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Rajasthan: BJP लहर-हाथ में मंत्री पद, फिर भी करणपुर से कैसे हार गए सुरेंद्रपाल सिंह?

Karanpur Result: सुरेंद्रपाल सिंह राजस्थान के इतिहास में विधायक बनने से पहले मंत्री पद की शपथ लेने वाले पहले शख्स हैं.

प्रतीक वाघमारे
राजस्थान चुनाव
Published:
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Rajasthan: BJP लहर-हाथ में मंत्री पद, फिर भी करणपुर से कैसे हार गए सुरेंद्रपाल?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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राजस्थान (Rajasthan) की करणपुर (Karanpur) विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में बीजेपी की हार हुई है. कांग्रेस उम्मीदवार रुपिंदर सिंह कूनर ने बीजेपी प्रत्याशी और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेंद्र पाल सिंह को 11 हजार 261 वोटों से हराया है. बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के बाद इस सीट पर चुनाव टल गया था. जिसके बाद इस साल 5 जनवरी को वोटिंग हुई और सोमवार, 8 जनवरी को नतीजे आए हैं.

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 115 सीटों पर जीत के साथ प्रदेश में सरकार बनाई है. वहीं करणपुर में जीत के साथ कांग्रेस की कुल सीटें 70 हो गई हैं.

पंजाब की सीमा से सटे राजस्थान के श्रीगंगानर की करणपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रुपिंदर सिंह कूनर को 94,950 वोट मिले. वहीं बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को 83,667 वोट मिले. इस तरह से सुरेंद्रपाल सिंह 11,283 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए.

बीजेपी का 'मंत्री' वाला दांव नहीं चला

करणपुर में सिखों की आबादी ज्यादा है और यही वजह रही कि दोनों पार्टियों ने सिख उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था. बीजेपी के सुरेंद्रपाल सिंह को विधायक बनने से पहले ही मंत्री बना दिया गया था. लेकिन चुनाव में बीजेपी का ये दांव नहीं चल सका और टीटी को हार का सामना करना पड़ा.

सुरेंद्रपाल सिंह को भजनलाल सरकार में कृषि विपणण विभाग, कृषि सिंचिंत क्षेत्र विकास एवं जल उपयोगिता विभाग, इंदिरा गांधी नहर विभाग, अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ विभाग सौंपा गया था.

ऐसा पहली बार नहीं है जब सुरेंद्रपाल सिंह मंत्री बने थे. इससे पहले भी वो इसी सीट से विधायक और राजस्थान सरकार में मंत्री रह चुके हैं. साल 2003-2008 के दौरान वसुंधरा राजे सरकार में कृषि मंत्री रहे, इसके बाद 2013-2018 में खान और पेट्रोलियम मंत्री रहे.

इस बार भी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बावजूद सुरेंद्रपाल सिंह जनता की पहली पसंद नहीं बन सके.

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मंत्री पद पर भारी पड़ी सहानुभूति

करणपुर चुनाव में कांग्रेस ने सहानुभूति कार्ड खेलते हुए गुरमीत सिंह कूनर के निधन के बाद उनके बेटे रुपिंदर सिंह कूनर को अपना प्रत्याशी घोषित किया था. कांग्रेस का ये दांव सफल रहा है. रुपिंदर को चुनाव में उनके पिता के नाम पर वोट मिला है. रूपिंदर ने पहले ही कहा था कि करणपुर की जनता उन्हें वोट उनके पिता गुरमीत सिंह कूनर के नाम पर देगी.

साल 2018 विधानसभा चुनाव में गुरमीत सिंह कूनर ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी. गुरमीत सिंह तीन बार विधायक थे और राजस्थान सरकार में राज्यमंत्री भी रहे थे.

43 साल के रुपिंदर सिंह गंगानगर जिले के पदमपुर स्थित गांव 25 बीबी के रहने वाले हैं. चुनावी हलफनामे के मुताबिक रुपिंदर सिंह की पढ़ाई 12वीं क्लास तक हुई है. उनके खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है.

AAP ने बिगाड़ा बीजेपी का खेल

करणपुर से आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया था. पृथ्वीपाल सिंह के आने से बीजेपी को नुकसान हुआ. चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच हार-जीत का जो अंतर है, करीब उतने ही वोट AAP प्रत्याशी को मिले हैं.

AAP प्रत्याशी पृथ्वीपाल सिंह को 11,912 वोट मिले हैं. वहीं बीजेपी उम्मीदवार सुरेंद्रपाल सिंह 11,283 वोटों से हारे हैं. अगर AAP चुनाव में अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करती तो मुकाबला और टक्कर का होता.

श्रीगंगानगर में नहीं चली बीजेपी लहर

श्रीगंगानगर में बीजेपी की लहर नहीं देखने को मिली. जिले में विधानसभा की कुल 6 सीटें हैं- श्रीगंगानगर, सादुलपुर, अनूपगढ़, सूरतगढ़, रायसिंहनगर और करणपुर सीट. 25 नवंबर को हुए चुनाव में कांग्रेस ने यहां की तीन सीटों- अनूपगढ़, सूरतगढ़ और रायसिंहनगर पर जीत दर्ज की थी. वहीं श्रीगंगानगर बीजेपी और सादुलपुर बीएसपी के खाते में गई थी. अब करणपुर सीट भी कांग्रेस के हिस्से में आई है.

2018 विधानसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो यहां की तीन सीटों पर बीजेपी ने काब्जा जमाया था. वहीं दो सीट कांग्रेस और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी.

वहीं इस बार के चुनाव में बीजेपी को यहां बड़ा झटका लगा है. पार्टी इस बार के चुनाव में न तो अपनी मौजूदा सीट बचा पाई और न ही सरकार बनाने के बावजूद करणपुर सीट जीत पाई.

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