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चुनाव ट्रैकर के 12वें एपिसोड में हम एक बार फिर आपके सामने हैं, तो तैयार हो जाइए आज के चुनावी डोज के लिए.
जैसे-जैसे 23 मई नजदीक आ रही है लोगों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. पांचवें चरण के बाद विपक्ष को ये लगने लगा है कि इस बात की शायद गुंजाइश है कि देश में गठबंधन की सरकार आ जाए. अगर गठबंधन सरकार आ जाए तो 23 मई का इंतजार करें या विपक्षी पार्टियों में आपस में बातचीत शुरू कर दें, क्योंकि गठजोड़ के लिए सहयोगियों की जरूरत होगी. बातचीत का सिलसिला शुरू हो चुका है.
एक और चर्चा चल रही है कि राष्ट्रपति किसको बुलाएंगे और इसमें चिंता इसलिए है कि अभी तक का एक कायदा रहा है कि प्री-पोल अलायंस वाले को राष्ट्रपति पहले बुलाएं, ऐसा पहले से चला आ रहा है. लेकिन गोवा के मामले में हमने देखा कि पोस्ट पोल अलायंस को भी ध्यान में रखा जा सकता है.
अभी की बात करें, तो यूपीए के पास अपने सहयोगी हैं और एनडीए के पास अपने सहयोगी हैं. ऐसे में यूपीए को ये लग रहा है कि शायद उनका नंबर एनडीए से बड़ा हो जाए तो उनको तो सरकार बनाने के लिए पहला न्योता मिल जाएगा. लेकिन नंबर किसी वजह से कम रह जाता है तो पोस्ट पोल अलायंस के तौर पर उन्हें लगता है कि मायावती, अखिलेश और ममता सबसे पहले उनके साथ आएंगे. अगर ऐसा हो जाता है तो यूपीए का नंबर बड़ा हो जाएगा क्योंकि ये केसीआर, जगन रेड्डी और नवीन पटनायक की तुलना में तीनों ही बड़े दल हैं.
ये भी देखना होगा कि शेयर बाजार के लगातार गिरने का क्या कोई चुनावी कनेक्शन है? पहले अमेरिका और चीन की ट्रेड वॉर की वजह से बाजार में गिरावट आ रही थी. लेकिन ट्रेड वॉर के नरम पड़ने के संकेत और दुनिया के बाजारों में रिकवरी के बावजूद भारतीय बाजार में गिरावट का दौर जारी है.
क्या बाजार को यह लग रहा है कि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए इस बार सरकार नहीं बना पाएगा. आइए समझते हैं इस गिरावट की असली वजह क्या है?
अपना शेयर बाजार पिछले छह दिनों से लगातार गिर रहा है. पिछले छह दिनों में दो तारीख से FIIs मोटी बिकवाली करके, अपना पैसा लेकर के वापस जा रहे हैं. इसके पहले इन फ्लो था, अब आउट फ्लो हो रहा है.एक नया ट्रेंड आया है. अब बड़े शेयर जैसे रिलायंस, स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई जैसे शेयरों के दाम तीन से पांच परसेंट तक टूट गए हैं.
पहले हम लोगों ने यह सोचा कि ट्रंप ने जो ट्रेड वॉर का जो माहौल बनाया, उसके कारण बाजार गिर रहा है. लेकिन उसके बाद बाकी बाजार सुधर गए. उसके बाद चीन की तरफ से संकेत आए कि शायद ट्रेड वॉर टल जाए आपस में बातचीत हो जाए. उसके क्या आसार हैं, ये तो नहीं मालूम, लेकिन वो एक मुद्दा हो सकता है.
लेकिन शेयर बाजार के बहुत से लोगों से बातचीत करने के बाद हमारा आकलन यह बन रहा है कि बीजेपी को अकेले बहुमत मिल जाने का उनका जो आकलन था उस पर वो पुनर्विचार कर रहे हैं. इन लोगों को लग रहा था कि एनडीए के साथ मिलकर बीजेपी आसानी से सरकार बना लेगी, इसमें कोई दिक्कत नहीं है. अपने इस आकलन पर फिर से विचार कर रहे हैं.
पांचवें चरण की वोटिंग के बाद अब वो ये कह रहे हैं कि शायद एनडीए अकेले बहुमत तक ना पहुंचे. तो बीजेपी को अपने सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा, लेकिन वो तो हो गई गठबंधन सरकार. उनको चाहिए बीजेपी के बहुमत वाले 'आजाद' प्रधानमंत्री मोदी. लेकिन अब निवेशकों को ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है. इसलिए बाजार में बेचैनी बनी हुई है. शेयर बाजार अब दूसरे पहलू पर भी चर्चा करने लग गया है.
शेयर बाजार के मूड को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि मूल रूप से इन्हें निरंतरता और स्थिरता चाहिए. इन्हें अनिश्चितता से डर लगता है कि पता नहीं क्या हो जाएगा . इसलिए इस निरंतरता का मतलब साफ है कि ये लोग मोदी जी को चाहते हैं.
इकोनॉमी के फंडामेंटल का क्या हाल है? इस वक्त कंपनियों के रिजल्ट आ रहे हैं. सब जगह स्लोडाउन नजर आ रहा है. ऑटो स्टॉक्स, बैंकिंग सेक्टर और एफएमसीजी में बुरा हाल है और उनका आउटलुक भी अच्छा नहीं आ रहा है.
ऐसे में शेयर बाजार इस वक्त शायद ये स्ट्रेटजी बनाने में लगा हुआ है कि कहीं बड़ा करेक्शन कहीं नतीजों के पहले ही तो नहीं आ जाएगा. 22 मई तक बाजार में क्या स्ट्रेटजी बनाएं, बेचें, होल्ड करें या खरीदें, ऐसा लग रहा है कि बाजार के जो सयाने लोग हैं वो पहले से ही बेचना शुरू कर चुके हैं. जो अब फैसला करने वाले हैं वो थोड़ा-थोड़ा बेचने की शुरूआत कर सकते हैं. कमाने के लिए शॉर्ट कर सकते हैं और गिरावट पर खरीद सकते हैं.
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Published: 08 May 2019,04:59 PM IST