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कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट पिछले साल अगस्त से बंद पड़ा है. आर्टिकल 370 हटाए जाने से पहले ही घाटी में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी. कश्मीर में इंटरनेट दोबारा चालू करने को लेकर केंद्र सरकार कह रही है कि सब सामान्य होने पर ये कदम उठाया जाएगा. लेकिन नीति आयोग के एक सदस्य ने वहां इंटरनेट की जरूरत पर ही सवाल खड़ा कर दिया है.
आयोग के सदस्य और JNU के चांसलर वीके सारस्वत ने इंटरनेट बंद को सही ठहराते हुए विवादित टिप्पणी की है. सारस्वत ने कहा है कि घाटी में इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ गंदी फिल्में देखने में होता है. उनके इस बयान पर सोशल मीडिया यूजर ने सारस्वत को खूब ट्रोल किया है. कोई कह रहा है कि सारस्वत ये बात अपने अनुभव से कह रहे हैं, तो कोई कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी लीडर के कथित पॉर्न प्रकरण की याद दिला रहा है.
कई यूजर ने 2012 में कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी नेता लक्ष्मण सावदी के कथित पोर्न देखने की घटना का जिक्र भी किया. एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा कि सारस्वत के तर्क के मुताबिक तो सरकार को कर्नाटक विधानसभा में भी इंटरनेट बंद कर देना चाहिए.
सारस्वत के इंटरनेट बंद को सही ठहराने पर लोगों ने सरकार की 'डिजिटल इंडिया' मुहिम पर भी निशाना साधा.
ट्विटर यूजर ने वीके सारस्वत को नीति आयोग से हटाने की मांग भी की
सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जाने और विवादित बयान पर बवाल मचने के बाद वीके सारस्वत ने सफाई पेश की है. सारस्वत ने कहा है कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है.
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने 14 जनवरी की शाम जम्मू क्षेत्र के कई हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट सेवा और होटलों, यात्रा प्रतिष्ठानों और अस्पतालों समेत जरूरी सेवाएं प्रदान करने वाले सभी संस्थानों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सुविधा बहाल करने की अनुमति दे दी. वहीं, कश्मीर घाटी के सभी अस्पतालों में 31 दिसंबर की रात 12 बजे से ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस बहाल कर दी गई थी.
इसके साथ ही मोबाइल फोन पर SMS भी शुरू हो गई थी. इसके अलावा लद्दाख के कारगिल जिले में शुक्रवार, 27 दिसंबर को मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई थी.
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