Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Rajasthan election  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राजस्थान: BJP विधायक सूर्यकांता व्यास से मुलाकात, गहलोत सूरसागर में क्या साधना चाहते हैं?

राजस्थान: BJP विधायक सूर्यकांता व्यास से मुलाकात, गहलोत सूरसागर में क्या साधना चाहते हैं?

Rajasthan Chunav: BJP ने सूर्यकांता व्यास का टिकट क्यों काटा?

धनंजय कुमार
राजस्थान चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>राजस्थान: सूर्यकांता व्यास से मुलाकात, गहलोत सूरसागर में क्या साधना चाहते हैं?</p></div>
i

राजस्थान: सूर्यकांता व्यास से मुलाकात, गहलोत सूरसागर में क्या साधना चाहते हैं?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

राजस्थान चुनाव (Rajasthan Election) में राजनैतिक पार्टियां जैसे-जैसे अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर रही हैं कई सीटों पर लड़ाई दिलचस्प होती जा रही है. जोधपुर की सूरसागर सीट पर लगातार 3 बार से जीत रहीं बीजेपी विधायक सूर्यकांता व्यास का टिकट कटना और अशोक गहलोत का आधी रात उनसे मिलने पहुंचना, राजनीतिक गलियारों की सुर्खियां बना हुआ है.

अब इस मुलाकात के क्या मायने हैं? व्यास का टिकट क्यों कटा? बीजेपी ने उनकी जगह किसको और क्यों खड़ा किया है? इस सीट का इतिहास और समीकरण क्या कहता है? आइये समझते हैं...

खबर क्या है?

सूरसागर सीट पर बीजेपी ने अपनी विधायक सूर्यकांता व्यास की जगह इस बार देवेंद्र जोशी को उम्मीदवार बनाया है. सूर्यकांता व्यास इस सीट से पिछले 3 बार से चुनाव जीत रही हैं. उम्र 85 साल होने के बावजूद उन्होंने कहा था कि वो चुनाव लड़ेंगी.

ये मामला चर्चा में तब आया जब अशोक गहलोत 24 अक्टूबर की रात अचानक उनके घर मुलाकात करने पहुंच गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मुलाकात से पहले भी गहलोत और व्यास के बीच बात हुई थी. इस मुलाकात के बाद व्यास ने कहा कि वे हाल चाल पूछने आए थे और कोई राजनीतिक बात नहीं हुई.

अशोक गहलोत और सूर्यकांता व्यास के बीच मुलाकात

(फोटो: क्विंट हिंदी)

गहलोत और सूर्यकांता व्यास की मुलाकात के क्या मायने?

अशोक गहलोत खुद भी जोधपुर की सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ते हैं. ऐसे में जोधपुर उनके लिए अहम हो जाता है. सूरसागर सीट पर 1998 के बाद से कांग्रेस जीत नहीं पाई है. यहां जीत हार में पुष्करणा समाज को बड़ा फैक्टर माना जाता है. ऐसे में गहलोत की मुलाकात न सिर्फ ब्राह्मण पुष्करणा वोटर्स में सेंध लगाने की कोशिश मानी जा रही है, बल्कि वो जीजी यानी सूर्यकांता व्यास का टिकट कटने पर सहानुभूति का कार्ड भी खेलते दिख रहे हैं.

पत्रकार और राजनितिक विश्लेषक विवेक श्रीवास्तव ने इसपर क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि अशोक गलतोत की राजनीति इसी तरह की है, वो मैसेज देने की राजनीति करते हैं.

सूर्यकांता व्यास का जब टिकट कट चुका है, तो एक सहानुभूति दिखाने और उनके समर्थकों को ये संदेश देने की कोशिश है कि वो उनके साथ खड़े हैं, क्योंकि कुछ दिन पहले सूर्यकांता व्यास ने भी बयान दिया था कि गहलोत ने अच्छा काम किया है. उसके बाद उनके और गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच बयानबाजी भी हुई, तो ये गहलोत की तरफ से सूर्यकांता व्यास के समर्थकों को अपनी ओर खींचने और शेखावत के समर्थन को डैमेज करने की कोशिश है.
विवेक श्रीवास्तव, पत्रकार

एक और रोचक बात ये है कि कांग्रेस ने अभी इस सीट पर अपने उम्मीदवर का ऐलान नहीं किया है, ऐसे में गहलोत की मुलाकात को आमंत्रण के तौर पर देखा जा रहा है कि सूर्यकांता चाहें तो कांग्रेस में आ सकती हैं, या बाहर से भी अपना समर्थन दे सकती हैं.

हालांकि, कांग्रेस उन्हें प्रत्याशी बनाती है या नहीं इसपर कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन ये उनका समर्थन लेने की कोशिश जरूर दिखती है. वैसे भी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस सीट पर इस बार मुस्लिम कैंडिडेट को उतारने की अपनी परंपरा तोड़ते हुए ब्राहम्ण उम्मीदवार की तलाश में है.

क्यों कटा सूर्यकांता व्यास का टिकट?

सूर्यकांता व्यास का टिकट कटने के पीछे 2 कारण माने जा रहे हैं. एक तो उनकी उम्र 85 साल हो गई है. बीजेपी आम तौर पर 80 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को टिकट नहीं देती है. इस बार के टिकट बंटवारे में भी यही दिखा है. दूसरा, वे पिछले कुछ समय से गहलोत के करीब नजर आ रही हैं, चाहे वो बयान हों या मुलाकात .

हाल ही में गहलोत ने पुष्करणा समुदाय के कुलदेवी मंदिर के जिर्णोद्धार के लिए 4.75 करोड़ रुपये की राशी मंजूर की थी, जिसके बाद सूर्यकांता व्यास ने उनकी जमकर तारीफ की. इसपर बीजेपी ने आपत्ति जताई. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उनके बयान को गलत ठहराया था. उन्होंने कहा था कि बुढ़ापे में व्यक्ति एक बच्चे की तरह व्यवहार करता है.

विवेक श्रीवास्तव कहते हैं कि सूर्यकांता व्यास चाहती थीं कि उन्हें या उनके बेटे को टिकट मिल जाए और परिवार का ही कोई चुनाव लड़े. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.

गजेंद्र सिंह शेखावत के करीबी को मिला टिकट

सूर्यकांता व्यास और गजेंद्र सिंह शेखावत के रिश्ते पहले से ही ठीक नहीं हैं और सूरसागर सीट पर जिसको टिकट मिला (देवेंद्र जोशी) वो शेखावत के ही करीबी हैं. व्यास ने भी अपना टिकट कटने पर कह दिया था उन्हें पार्टी का टिकट न मिलने का कारण शेखावत हो सकते हैं.

देवेंद्र जोशी बीजेपी के शहर इकाई के अध्यक्ष रहे हैं. पार्टी ने कुछ महीने पहले सूरसागर से उम्मीदवार बनाए जाने की संभावनाओं के बीच उन्हें पद से हटाया था. वे खुद भी ब्राह्मण हैं और उन्हें टिकट देकर बीजेपी ने इस सीट से ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट देने की अपनी परंपरा को बरकरार रखा है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सूरसागर सीट का क्या है इतिहास और जातीय समीकरण

सूरसागर सीट पर बीजेजी अब तक 6 बार और कांग्रेस 4 बार विजेता रही है. हालांकि, कांग्रेस के लिए चुनौती इसलिए है क्योंकि 1998 के बाद से यहां बीजेपी का ही कब्जा रहा है. 2008 तक ये अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी, लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद इसे सामान्य सीट बना दिया गया.

कांग्रेस अब तक इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती आई है और बीजेपी ने ब्राह्म्णों को मौका दिया है. इस सीट पर लड़ाई भी ब्राहम्ण और अल्पसंख्यक के बीच ही मानी जाती है. इन दोनों के वोट ही जीत-हार तय करते हैं. विवेक श्रीवास्तव ने कहा,

"अमूमन यही रहा है, कांग्रेस की ओर से अल्पसंख्यक उम्मीदवार खड़ा किया जाता है, जबकि बीजेपी ब्राह्मण को टिकट देती है, इससे हिंदू एकजुट हो जाते हैं और बीजेपी की जीत हो जाती है. जोधपुर में दबी जुबान ये बात भी कही जाती है कि कांग्रेस सरदारपुरा (अशोक गहलोत की सीट) में मुसलमानों के वोट लेने के लिए सूरसागर में मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देती है."
विवेक श्रीवास्तव, पत्रकार

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सीट पर अल्पसंख्यक मतदाता 50 हजार के करीब और ब्राहम्ण मतदाता 35000 के करीब हैं. ओबीसी 60,000 के आस-पास हैं. इसके अलावा कायस्थ, राजपूत, महाजन सहित कई प्रमुख जातियों के मतदाता हैं.

2008, 2013 और 2018 के चुनावों में बीजेपी की सूर्यकांता व्यास ने ही यहां से जीत हासिल की थी. इस सीट पर 2018 में व्यास को 86,885 जबकि, कांग्रेस के प्रोफेसर अयूब खां को 81,122 वोट मिले थे. जोधपुर की 10 में से 2 सीटों बिलाड़ा और सूरसागर से बीजेपी ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं.

जोधपुर के आस-पास अशोक गहलोत और सूर्यकांता व्यास का करियर लगभग एक साथ ही शुरू हुआ और दोनों तब से जीतते आ रहे हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT