सबूत है कि केजरीवाल के राष्ट्रीय अरमान हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

राज्यसभा के जरिए साधेंगे निशाना

पंजाब की सफलता केजरीवाल को राष्ट्रीय पटल पर लाने में कैसे महत्वपूर्ण साबित होगी, इसका जबाव हमें आगामी अप्रैल माह में मिलेगा, जब पंजाब की 7 राज्यसभा सीटों के चुनाव वहां होंगे. इन सीटों पर जीतने वालों का सारा समीकरण वर्तमान विधानसभा चुनावों के रिजल्ट पर ही निर्भर करता है. अगर फाइनल रिजल्ट एग्जिट पोल की तरह ही रहे तो केजरीवाल फिर अपने राज्यसभा सांसदों को जिताकर भारतीय संसद में भी अच्छी खासी पैठ हासिल कर लेंगे.

लोकसभा चुनाव अलग लक्ष्य

अपने दिल्ली मॉडल की सफलता और पंजाब विजय को सामने रखकर अगर केजरीवाल आगामी 2024 लोकसभा चुनाव में 15 से 20 सीटें भी जीत जाते हैं तो यह संसद में उनकी बड़ी मौजूदगी पक्का कर देगी. राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने का उसका लक्ष्य इस बात से दिखता है कि वह सीएए-एनआरसी और चीन विवाद जैसे मामलों पर काफी संभल कर बोलते दिख रहे हैं.

बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस को चिंता

लेकिन जब हम कहते हैं कि केजरीवाल मोदी को चुनौती देंगे तो ये भी समझना चाहिए किसकी कीमत पर. केजरीवाल की ताकत बढ़ती है तो भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा कांग्रेस को चिंतित होना चाहिए, क्योंकि यह पार्टी लगातार विपक्ष के तौर पर हर राज्य से और केंद्र से अपनी जमीन खोती जा रही है. नेतृत्व के नाम पर भी यह बैकफुट पर है. ऐसे में केजरीवाल के लिए देश में दूसरे सबसे बड़े विकल्प बनने के मौके खुले हुए हैं. एंटी बीजेपी जनाधार अगर आम आदमी पार्टी को मिलता है तो वो कांग्रेस के हिस्से से ही आएगा. कोई ताज्जुब नहीं कि हाल फिलहाल AAP से कम विवाद करती दिखाई देती है. पंजाब में भी केजरीवाल ने कांग्रेस का ही पत्ता काटा है.

मोदी की राह पर केजरीवाल

केजरीवाल जिस तरह से अपनी कल्याणकारी नीतियों को राष्ट्रवाद और कभी कभार हिंदुत्व के तत्वों के साथ घोलकर लोगों के आगे पेश करते हैं, कुछ ऐसा ही बीजेपी और मोदी ने किया है. नतीजे सबके सामने हैं. ऐसा लगता है कि केजरीवाल ने इसे ही कॉपी किया है. वो दिल्ली के बच्चों को देशभक्ति पढ़ाते हैं. भारत माता की जय, इंकलाब जिन्दाबाद और वंदेमातरम के नारे लगवाते हैं. भगवान हनुमान का जिक्र करते हैं और अयोध्या तक यात्रियों के लिए ट्रेन चलवाते हैं. दलितों को लुभाने के लिए वो अंबेडकर पर मेगा शो करते हैं.

आगे से कोई केजरी को हल्के में नहीं लेगा

केजरीवाल जब राजनीति में आए थे तो उन्हें पब्लिसिटी का भूखा व्यक्ति बता कर और मीडिया का अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति बताया गया था. बड़ी पार्टियों ने उनका मजाक उड़ाया. लेकिन केजरीवाल को पंजाब में जीत मिलती है तो कई विपक्षियों की बोलती बंद हो सकती है. जिस बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य के फ्री मॉडल को उन्होंने दिल्ली में चलाया, उसी मॉडल को यूपी में बाद में योगी सरकार ने भी अपनाने की कोशिश की. गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक और झारखंड की सरकारें उनके जैसे ही मोहल्ला क्लीनिक का मॉडल तैयार कर रही हैं. उत्तर प्रदेश चुनावों में तो केजरीवाल के बिजली मॉडल को सभी पार्टियों ने चुनावी वादा भी बना रखा था.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 08 Mar 2022,05:30 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT