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तेलंगाना चुनाव (Telangana Elections) में 119 सीटों वाली विधानसभा के लिए 30 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. मौजूदा मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव तीसरे कार्यकाल की आस में हैं. हालांकि उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) को कांग्रेस और कुछ इलाकों में बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है.
असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM भी 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
बेहद नजदीकी माने जा रहे इस चुनाव से पहले, केसीआर की पार्टी ने 16 अक्टूबर को कई वर्गों के लिए रियायतों की घोषणा की थी. इनमें वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं, बीड़ी श्रमिकों, फाइलेरिया पीड़ितों, एकल महिलाओं और हथकरघा बुनकरों के लिए 'आसरा मासिक पेंशन' को अगले पांच सालों में मौजूदा 2,016 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रति माह करना शामिल है.
BRS ने रायथु बंधु कृषि निवेश सहायता को मौजूदा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति किसान करने और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 16,000 रुपये प्रति एकड़ प्रति किसान करने का भी वादा किया है.
इस बीच, बीजेपी ने मुफ्त देसी गायें, छह महीने के भीतर समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक समिति, हर छह महीने में राज्य सरकार की भर्ती परीक्षा आयोजित करवाने और महिलाओं के लिए 10 लाख नौकरियों का वादा किया है.
चुनावी सूची के अनुसार, पहली बार तेलंगाना में महिला मतदाताओं (1,63,01,705) की संख्या पुरुष मतदाताओं (1,62,98,418) से ज्यादा हो गई है, लेकिन क्या इस चुनावी मौसम में नौकरी और बेरोजगारी चुनावी मुद्दा होंगे? आइए समझते हैं...
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, मार्च 2023 तक तेलंगाना की बेरोजगारी दर 5.2 प्रतिशत दर्ज की गई, जो राष्ट्रीय औसत 7.8 प्रतिशत से कम है. CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, तेलंगाना की बेरोजगारी दर उसके मूल राज्य आंध्र प्रदेश से भी कम है, जहां राज्य में 7.5 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं.
हालांकि, MICC सचिव और पूर्व विधायक चौ. वामशीचंद रेड्डी ने दावा किया कि तेलंगाना में बेरोजगारी दर 15.1 फीसदी है. शायद वे आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) रिपोर्ट का हवाला दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि तेलंगाना में 15-29 आयु वर्ग के प्रत्येक 100 युवाओं में से कम से कम 15 बेरोजगार हैं.
ध्यान रखें कि CMIE और PLSF द्वारा प्रस्तुत आंकड़े बेरोजगारी के माप के लिए संगठनों के अलग-अलग तरीकों के कारण भिन्न हैं.
2018 विधानसभा चुनावों के दौरान, केसीआर ने बेरोजगारी भत्ता योजना की घोषणा की थी, जिसमें राज्य के बेरोजगार युवाओं को प्रति माह 3,018 रुपये देने का वादा किया गया था. बीआरएस सरकार ने इसके कार्यान्वयन के लिए 1,810 करोड़ रुपये निर्धारित किए थे, जिसकी योजना 2019 में बनाई गई थी, लेकिन तब से इसमें देरी हो रही है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक रेड्डी ने कहा है कि सरकार पर बेरोजगार युवाओं का 1,71,912 रुपये बकाया है, क्योंकि हर बेरोजगार युवा को दिए जाने वाले 3,016 रुपये प्रति माह की बेरोजगारी भत्ता योजना लागू नहीं हुई है. उन्होंने केसीआर पर राज्य के बेरोजगार युवाओं की "सुविधाजनक उपेक्षा" करने का आरोप लगाया.
तेलंगाना की बेरोजगारी दर 2020-21 के दौरान बढ़ी, जब कोविड-19 महामारी अपने चरम पर थी.
पिछले महीने, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली एक 23 वर्षीय छात्रा की वारंगल के अशोक नगर में उसके होस्टल में खुदकुशी से मौत हो गई. इस घटना के बाद सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले कुछ उम्मीदवारों ने विरोध प्रदर्शन किया. उनका दावा था कि तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग की तरफ से ग्रुप-2 परीक्षा को फिर से स्थगित करने के चलते नौकरी नहीं मिलने से वो निराश थीं.
जबकि बीजेपी सांसद के लक्ष्मण ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दावा किया कि छात्रा ने बीआरएस सरकार द्वारा परीक्षाओं को बार-बार रद्द करने और स्थगित करने के चलते ये कदम उठाया. कांग्रेस के सुरजेवाला ने तेलंगाना को युवाओं के लिए "आत्मघाती राजधानी" करार दिया.
सुरजेवाला ने दावा किया कि (TSPSC) कथित तौर पर 15 प्रश्नपत्र लीक हुए हैं और ये भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. उन्होंने कहा, "यही कारण है कि 2014-2021 के दौरान 3,600 छात्रों को खुदकुशी के लिए मजबूर होना पड़ा"
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के उपाध्यक्ष चमाला किरण रेड्डी ने 28 अक्टूबर को कहा कि 22 लाख से ज्यादा युवाओं ने विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के लिए तेलंगाना राज्य लोक सेवा आयोग के साथ रजिस्ट्रेशन कराया है.
इस बीच, कांग्रेस सचिव वामशीचंद रेड्डी ने बिस्वाल कमेटी का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी विभागों में 1.91 लाख रिक्तियां हैं. केटी रामा राव की मंगलवार को लॉन्च की गई वेबसाइट के अनुसार, सरकारी नौकरियों में 2 लाख से ज्यादा पद खाली हैं, जिनमें से 1.6 लाख की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
वेबसाइट में कहा गया है, "तेलंगाना ने 9.5 वर्षों में 1,60,083 नौकरियां भरीं, जो भारत के किसी भी राज्य के हिसाब से जनसंख्या के अनुपात में सबसे ज्यादा है."
कांग्रेस, बीआरएस और बीजेपी, सभी ने तेलंगाना में सत्ता में आने पर इन पदों को भरने का वादा किया है.
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