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तेलंगाना विधानसभा चुनाव: 9 सीटों पर लड़ेगी AIMIM, पहली लिस्ट की बड़ी बातें

AIMIM उम्मीदवारों की पहली सूची में दो मौजूदा विधायकों- सैयद अहमद पाशा कादरी और मुमताज अहमद खान का नाम नहीं है.

मीनाक्षी शशि कुमार
तेलंगाना चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>तेलंगाना विधानसभा चुनाव: 9 सीटों पर लड़ेगी AIMIM, पहली लिस्ट की बड़ी बातें</p></div>
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तेलंगाना विधानसभा चुनाव: 9 सीटों पर लड़ेगी AIMIM, पहली लिस्ट की बड़ी बातें

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रेसीडेंट असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने शुक्रवार, 3 नवंबर को तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के लिए अपने कैंडिडेट्स का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि 30 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी नौ सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.

पहली लिस्ट में AIMIM प्रतिनिधित्व वाली सीटें भी शामिल हैं. इनमें चंद्रयानगुट्टा, नामपल्ली, मलकपेट, याकूतपुरा, चारमीनार, कारवां, बहादुरपुरा, राजेंद्रनगर और जुबली हिल्स जैसी सीटें शामिल हैं.

साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में AIMIM ने कुल आठ सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस दौरान केवल राजेंद्रनगर से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था.

ओवैसी ने नौ विधानसभा क्षेत्रों पर लड़ने वाले कैंडीडेट्स में से 6 के नामों का भी ऐलान कर दिया है. इस लिस्ट से MLA सैय्यद अहमद पाशा कादरी और मुमताज अहमद खान का नाम गायब है.

लिस्ट में किन लोगों का नाम शामिल?

चंद्रायनगुट्टा: मौजूदा विधायक और असदुद्दीन औवेसी के भाई अकबरुद्दीन औवेसी एक बार फिर इस निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने 1999 से आज तक चंद्रायनगुट्टा का प्रतिनिधित्व किया है.

नामपल्ली: मोहम्मद माजिद हुसैन, जिन्होंने 2011-2014 और 2015-2020 तक ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के मेयर के रूप में काम किया, पहली बार नामपल्ली से विधायक के रूप में चुनाव लड़ेंगे. मौजूदा वक्त में वो GHMC के मेहदीपट्टनम डिवीजन से पार्षद हैं, और कहा जाता है कि 2020 के बिहार चुनाव में AIMIM के अच्छे प्रदर्शन के रहनुमा वही थे.

मलकपेट: अहमद बिन अब्दुल्ला बलाला ने 2009, 2014 और 2018 के विधानसभा चुनावों में मलकपेट से जीत हासिल की. 2002 से 2007 तक, उन्होंने GHMC के पथरगट्टी डिवीजन से नगरसेवक के रूप में काम किया.

याकूतपुरा: नामपल्ली निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक, जाफर हुसैन मेराज ने GHMC के उप महापौर के रूप में काम किया. साल 2014 में भी वह नामपल्ली विधायक चुने गए.

चारमीनार: मीर जुल्फिकार अली 1986 में हुसैनी आलम से नगरसेवक के रूप में चुने गए और 1991 में हैदराबाद नगर निगम (अब GHMC) के मेयर के रूप में कार्य किया. वह पहली बार चारमीनार विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.

कारवां: कौसर मोहिनुद्दीन पिछले दो कार्यकाल से कारवां विधायक रहे हैं.

बहादुरपुरा, जुबली हिल्स और राजेंद्रनगर के लिए उम्मीदवारों का ऐलान अभी नहीं हुआ है.
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दो मौजूदा विधायकों का कटा टिकट

असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद के दारुस्सलाम AIMIM कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोलते हुए कहा कि याकूतपुरा के मौजूदा विधायक सैयद अहमद पाशा कादरी और मौजूदा चारमीनार विधायक मुमताज अहमद खान को लिस्ट से हटा दिया गया है.

ओवैसी ने कहा कि मैंने दोनों नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बताया कि मैं इस बार उन्हें टिकट नहीं दे पाऊंगा. मैंने फिर भी उनसे हमारे अभियानों का हिस्सा बनने और पार्टी की जीत के लिए काम करने की गुजारिश की. वे दोनों तुरंत सहमत हो गए और कहा कि वे पार्टी के लिए काम करेंगे.

अहमद पाशा कादरी, असदुद्दीन औवेसी के पिता मरहूम सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी के करीबी दोस्त थे. उन्होंने 2004 में चारमीनार से जीत हासिल की और 2009 और 2014 में इसे बरकरार रखा. 2018 में उन्होंने याकूतपुरा से चुनाव लड़ा और फतह हासिल की.

दूसरी ओर, मुमताज अहमद खान पहली बार 1994 में विधायक बने. बाद में वह AIMIM में शामिल हो गए और 1999, 2004, 2009 और 2014 में याकूतपुरा से विधायक बने. 2018 में, उन्होंने अहमद पाशा कादरी के साथ सीटों की अदला-बदली की और चारमीनार निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता.

भले ही ओवैसी ने दावा किया कि दोनों नेता युवाओं के लिए रास्ता बनाकर खुश हैं लेकिन अटकलें तेज हैं कि मुमताज अहमद खान मजलिस बचाओ तहरीक (जिसका वह कभी हिस्सा थे) में शामिल होना चाह रहे हैं. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी भी उन्हें और उनके परिवार को अपने साथ शामिल करने के बारे में सोच रही है.

नामपल्ली सीट पर बदलाव

पहली लिस्ट में चंद्रायनगुट्टा, मलकपेट और कारवन के मौजूदा विधायकों को उनके संबंधित उम्मीदवारों के रूप में नामित किया गया है. चारमीनार, नामपल्ली और याकूतपुरा इसके अपवाद हैं.

जबकि नामपल्ली निर्वाचन क्षेत्र के दो बार के मौजूदा विधायक जाफर हुसैन मेराज को याकूतपुरा दिया गया और नामपल्ली सीट माजिद हुसैन को दी गई.

लेकिन इस बार मेराज को नामपल्ली क्यों नहीं दिया गया?

2018 के चुनाव में मेराज की जीत का अंतर उनके प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद फिरोज खान ने कम कर दिया था. जहां मेराज को 57,940 वोट मिले, वहीं फिरोज खान 48,265 वोटों पर रहे.

2014 में, जब मेराज को 63,652 वोट मिले थे, तब फिरोज खान (जो उस समय तेलुगु देशम पार्टी में थे) को सिर्फ 46,356 वोट मिले थे. इस बार भी, कांग्रेस ने फिरोज खान को मैदान में उतारा है और राज्य में पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता उन्हें AIMIM के लिए एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी बनाती है.

दूसरी ओर, माजिद हुसैन - जिनके पास दो कार्यकाल के लिए GHMC मेयर रहने का अनुभव है, 2020 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के बिहार प्रभारी थे और उन्होंने राज्य में पांच सीटों पर अपनी जीत सुनिश्चित की.

जुबली हिल्स क्यों?

पार्टी ने 2014 के चुनावों में नवीन यादव को जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा था, लेकिन टीडीपी के मगंती गोपीनाथ से हार गए थे, जो अब भारत राष्ट्र समिति (BRS) के मौजूदा विधायक हैं. 2018 में, उसने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा लेकिन 2023 के चुनावों में फिर से ऐसा करने का फैसला किया है.

शायद इसका संबंध कांग्रेस द्वारा मोहम्मद अजहरुद्दीन को मैदान में उतारने से है. बीआरएस और AIMIM इस चुनाव में भी सहयोगी हैं और जुबली हिल्स से एक उम्मीदवार को मैदान में उतारना कांग्रेस की संभावनाओं को कम करने की एक कोशिश हो सकती है क्योंकि यहां पर मुस्लिम मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग है.

BRS ने एक बार फिर मगंती गोपीनाथ को अपना उम्मीदवार बनाया है.

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