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चुनाव आयोग ने वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने जा रहे BSF से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव का पर्चा रद्द कर दिया है. लगता ये है कि कानूनी पेचिदगियों में इस जवान को फंसा दिया गया और चुनाव मैदान से बाहर फेंक दिया गया. इससे पहले तेलंगाना से जो 54 किसान पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का संकल्प लेकर वाराणसी आए थे उनमें से भी 25 लोग ही नामांकन कर सके. जिस तरह से जवान और किसानों को चुनाव लड़ने से रोका गया है उसे जानकर आप पूछेंगे कि चुनाव आयोग के फैसलों में लोकतंत्र कहां है?
इस सवाल का जवाब खबरों में रुचि रखने वाला हर भारतीय जानता है. फिर भी याद याद दिला दें कि ये वही तेज बहादुर हैं जिन्होंने बीएसएफ में खराब खाने और सलूक का खुलासा करने के लिए सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था. उसके बाद उन्हें बीएसएफ ने बर्खास्त कर दिया गया. चुनाव आए और तेज बहादुर ने वाराणसी से सीधे पीएम मोदी को चुनौती देने का फैसला किया. उन्होंने हर पार्टी से समर्थन मांगा. लेकिन साथ नहीं मिला. आखिर तेज ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा. फिर समाजवादी पार्टी को समझादारी आई (ये सियासी समझदारी भी हो सकती है) और उसने तेज को अपना उम्मीदवार बनाने का एलान किया. लेकिन फिर जो हुआ उसकी उम्मीद न तो समाजवादी पार्टी ने की थी, न ही तेज बहादुर ने और न ही वाराणसी में एक रोचक मुकाबला देखने का इंतजार कर रही देश की जनता ने.
चुनाव आयोग ने तेज का नामांकन रद्द कर दिया। वजह ये रही कि केंद्र या राज्य सरकार में तैनात जिन लोगों को बर्खास्त किया जाता है उन्हें अपने नामांकन के साथ एक सर्टिफिकेट देना होता है कि उन्हें भ्रष्टाचार या देश से गद्दारी के आरोप में बर्खास्त नहीं किया गया था.
तेज बहादुर ने पहले नामांकन में गलती से बता दिया था कि उन्हें भ्रष्टाचार के कारण बर्खास्त किया गया था. दूसरे नामांकन में उन्होंने पहले की गई गलती की सूचना दी और भूल सुधार भी किया. लेकिन उनसे सर्टिफिकेट मांगा गया. तेज बहादुर ने फिर आयोग को सूचित किया कि उनके वकील ने आयोग से मुलाकात की है और सबूत में कागजात भी दिए लेकिन स्थानीय चुनाव अधिकारी ने उनसे तय फॉर्मेट में सर्टिफिकेट मांगा. वक्त पर ये कागज नहीं मिला तो नामांकन रद्द कर दिया गया.
चुनाव आयोग ने तेज का नामांकन इसलिए रद्द कर किया क्योंकि वो 1 मई को सुबह 11 बजे तक सर्टिफिकेट पेश नहीं कर पाए. मतलब कह सकते हैं कि उनसे सिर्फ तकनीकी चूक हुई है. विडंबना देखिए कि चुनाव आयोग ने तेज को सर्टिफिकेट लाने के लिए जो नोटिस दिया उसमें खुद बड़ी तकनीकी गलती है. नोटिस में लिखा है कि तेज बहादुर को 1 मई, 2109 की सुबह 11 बजे तक सर्टिफिकेट पेश करना है. यानी तेज बहादुर के पास अभी 90 साल का वक्त है.
तेज बहादुर ने नामांकन रद्द होने को साजिश बताया है. कहा है कि मोदी जी किसान और जवान से चुनाव नहीं लड़ना चाहते. समाजवादी पार्टी ने कहा कि राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांगने वालों को जवान का सामना करना चाहिए था.
जैसा कि हमने ऊपर बताया वाराणसी में तेलंगाना से आए 29 किसान पीएम मोदी खिलाफ नामांकन नहीं भर पाए. इन किसानों का आरोप है कि उन्हें जानबूझकर उलझाया गया. नामांकन देर से शुरू किया गया. घंटों लाइन में खड़ा किया गया. किसानों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन और चुनाव अधिकारियों की पूरी कोशिश यही थी कि किसान नामांकन भर ही नहीं पाएं.
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Published: 01 May 2019,09:26 PM IST