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Tejashwi Yadav: 250 रैलियां, 5 पार्टियों का साथ, फिर भी क्यों नहीं बनी तेजस्वी की बात?

Bihar Lok Sabha Election Result 2024: तेजस्वी यादव की पार्टी RJD का 2019 लोकसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुला था.

मोहन कुमार
चुनाव
Published:
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Tejashwi Yadav: 250 रैलियां, 5 पार्टियों का साथ, फिर भी क्यों नहीं बनी तेजस्वी की बात?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की फिल्म का एक मशहूर डायलॉग है- "हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं!" बिहार के बाजीगर तेजस्वी यादव साबित हुए हैं. लोकसभा चुनाव (Bihar Lok Sabha Election 2024) में पिछली बार शून्य पर रहने वाली आरजेडी इस बार 4 सीटों के साथ वापसी करती दिख रही है. हालांकि, तेजस्वी को उम्मीद के मुताबिक नतीजे तो नहीं मिले हैं, लेकिन पार्टी और इंडिया गठबंधन दोनों का ग्राफ बढ़ा है.

चलिए आपको बताते हैं कि बिहार लोकसभा चुनाव में तेजस्वी का कितना दम दिखा और कहां उनसे चूक हुई?

RJD का सीट और वोट शेयर बढ़ा

2019 लोकसभा चुनाव में आरेजडी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी, लेकिन इस बार 4 सीटें मिलती दिख रही है. 2014 में भी आरजेडी ने 4 सीटें ही जीती थी.

इस बार के आम चुनाव में सबकी निगाहें तेजस्वी यादव पर टिकी थी. चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया था. दूसरी तरफ प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर भी पेंच फंसा था. ऐसे में तेजस्वी के सामने गठबंधन को मजबूत करने के साथ ही पार्टी के प्रदर्शन को सुधारने की भी चुनौती थी.

2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार आरजेडी के वोट शेयर में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पार्टी ने 22 फीसदी वोट हासिल किया है, जबकि पिछली बार उसे 15 फीसदी वोट मिले थे.

NDA की राह में अटकाए रोड़े

चुनाव के दौरान तेजस्वी ने अकेले 250 रैलियां की. वे बीमार हुए, व्हीलचेयर पर आ गए, लेकिन रैलियां करते रहे. रोजगार से लेकर विकास के मुद्दे पर बीजेपी और पीएम मोदी को घेरते रहे. इसकी नतीजा ये हुआ कि तेजस्वी ने न केवल बिहार में एनडीए के सामने चुनौती खड़ी की, बल्कि बड़ा डेंट भी लगाया है.

खबर लिखे जाने तक NDA को बिहार में 30 सीटें मिलती दिख रही है. 2019 के मुकाबले 9 सीटों का नुकसान हो रहा है. वहीं INDIA गुट के खाते में 10 सीटें जाती दिख रही हैं. पिछले दो चुनावों में ये सबसे अच्छा प्रदर्शन है. बता दें कि 2014 में 7 सीट जीतने वाली UPA, 2019 में 1 सीट पर सिमट गई थी.

रोजगार के मुद्दों पर युवाओं का मिला समर्थन

चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने रोजगार और नौकरी के मुद्दे को पूरी ताकत से उठाया. उन्होंने 17 महीने में बिहार में दी गई 5 लाख नौकरियों का क्रेडिट भी लिया. जानकारों की मानें तो युवाओं के बीच ये मुद्दा चला और तेजस्वी इसको को भुनाते हुए दिखे. बता दें कि अपने घोषणा पत्र में आरजेडी ने 1 करोड़ रोजगार का ऐलान किया था, वहीं कांग्रेस ने 30 लाख रोजगार का वादा किया है.

हालांकि, जानकारों का कहना है कि चुनाव में तेजस्वी के नौकरी के वादे पर केंद्र की पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलने वाला मुफ्त राशन भारी पड़ा है. इसके अलावा किसान सम्मान निधि के तहत मिलने वाले 6 हजार रुपए का फायदा भी एनडीए को मिला है.
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पूर्णिया-सीवान में बिगड़ा खेल

INDIA गठबंधन में सीट शेयरिंग से पहले ही आरजेडी ने अपने कई उम्मीदवारों को सिंबल बांट दिए. पूर्णिया, सीवान जैसी कुछ ऐसी भी सीटें है, जिससे तेजस्वी का खेल खराब हुआ है.

पूर्णिया में पप्पू यादव ने निर्दलीय के तौर पर जीत हासिल की है. वहीं सीवान सीट पर हिना शहाब का टिकट काटकर अवध बिहारी चौधरी को टिकट देना भी भारी पड़ा है. बता दें कि आरजेडी के टिकट पर हिना शहाब लगातार तीन बार चुनाव लड़ीं, लेकिन हर बार उन्हें हार मिली थी. वहीं मुकेश सहनी को अपने कोटे से 3 सीटें देने का फैसला भी गलत ही साबित हुआ है.

एक्सपर्ट पूर्णिया की हार को तेजस्वी की निजी हार बता रहे हैं. तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान खुलेआम लोगों से कहा था कि अगर आप इंडिया गठबंधन को वोट नहीं देंगे तो एनडीए को वोट दीजिए. एनडीए को जिताइए. लेकिन इसका इतना बड़ा असर हुआ कि इसका सीधा फायदा पप्पू यादव को मिल गया.

तेजस्वी को नहीं मिला INDIA गुट के नेताओं का साथ

तेजस्वी पूरे चुनाव में अकेले संघर्ष करते दिखे. प्रचार के दौरान INDIA गुट के नेताओं का उन्हें बहुत ज्यादा साथ नहीं मिला. पूरे चुनाव में राहुल गांधी ने सिर्फ 2 बार बिहार आए और 4 सभाएं कीं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे दो बार बिहार आए और 4 सभाएं कीं. सोनिया-प्रियंका गांधी एक बार भी नहीं आईं. इसके अलावा किसी पार्टी के कोई नेता प्रचार के लिए बिहार नहीं आए.

इसकी वजह से जनता के बीच एक संदेश गया कि INDIA गठबंधन में एकजुटता नहीं है. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में ताबड़तोड़ रैलियां और प्रचार किया. इसके साथ अमित शाह सहित कई दिग्गज प्रचार के लिए उतरे.

बहरहाल, जानकारों की मानें तो भले ही आरजेडी की बहुत सीटें आती नहीं दिख रही है, लेकिन तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव के जरिए बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पिच तैयार कर दी है.

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