advertisement
बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की फिल्म का एक मशहूर डायलॉग है- "हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं!" बिहार के बाजीगर तेजस्वी यादव साबित हुए हैं. लोकसभा चुनाव (Bihar Lok Sabha Election 2024) में पिछली बार शून्य पर रहने वाली आरजेडी इस बार 4 सीटों के साथ वापसी करती दिख रही है. हालांकि, तेजस्वी को उम्मीद के मुताबिक नतीजे तो नहीं मिले हैं, लेकिन पार्टी और इंडिया गठबंधन दोनों का ग्राफ बढ़ा है.
चलिए आपको बताते हैं कि बिहार लोकसभा चुनाव में तेजस्वी का कितना दम दिखा और कहां उनसे चूक हुई?
2019 लोकसभा चुनाव में आरेजडी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी, लेकिन इस बार 4 सीटें मिलती दिख रही है. 2014 में भी आरजेडी ने 4 सीटें ही जीती थी.
इस बार के आम चुनाव में सबकी निगाहें तेजस्वी यादव पर टिकी थी. चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया था. दूसरी तरफ प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर भी पेंच फंसा था. ऐसे में तेजस्वी के सामने गठबंधन को मजबूत करने के साथ ही पार्टी के प्रदर्शन को सुधारने की भी चुनौती थी.
चुनाव के दौरान तेजस्वी ने अकेले 250 रैलियां की. वे बीमार हुए, व्हीलचेयर पर आ गए, लेकिन रैलियां करते रहे. रोजगार से लेकर विकास के मुद्दे पर बीजेपी और पीएम मोदी को घेरते रहे. इसकी नतीजा ये हुआ कि तेजस्वी ने न केवल बिहार में एनडीए के सामने चुनौती खड़ी की, बल्कि बड़ा डेंट भी लगाया है.
चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने रोजगार और नौकरी के मुद्दे को पूरी ताकत से उठाया. उन्होंने 17 महीने में बिहार में दी गई 5 लाख नौकरियों का क्रेडिट भी लिया. जानकारों की मानें तो युवाओं के बीच ये मुद्दा चला और तेजस्वी इसको को भुनाते हुए दिखे. बता दें कि अपने घोषणा पत्र में आरजेडी ने 1 करोड़ रोजगार का ऐलान किया था, वहीं कांग्रेस ने 30 लाख रोजगार का वादा किया है.
INDIA गठबंधन में सीट शेयरिंग से पहले ही आरजेडी ने अपने कई उम्मीदवारों को सिंबल बांट दिए. पूर्णिया, सीवान जैसी कुछ ऐसी भी सीटें है, जिससे तेजस्वी का खेल खराब हुआ है.
पूर्णिया में पप्पू यादव ने निर्दलीय के तौर पर जीत हासिल की है. वहीं सीवान सीट पर हिना शहाब का टिकट काटकर अवध बिहारी चौधरी को टिकट देना भी भारी पड़ा है. बता दें कि आरजेडी के टिकट पर हिना शहाब लगातार तीन बार चुनाव लड़ीं, लेकिन हर बार उन्हें हार मिली थी. वहीं मुकेश सहनी को अपने कोटे से 3 सीटें देने का फैसला भी गलत ही साबित हुआ है.
तेजस्वी पूरे चुनाव में अकेले संघर्ष करते दिखे. प्रचार के दौरान INDIA गुट के नेताओं का उन्हें बहुत ज्यादा साथ नहीं मिला. पूरे चुनाव में राहुल गांधी ने सिर्फ 2 बार बिहार आए और 4 सभाएं कीं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दो बार बिहार आए और 4 सभाएं कीं. सोनिया-प्रियंका गांधी एक बार भी नहीं आईं. इसके अलावा किसी पार्टी के कोई नेता प्रचार के लिए बिहार नहीं आए.
बहरहाल, जानकारों की मानें तो भले ही आरजेडी की बहुत सीटें आती नहीं दिख रही है, लेकिन तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव के जरिए बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पिच तैयार कर दी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined