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Rajasthan Election: क्या राम रहीम की फरलो का राजस्थान चुनाव से कनेक्शन है?

"Ram Rahim की रिहाई से अनुयायियों को ये संकेत जाता है कि ये जब भी सुविधा मांगते हैं इनको सब आसानी से मिल जाती हैं."

प्रतीक वाघमारे
राजस्थान चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>Rajasthan Election: क्या राम रहीम की फरलो का राजस्थान चुनाव से कनेक्शन है?</p></div>
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Rajasthan Election: क्या राम रहीम की फरलो का राजस्थान चुनाव से कनेक्शन है?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और रेप-हत्या का दोषी राम रहीम (Ram Rahim) एक बार फिर 21 दिन के फरलो पर जेल से बाहर आ चुका है. इस साल तीसरी बार और पिछले तीन सालों में 8वीं बार जेल से बाहर आया है. टाइमिंग पर भी सवाल खड़े हुए क्योंकि ठीक चार दिन बाद राजस्थान में विधानसभा चुनाव है. क्या वाकई में राम रहीम का प्रभाव राजस्थान के कुछ जिलों पर हैं? चलिए पता लगाते हैं.

राजस्थान में चुनाव, फरलो पर बाहर आया राम रहीम

हरियाणा में राम रहीम के लाखों अनुयायी हैं, राम रहीम को मिली फरलो को राजस्थान चुनाव से इसलिए जोड़ा जा रहा है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि हरियाणा से सटे राजस्थान के कुछ जिलों पर राम रहीम का प्रभाव हो सकता है, जहां 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान किया जाएगा.

56 वर्षीय राम रहीम को 21 नवंबर को रोहतक की सुनारिया जेल से बाहर आया. बताया जा रहा है कि वह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरवाना स्थित डेरा के आश्रम में ठहर सकता है.

जेल से बाहर आने के बाद राम रहीम को अक्सर अपने समर्थकों के साथ सत्संग करते देखा गया है, इन सत्संग में कई बार राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेता भी नजर आ चुके हैं. खास बात ये है कि राम रहीम राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के गुरुसर मोडिया का ही रहने वाला है. 
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चुनाव का संयोग: राम रहीम के जेल से निकलने में एक पैटर्न है

ऐसा कई बार हुआ है जब-जब राम रहीम जेल से बाहर आया है तब-तब राम रहीम के प्रभाव वाले राज्यों और जिलों में चुनाव या उप चुनाव रहे हैं:

  • साल 2022 में राम रहीम फरलो पर 7 फरवरी से 27 फरवरी तक बाहर था तब 20 फरवरी को पंजाब में विधानसभा चुनाव थे.

  • फिर, 17 जून को राम रहीम को 30 दिन की पैरोल मिली थी, ये पैरोल 19 जून को हरियाणा में 46 नगर पालिकाओं के चुनाव से ठीक दो दिन पहले मिली थी.

  • 14 अक्टूबर को, डेरा प्रमुख को 40 दिनों के लिए पैरोल दी गई थी, तब 3 नवंबर को हरियाणा के आदमपुर में उपचुनाव था और 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना था.

वरिष्ठ पत्रकार बलवंत तक्षक ने क्विंट हिंदी को बताया कि, कांग्रेस हो या बीजेपी हर पार्टी के दिग्गज नेता डेरा के सामने नतमस्तक होते आए हैं. बता दें कि, ऐसा माना जाता है कि राम रहीम ने 2007 में हुए पंजाब के चुनाव में खुले तौर पर कांग्रेस का समर्थन किया था. हालांकि, फिर धीरे-धीरे राम रहीम का झुकाव बीजेपी की ओर होने लगा और 2014 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी राम रहीम ने पीछे से बीजेपी का समर्थन किया था.

"निश्चित ही इसका चुनाव से लेना-देना है"

हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार बलवंत तक्षक ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया कि राम रहीम मूल रूप से राजस्थान से ही है. हमेशा देखा जाता है कि चुनाव आने पर पैरोल/फरलो मिलती है. हरियाणा और राजस्थान में उसके अनुयायी बड़ी संख्या में हैं, शायद इसीलिए जब भी उनकी परोल/फरलो के लिए एप्लिकेशन जाती है तो कोई आपत्ति नहीं आती."

उन्होंने आगे ये सवाल उठाते हुए कहा कि, "रेप और हत्या के दोषी राम रहीम को क्या हार्डकोर अपराधी की सूची में नहीं डाला है? क्योंकि अगर ऐसा होता तो क्या वे बार-बार छूट पाते? निश्चित ही इसका चुनाव से लेना-देना है. जब भी इस बारे में सरकार से पूछा जाता है तो वहां से जवाब आता है कि हर कैदी पैरोल का हकदार है."

उन्होंने कहा कि:

हरियाणा की सिरसा जिले से सटे राजस्थान के जिले जैसे गंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, झुंझुनू, चुरू जैसे जिलों पर उनका प्रभाव है. देखिए इनकी रिहाई से अनुयायियों को ये संकेत जाता है कि ये (राम रहीम) जब भी सुविधा मांगते हैं इनको सब आसानी से मिल जाती हैं."

वहीं हरियाणा के एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि, "उनका 50-60 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है."

डेरा प्रमुख रहीम का प्रभाव पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में माना जाता है. विशेष रूप से हरियाणा के सिरसा जिलों में, इसके आलाव हिसार, फतेहाबाद, कुरूक्षेत्र, कैथल और पंचकुला, पंजाब के मालवा क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में राम रहीम का अच्छा खासा प्रभाव देखा जाता है.

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