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अखिलेश यादव की करहल सीट से बड़ी जीत, बीजेपी से डबल वोट, तोड़ा अपना भी रिकॉर्ड

Akhilesh Yadav Won Karhal Seat: बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल 50 हजार वोटों से भी पीछे

क्विंट हिंदी
उत्तर प्रदेश चुनाव
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<div class="paragraphs"><p>Akhilesh Yadav Karhal <strong>UP Election Results</strong></p></div>
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Akhilesh Yadav Karhal UP Election Results

(फोटो- क्विंट)

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मैनपुरी में पड़ने वाली करहल विधानसभा सीट (Karhal seat) पर समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की जीत तय है. खबर लिखे जाने तक बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल से अखिलेश यादव 50 हजार वोटों से भी आगे चल रहे थे. अभी तक जहां अखिलेश यादव को कुल पड़े वोटों का रिकॉर्ड 62.93% वोट मिला है वहीं बघेल केवल 30.83% ही पा सके हैं. हालांकि चुनाव आयोग ने अभी अखिलेश आयोग के जीत की आधिकारिक घोषणा नहीं की है.

करहल सीट पर जनता दल 2 बार, कांग्रेस 1 बार, लोकदल 1 बार, झारखंड पार्टी 1 बार, बीजेपी 1 बार काबिज हुई. साल 2017 से पहले इस सीट पर सबसे ज्यादा 61.5% वोट साल 1980 में पड़े थे. उसके बाद 2022 में 65% वोट पड़े. यानी 1977 से लेकर 2022 तक पहली बार इतनी ज्यादा वोटिंग हुई.
चुनाव आयोग के मुताबिक, करहल सीट पर कुल 3.71 लाख मतदाता हैं, जिसमें 1.25 लाख यादव और 18,000 मुस्लिम वोटर शामिल हैं.
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अखिलेश यादव का पॉलिटिकल करियर

मार्च 2012 में जब समाजवादी पार्टी (SP) के नेता अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के 20वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तब वह 38 साल के थे और वे अब तक के सबसे कम उम्र के सीएम बने थे. BSP सुप्रीमो मायावती के बाद, अखिलेश आजादी के बाद से पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले यूपी के दूसरे सीएम बने.

2012 के यूपी विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 403 सीटों में से 224 सीटें जीतकर आराम से बहुमत हासिल किया था. BSP ने 80 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी और कांग्रेस क्रमश: 47 और 28 सीटें जीत सकीं. तब 73 साल के मुलायम ने अपने बेटे अखिलेश को कमान सौंपने का फैसला किया, जिन्होंने नए सीएम के रूप में पदभार संभाला.

अखिलेश यादव 2000 में पहली बार कन्नौज से उपचुनाव में लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए थे. बाद में उन्होंने 2004 और 2009 के आम चुनावों में भी इस सीट से जीत हासिल की.

अखिलेश ने 2012 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था, और सीएम बनने के बाद उन्होंने एमएलसी के रूप में यूपी विधान परिषद में प्रवेश करना पसंद किया.

2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में बीजेपी के हाथों बुरी हार के बाद 2019 के लोकसभा चुनावों में, समाजवादी पार्टी ने मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) के साथ गठबंधन किया, लेकिन यह निराशाजनक साबित हुआ. अखिलेश ने हालांकि आजमगढ़ सीट से चुनाव जीता.

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