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राजस्थान चुनाव: 31 बार जमानत जब्त, 32वीं बार लड़ने की तैयारी- 78 वर्षीय मजदूर की कहानी

Rajasthan Chunav 2023: दिहाड़ी मजदूर तीतर सिंह ने दस बार लोकसभा चुनाव, दस बार विधान सभा चुनाव लड़ा है.

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राजस्थान चुनाव
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<div class="paragraphs"><p>Rajasthan: 32 वीं बार बने उम्मीदवार,31 में मिली है हार, तीतर सिंह के चुनाव लड़ने का जुनून </p></div>
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Rajasthan: 32 वीं बार बने उम्मीदवार,31 में मिली है हार, तीतर सिंह के चुनाव लड़ने का जुनून

फोटो- IANS

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यह कहानी है 78 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर तीतर सिंह की, जो अब तक 31 चुनाव हार चुके हैं. हालांकि, हर बार जमानत जब्त होने के बावजूद इस मनरेगा कर्मी का चुनाव लड़ने का जुनून कम नहीं हुआ और उन्होंने 32वीं बार राजस्थान (Rajasthan Election) के श्रीकरणपुर विधानसभा क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल किया है.

तीतर सिंह पहले ही पंचायत समिति, सरपंच, विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन इनमें से कभी भी कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं.

स्थानीय लोग बताते हैं कि तीतर सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए कई बार अपनी बकरियां बेचीं.

अपने अधिकार के लिए लड़ते हैं चुनाव 

तीतर सिंह श्रीकरणपुर विधानसभा क्षेत्र के 25 एफ गुलाबेवाला के रहने वाले हैं. उनका कहना है कि वह लोकप्रियता हासिल करने या रिकॉर्ड बनाने के लिए चुनाव नहीं लड़ते हैं, बल्कि इसलिए लड़ते हैं क्योंकि चुनाव अपने अधिकार हासिल करने का एक हथियार है.

“अपने अधिकारों के लिए लड़ने का जुनून तीतर के दिल में तब पैदा हुआ जब वह छोटे थे, क्योंकि उसे नहर क्षेत्रों में भूमि आवंटन से वंचित कर दिया गया था. उनके जैसे कई लोग थे और इससे उन्हें प्रेरणा मिली. फिर उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ना शुरू किया और धीरे-धीरे यह उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन गया.

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क्षेत्र के निवासियों का कहना है, “हालांकि, भूमि आवंटन की उनकी मांग अभी भी पूरी नहीं हुई है. वह और उनके बेटे मनरेगा के दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं.”

दस बार लोकसभा और दस बार विधान सभा चुनाव लड़ा

तीतर सिंह ने दस बार लोकसभा चुनाव, दस बार विधान सभा चुनाव लड़ा है, और वह 11 बार जिला परिषद अध्यक्ष और सरपंच और वार्ड सदस्यता चुनाव में खड़े हुए हैं.

उनके हलफनामे के अनुसार, वर्तमान में वह 78 वर्ष के हैं, उनकी तीन बेटियां, दो बेटे और पोते-पोतियां हैं.

हर बार के चुनाव में होती है जमानत जब्त

उनके खाते में 2500 रुपये जमा हैं लेकिन न जमीन है, न गाड़ी, न घोड़े. पूरे साल वह मेहनत करते हैं लेकिन चुनाव के दौरान उनकी जिंदगी बदल जाती है और वह घर-घर जाकर प्रचार करते हैं और वोट मांगते हैं. दुख की बात है कि हर बार चुनाव हारने पर उनकी जमानत जब्त हो जाती है क्योंकि अधिकारियों का कहना है कि उन्हें कभी भी 1,000 से अधिक वोट नहीं मिले हैं.

तीतर सिंह का कहना है कि उन्हें पेंशन भी मिलती है इससे उनकी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी हो जाती हैं, लेकिन वह कभी चुनाव प्रचार पर खर्च नहीं करते हैं.

ये वरिष्ठ नागरिक किसी भी सोशल मीडिया पर नहीं हैं, हालांकि सोमवार को जब वो अपना नामांकन फॉर्म भरने जा रहे थे तो उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कभी आसपास के लोगों से किसी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है, तो वे कहते हैं, "लोग कभी विरोध नहीं करते मदद करते हैं."

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