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राजस्थान (Rajasthan) में कांग्रेस इतिहास को दोहराने से रोकने की कोशिश कर रही है. यहां वोटर्स हर पांच साल बाद बारी-बारी से उसे (कांग्रेस) और बीजेपी को चुनते आए हैं. बीजेपी विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त है, वहीं कांग्रेस सत्ता बरकरार रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. जिससे कई सीटों पर मुकाबला कांटे का हो गया है. आईये आपको राज्य की टॉप सीटों के बारे में बताते हैं, जिस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.
झालरापाटन: राजस्थान की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक झालरापाटन में बीजेपी की कद्दवार नेता और राज्य की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे मैदान में हैं. राजे 2003 से लगातार झालरापाटन से विधायक हैं और पांचवीं बार इस सीट पर ताल ठोक रही हैं. झालरापाटन को बीजेपी का गढ़ माना जाता है जिसे कांग्रेस वसुंधरा राजे के चुनाव लड़ते कभी भेद नहीं पाई. 2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो राजे को यहां 1,16,484 वोट मिले थे.
वहीं, कांग्रेस ने राजे के सामने सौंधिया राजपूत चेहरे रामलाल चौहान (पिड़ावा) को उम्मीदवार बनाया है. पिड़ावा क्षेत्र में सौंधिया राजपूत समाज के वोटर अधिक होने से जातिगत समीकरण को देखते हुए कांग्रेस ने रामलाल चौहान को टिकट दिया है.
सरदारपुरा: राजस्थान की सरदारपुरा सीट की चर्चा प्रदेश से बाहर भी है, क्योंकि यहां से राज्य के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत मैदान में हैं. गहलोत छह बार सरदारपुरा से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने पहली बार 1977 में यहां से जीत हासिल की थी, इसके बाद वो 1999, 2003, 2008, 2013 और 2018 में सरदारपुरा से चुनाव जीते. बीजेपी ने गहलोत के सामने महेंद्र सिंह राठौड़ को टिकट दिया है.
टोंक: राजस्थान की टोंक सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट के सामने बीजेपी के अजीत सिंह मेहता मैदान में हैं. पायलट ने 2018 में पहली बार टोंक से ताल ठोंका था और यहां से जीत हासिल की थी, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें राज्य का डिप्टी सीएम भी बनाया. जबकि अजीत सिंह मेहता 2013 से 2018 तक टोंक के विधायक रह चुके हैं. ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि मेहता टोंक में एक बार फिर कमल खिला सकते हैं. हालांकि, 1998, 2003 और 2008 में टोंक से कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.
लक्ष्मणगढ़: इस सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया मैदान में हैं. दोनों नेता एक दशक बाद आमने-सामने होंगे. 2013 के विधानसभा चुनाव में डोटासरा ने महरिया को भारी अंतर से हराया था और सीट बरकरार रखी थी. संयोग से, दोनों एक ही समुदाय जाट से हैं.
सीकर से तीन बार लोकसभा सांसद रहे महरिया 2016 में कांग्रेस में शामिल हुए लेकिन इस साल मई में बीजेपी में लौट आए. जाटों और मुसलमानों के प्रभुत्व वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में सीपीआई (एम) के विजेंद्र ढाका और RLP के विजय पाल बागरिया भी उम्मीदवार हैं.
सवाई माधोपुर: सवाई माधोपुर में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. इस सीट पर बीजेपी ने मौजूदा राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा को मैदान में उतारा है. पांच बार के विधायक और दो बार के लोकसभा सांसद को टिकट देकर, भगवा पार्टी ने आशा मीना को टिकट की उम्मीद से अलग कर दिया है, जो 2018 में पार्टी की उम्मीदवार थीं.
हालांकि, 25,000 से अधिक वोटों से चुनाव हारने के बाद, वह अब निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. कांग्रेस के मौजूदा विधायक दानिश अबरार के मैदान में आने से यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार है. मीना ने 2008 में बीजेपी छोड़ दी थी लेकिन 2018 में फिर से इसमें शामिल हो गए.
नाथद्वारा: बीजेपी ने नाथद्वारा सीट में कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी के खिलाफ प्रसिद्ध मेवाड़ राजा और राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ को मैदान में उतारा है. पूर्व मेवाड़ राजपरिवार का लोगों के साथ सदियों से जुड़ाव और बीजेपी की लोकप्रियता नाथद्वारा में उसकी जीत सुनिश्चित करेगी, यह उम्मीद विश्वराज सिंह मेवाड़ को है, जो पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे हैं.
अनुभवी कांग्रेस नेता सीपी जोशी नाथद्वारा के मौजूदा विधायक और विधानसभा अध्यक्ष हैं. उन्होंने पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है. हालांकि, बीजेपी को केंद्र में अपनी सरकार के कार्यों का प्रदर्शन करके और चुनावी मुकाबले को "मेवाड़ के गौरव" विश्वराज सिंह से जोड़कर सीट जीतने की उम्मीद है.
झोटवाड़ा: बीजेपी ने झोटवाड़ा सीट से ओलंपिक पदक विजेता और दो बार के सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को मैदान में उतारा है. झोटवाड़ा जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, जहां से राठौड़ सांसद हैं. कांग्रेस ने एनएसयूवाई के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी (38) को राज्यवर्धन के सामने टिकट दिया है.
हवा महल: राजस्थान में चुनाव के लिए हवा महल सीट का एक विशेष महत्व है. 2003 के बाद से, इस सीट से जिस पार्टी को जीत मिली है, उसी ने राज्य की सत्ता हासिल की है. 2018 में यहां से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वासपात्र कांग्रेस के दिग्गज नेता महेश जोशी ने चुनाव जीता था लेकिन कांग्रेस ने इस बार उनकी जगह जयपुर शहर अध्यक्ष आरआर तिवारी को टिकट दिया है, जो 70 साल की उम्र में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं.
हवा महल में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है. AAP ने कांग्रेस के लंबे समय से पार्षद रहे पप्पू कुरेशी और AIMIM ने जमील अहमद खान को मैदान में उतारा है.
खींवसर: इस सीट से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल लड़ रहे हैं. खींवसर विधानसभा क्षेत्र नागौर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यहां समुदाय के प्रभुत्व के कारण नागोर को राजस्थान का जाटलैंड कहा जाता है और इसका प्रतिनिधित्व लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल करते हैं.
कांग्रेस ने तेजपाल मिर्धा को मैदान में उतारा है, जो राजनीतिक रूप से प्रभावशाली मिर्धा परिवार से हैं, जबकि बीजेपी ने रेवंत राम डांगा को चुना है.
सिविल लाइंस: इस सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास मैदान में हैं. उनके सामने बीजेपी के गोपाल शर्मा हैं. सिविल लाइंस खाचरियावास का गढ़ माना जाता है, जिन्हें चौथी बार कांग्रेस का टिकट मिला है. उन्होंने 2018 के चुनाव में बीजेपी के अरुण चतुर्वेदी को 18,078 वोटों के अंतर से हराया.
तिजारा: तिजारा सीट से बीजेपी ने अलवर के सांसद बाबा बालकनाथ को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने बालकनाथ से लड़ने के लिए 36 वर्षीय पूर्व बीएसपी नेता इमरान खान को चुना है. तिजारा निर्वाचन क्षेत्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र में पड़ने के कारण कांग्रेस खान पर भरोसा कर रही है, जहां खान के बड़े समर्थक माने जाते हैं. कांग्रेस ने मौजूदा एमएलए संदीप सिंह को हटा दिया है जो BSP में थे लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए. 2013 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी.
नागौर: बीजेपी ने पूर्व कांग्रेस ज्योति मिर्धा को मैदान में उतारा है, जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुई हैं. मिर्धा के सामने उनके चाचा हरेंद्र मिर्धा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. भगवा पार्टी ने पिछले दो दशकों से इस निर्वाचन क्षेत्र में जीत का सिलसिला बरकरार रखा है. 2003 से पहले नागौर कांग्रेस का गढ़ था और इसकी राजनीति प्रभावशाली मिर्धा परिवार के इर्द-गिर्द घूमती थी. नाथूराम मिर्धा स्थानीय दिग्गज और प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख भी थे. ज्योति उनकी पोती हैं.
विद्याधर नगर: बीजेपी ने विद्याधर नगर सीट से राजसमंद सांसद दीया कुमारी को टिकट दिया है. जयपुर की राजकुमारी दीया कुमारी महाराजा सवाई सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की पुत्री हैं. जयपुर शहर की इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. परिसीमन के बाद हुए तीनों चुनावों में यहां बीजेपी के नरपत सिंह राजवी चुनाव जीते हैं. कांग्रेस ने इस सीट से सीताराम अग्रवाल को मैदान में उतारा है.
आमेर: बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में उपनेता सदन सतीश पूनिया और कांग्रेस के प्रशांत शर्मा के बीच सीधा मुकाबला नजर आ रहा है. लेकिन, बीजेपी के बागी राजकुमार बागड़ा और ओमप्रकाश सैनी ने चुनाव को रोचक बना दिया है. 2018 में सतीश पूनिया 93, 132 वोट पाकर विजेता बने थे.
तारानगर: बीजेपी ने इस सीट से विधानसभा में नेता विपक्ष राजेंद्र राठौड़ को टिकट दिया है जो मौजूदा समय में चूरू से विधायक हैं. राठौड़ का मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और मौजूदा नरेंद्र बुढ़ानियां से है. तारानगर में अब तक हुए 10 विधानसभा चुनाव में से 6 बार कांग्रेस, दो-दो बार बीजेपी और जनता पार्टी ने जीत हासिल की है.
राजेंद्र राठौड़ इस सीट से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. वह 2008 में भी यहां से विधायक रह चुके हैं. BSP ने छोटूराम के नाम की घोषणा कर यहां पर मामले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है.
बता दें कि राजस्थान की 200 विधानसभा सीट पर 25 नवंबर को वोटिंग है, जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. इससे पहले गुरुवार (23 नवंबर) को चुनाव प्रचार थम जाएगा. चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बीजेपी, कांग्रेस सहित तमाम दलों ने अपनी ताकत झोंकी दी. पिछले बार के चुनाव में कांग्रेस को 100, बीजेपी- 73, BSP-6, RLP-3, निर्दलीय-13, CPI(M)-2, RLD-1 और भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो सीट पर जीत हासिल की थी.
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