मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Lok Sabha 2024: यूपी में BJP को बड़ा झटका, कई बड़े नेता हारे- यह रहे पांच कारण

Lok Sabha 2024: यूपी में BJP को बड़ा झटका, कई बड़े नेता हारे- यह रहे पांच कारण

चुनावी नतीजे से यह साफ हो गया है कि मोदी की इस गारंटी का जादू यूपी की जनता पर नहीं चला.

पीयूष राय
चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>LoK Sabha 2024: यूपी में BJP को बड़ा झटका, कई बड़े नेता हारे- यह रहे पांच कारण</p></div>
i

LoK Sabha 2024: यूपी में BJP को बड़ा झटका, कई बड़े नेता हारे- यह रहे पांच कारण

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

लोकसभा चुनाव में अगर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 272 के जादुई आंकड़े को छूने से दूर रह गई तो उसमें सबसे बड़ा योगदान उत्तर प्रदेश का रहा. यहां के नतीजे बीजेपी के लिए अप्रत्याशित हैं. जिस पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव में 62 सीटें जीती थी, वह इस बार 35 के आंकड़े पर आकर थम गई. पार्टी के बड़े-बड़े नेता धराशाई हो गए. गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी लखीमपुर खीरी से हार गए. कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ललकारने वाली स्मृति ईरानी को अमेठी में गांधी परिवार के करीबी केएल शर्मा ने परास्त कर दिया. प्रदेश में पासा ऐसा पलटा कि प्रभु श्रीराम को अयोध्या लाने का दावा करने वाली बीजेपी फैजाबाद सीट भी हार गई. एग्जिट पोल के नतीजे बीजेपी को 65- 70 सीट दे रहे थे लेकिन चुनावी नतीजे इससे बिल्कुल अलग आए. इन नतीजे को समझने के लिए हमें उन कारणों की चर्चा करनी होगी, जिन पर बीजेपी ने दांव लगा रखा था लेकिन उनके पक्ष में गया नहीं. इन कारणों में हम यह भी चर्चा करेंगे कि विपक्ष का कौन सा दांव सटीक निशाने पर लग गया.

1. SP का "पीडीए" का नारा रंग लाया?

जब बीजेपी ने पहली बार "400 पार" का नारा दिया तो उसके बाद बीजेपी की कुछ नेताओं के बयान आए थे, जिसमें उन्होंने संविधान बदलने की बात कही थी. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने इस बात का खंडन कर दिया था लेकिन तब तक विपक्ष और खासकर कांग्रेस को एक बड़ा मुद्दा मिल गया था. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी 400 सीट इसलिए चाहती है ताकि वह संविधान बदल सके और दलित और पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण को खत्म कर दे. 2018 में एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर हुई दलित आंदोलन का दंश झेल चुकी बीजेपी संविधान बदलने वाले विवाद के बाद डैमेज कंट्रोल मोड में तो आई लेकिन नतीजों को देखकर लगता है कि बीजेपी द्वारा दिया गया आश्वासन यूपी में दलितों और पिछड़ों के आरक्षण खत्म होने शक को दूर करने में कामयाब नहीं रहा.

The Quint

वहीं दूसरी तरफ कमजोर हो रही बीएसपी का फायदा इंडिया गठबंधन को मिलता दिख रहा है. उत्तर प्रदेश की पूरी जनसंख्या का 22% दलित है. इसमें 50% में जाटव तो बाकी में खटीक, पासी और बाल्मीकि शामिल हैं. 2012 के बाद से चुनाव में बीएसपी का दलित वोट बैंक घटता ही रहा है और इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला और एक समय ऐसा आ गया कि "नॉन जाटव" बीजेपी का वोट बैंक कहलाने लगा. हालांकि, 2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का फोकस एक बार फिर दलितों की ओर बढ़ा.

यूपी में सुरक्षित लोकसभा सीटों के अलावा पार्टी ने मेरठ और अयोध्या जैसी सामान्य सीट पर भी दलित प्रत्याशी उतारे. एसपी की इस आउटरीच का फायदा उनको नतीजों में देखने को मिल रहा है. पार्टी के फैजाबाद लोकसभा सीट के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को हराकर इस पर जीत दर्ज की, जो बीजेपी के लिए सेफ सीट मानी जा रही थी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

2. यूपी में "मोदी की गारंटी" फेल?

बीजेपी ने जब अपना मेनिफेस्टो जारी किया था तो उसका नाम रखा था "मोदी की गारंटी". इसमें विकास से लेकर जनकल्याणकारी योजनाओं की एक रूपरेखा तैयार की गई थी. इन्हीं योजनाओं के बल पर मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आने का दावा कर रही थी. चाहे फ्री राशन हो या उज्ज्वला योजना.

विशेषज्ञों का अनुमान था कि इन जनकल्याणकारी योजनाओं से बीजेपी एक बार फिर 2014 और 2019 की तरह यूपी में अपना परचम लहराएगी. हालांकि, चुनावी नतीजे से यह साफ हो गया है कि मोदी की इस गारंटी का जादू यूपी की जनता पर नहीं चला.

लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार रतन मणिलाल बताते हैं...

"मोदी की गारंटी" अगर सही में फेल हुई होती तो इसका असर दूसरे उत्तर भारत के राज्यों पर भी देखने को मिलता. वह आगे बताते हैं कि हमें यहां समझना जरूरी होगा कि जो बीजेपी 2022 में प्रचंड बहुमत से प्रदेश में सरकार में आई थी, वहां 2 साल में ऐसा क्या बदल गया? उनका मानना है कि इसका जवाब योजनाओं की विफलता में नहीं बल्कि पार्टी अंदर हो रही उठापटक और बनते बिगड़ते समीकरणों में है."

3. प्रत्याशियों का चुनाव रहा एक बड़ा मुद्दा

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के द्वारा किया गया प्रत्याशियों का चयन भी पूरे चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बना रहा. 'रामायण' सीरियल में श्रीराम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल का तेवर मतदान के दिन तक चर्चा में रहा. मेरठ के स्थानीय BJP पदाधिकारी दबे जुबान में यह मान रहे थे कि अंत समय में प्रत्याशी बनाए गए अरुण गोविल का स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं के साथ संबंध में नहीं बन पाया. अलीगढ़ समेत कई सीटों पर ऐसे प्रत्याशी थे, जो लगातार मोदी लहर में दो बार जीते और तीसरी बार जब उनके खिलाफ विरोध के स्वर आने लगे तो पार्टी ने इसे नजरअंदाज करते हुए तीसरी बार टिकट दे दिया.

2019 में लोकसभा चुनाव हारने वाले मनोज सिन्हा के नेतृत्व में बीजेपी गाजीपुर में लगातार खराब प्रदर्शन कर रही थी. वहां पर किसी नए प्रत्याशी को मौका देने के बजाय एक बार फिर मनोज सिन्हा के करीबी पारसनाथ राय को टिकट दे दिया गया था. बीजेपी यह सीट भी हार गई है.

अमेठी में स्मृति ईरानी के तेवर और अंदाज को लेकर भी क्षेत्र में चर्चाएं थी. सूत्रों की माने तो राज्य नेतृत्व द्वारा कराए गए सर्वे को नजरअंदाज करते हुए कई प्रत्याशियों को टिकट दिए गए थे, जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा.

4. मंदिर, हिंदू- मुस्लिम मुद्दे हुए फेल

2024 लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण के मतदान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के बड़े नेताओं के तेवर आक्रामक हो गए. मुसलमान को लेकर दिए गए विवादित बयान से ध्रुवीकरण की कोशिश भी की गई. पीएम मोदी ने अपने चुनावी रैली के दौरान राजस्थान में दिए एक भाषण में समुदाय विशेष के लिए 'घुसपैठिए' और 'ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला' जैसी बातें कहीं. यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक रैली में कांग्रेस के मेनिफेस्टो में अल्पसंख्यकों को अपने रुचि के अनुसार खानपान की आजादी वाले वादे को गौमांस और गौहत्या से जोड़ दिया था.

हालांकि, नतीजे में बीजेपी के ध्रुवीकरण के इस प्रयास को बहुत सफलता मिलती हुई नजर नहीं आ रही है. जिन सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है, अगर वहां परिणामों में अंतर की बात करें तो 2019 के मुकाबले यह फासला बहुत कम हो गया है.

अगर वाराणसी सीट की बात करें तो यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में साढ़े चार लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे जबकि इस बार उनकी जीत का अंतर 2 लाख से कम रह गया है. कुछ ऐसा ही हाल लखनऊ सीट पर है, जहां गृह मंत्री राजनाथ सिंह 1 लाख से कम वोटो से जीते. 2019 लोकसभा चुनाव में जीत का यह अंतर 3,45000 वोटो से ज्यादा का था. इसे एक बात तो साफ होती नजर आ रही है कि हर वर्ग के लोगों में कहीं ना कहीं बीजेपी और उनकी नीतियों के खिलाफ नाराजगी थी.

पेपर लीक, युवओं का गुस्सा

2024 के फरवरी महीने में यूपी सरकार द्वारा आयोजित दो भर्ती परीक्षा- यूपी कांस्टेबल और RO/ARO के परीक्षा का पेपर लीक हो गया. लंबे समय से भारती का इंतजार कर रहे छात्रों के लिए यह एक बड़ा झटका. शुरुआत में सरकार यह मानने को तैयार नहीं थी की इन दोनों परीक्षाओं का पेपर लीक हो गया है. हालांकि, अभ्यर्थियों के लगातार प्रदर्शन और सामने आए साक्ष्यों के दबाव में सरकार ने यह पेपर रद्द कर दिया. पेपर रद्द होने के बाद इसे दोबारा करवाने का आश्वासन भी दिया गया था लेकिन युवाओं में पेपर लीक को लेकर खासी नाराजगी देखी गई. युवाओं का आरोप था कि सरकार ने वोट बैंक के चक्कर में जल्दबाजी में भर्ती परीक्षा कराई और समुचित व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया

इसके इतर, "अग्निवीर" स्क्रीम को लेकर आर्मी में भर्ती की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों में रोष था. चाहे पश्चिम यूपी में बागपत हो या मेरठ या फिर पूर्वी छोर पर गाजीपुर या बलिया, हजारों की संख्या में युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं. हालांकि अग्निवीर स्कीम आने के बाद आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं में उदासीनता देखने को मिली थी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT