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राजस्थान (Rajasthan) ने अपनी रवायत को कायम रखा यानी मरूधरा में राज बदला लेकिन रिवाज नहीं. बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ पांच साल बाद सत्ता में वापसी करती दिख रही है यानी रेगिस्तान में कमल खिला और कांग्रेस का हाथ 'कमजोर' हो गया. इन सबके बीच, अब सभी की निगाहें राजधानी दिल्ली में दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित बीजेपी मुख्यालय पर टिकी हैं, जहां से ये तय होना है कि राजस्थान में किस नेता के सिर पर ताज सजेगा. हालांकि, दावेदार बहुत है लेकिन कोई एक ही राजस्थान का असली 'किंग' होगा.
इस आर्टकिल में हम आपको बताएंगे कि राजस्थान में बीजेपी का सीएम कौन बन सकता है? और उसकी वजह क्या हो सकती है?
रेगिस्तान में पांच साल बाद कमल खिल रहा है. पिछले बार 73 सीटों पर सिमटा भगवा दल, पांच साल से सत्ता में वापसी कर रहा है. पार्टी ने पिछले पांच वर्षों में अपनी रीति और नीति दोनों को बदला और सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ी और अब वो संघर्ष 2023 में फल देता नजर आ रहा है.
इस जीत का असली हीरो कौन है और किसके सिर राजस्थान का ताज सजेगा, ये बीजेपी हाईकमान ही तय करेगा. हालांकि, अब इस जीत के कई नायक बनकर उभर रहे हैं और अब वो प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पद पर काबिज होने के लिए जुगाड़ में जुट गये हैं.
जानकारी के अनुसार, इस रेस में फिलहाल हर नेता आगे है और सभी पीछे भी, इसकी वजह बीजेपी हाईकमान है, जो अकसर चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जाना जाता है. हालांकि, वसुंधरा राजे को लेकर चर्चा है कि वो अभी भी रेस में टॉप दो पोजिशन में बनी हुई हैं. इसके संकेत उन्होंने चुनाव के आखिरी चरण और पिछले दो दिनों में दिए हैं.
लेकिन वसुंधरा क्यों? दरअसल, अगर अब तक की तस्वीर देखें तो ये साफ है कि बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ राजस्थान में आ रही है. लेकिन ये भी सच है कि कई जीते और निर्दलीय विधायक वसुंधरा खेमे के हैं, और वो विधायक दल की बैठक में राजे का झंडा बुलंद कर सकते हैं. राजे भी पिछले दो दिनों से काफी एक्टिव हैं और वो अपने विधायकों के संपर्क में हैं. इसके अलावा निर्दलीय भी राजे को सीएम बनाने पर साथ आ सकते हैं, जिससे बीजेपी राज्य में और मजबूत होगी.
हालांकि, कई फैक्टर वसुंधरा के खिलाफ भी हैं- जैसे चुनाव पूर्व ये दावा किया जा रहा था कि बिना राजे को सीएम चेहरा बनाये बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसके अलावा बीजेपी RLP चीफ हनुमान बेनीवाल के भी संपर्क में हैं, लेकिन अगर बीजेपी बेनीवाल को साथ लाना चाहती है तो राजे को इग्नोर करना पड़ेगा क्योंकि बेनीवाल राजे की वजह से ही NDA से अलग हुए थे.
वहीं, कई जानकार दीया कुमारी को राजे का विकल्प बता रहे हैं, जो विद्यानगर सीट से मैदान में हैं. जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने अपनी सबसे सुरक्षित सीट से दीया को उतार कर संकेत दिये थे कि वो राजे का विकल्प होंगी. इसके अलावा दीया का महिला होना भी उनके पक्ष में जाता है.
बीजेपी दीया के बहाने महिलाओं को साधने का प्रयास कर सकती है. क्योंकि दीया के सीएम बनने से संदेश जाएगा की महिला आरक्षण बिल, तीन तलाक, देश की राष्ट्रपति महिला को बनाने के बाद बीजेपी राज्य की गद्दी भी महिला नेता को सौंप दिया. इसके अलावा दीया को आगे कर बीजेपी राज्य के राजघराने को भी साधने की कोशिश कर सकती है.
हालांकि, कुछ जानकार ओम बिरला और अर्जुन राम मेघवाल को आगे बता रहे हैं. क्योंकि अर्जुन राम मेघवाल का केंद्र सरकार में जिस तेजी से कद बढ़ा है, उससे वो बड़े दावेदार बन गये हैं. जानकारों की मानें तो मेघवाल जिस जाति से आते हैं, उसका असर देश के अन्य राज्यों में बड़े स्तर पर है. देश में SC समुदाय की बड़ी आबादी है और बीजेपी लगातार उन्हें साधने की कोशिश कर रही है. राजस्थान में ओबीसी 40% फीसदी के बाद SC की दूसरी सबसे बड़ी 18 प्रतिशत आबादी है. ऐसे में मेघवाल भी रेस में है.
एक नाम जो और इस रेस में है वो है बीजेपी सांसद बालकनाथ का, जो खुद चुनावी मैदान में हैं. उन्हें राजस्थान का 'योगी' कहा जाता है और सीएम योगी ने उनके लिए जमकर प्रचार किया था. अपने फायरब्रांड इमेज को लेकर प्रसिद्ध बाबा बालकनाथ भी हिंदुत्व के चेहरे पर सीएम बन सकते हैं.
इन तमाम कयासों और विश्लेषण के बीच, एक ये भी तथ्य है कि जो भी राजस्थान का सीएम बनेगा, उसके सामने लोकसभा चुनाव 2024 की चुनौती भेदना महत्वपूर्ण है. लेकिन चेहरे पर अंतिम फैसला बीजेपी हाईकमान ही करेगा.
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