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बागपत: चौधरियों से BJP छपरौली नहीं छीन पाई पर जिले की टेस्ट सीरीज 2-1 से कब्जाई

छपरौली चौधरी चरण सिंह व जयंत चौधरी की विरासतीय सीट मानी जाती है. इस सीट पर बीजेपी का कोई जादू काम नहीं कर सका है.

क्विंट हिंदी
उत्तर प्रदेश चुनाव
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<div class="paragraphs"><p>जयंत चौधरी, नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)&nbsp;</p></div>
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जयंत चौधरी, नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो) 

फोटो- ऑल्टर्ड बाय क्विंट

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार बन रही है. योगी सरकार को प्रचंड बहुमत मिला और बीजेपी ने 255 सीटें हासिल कर ली हैं. पश्चिमी उत्तरप्रदेश के प्रथम चरण की 58 सीटों की बात करें तो जनता ने बीजेपी पर विश्वास जताते हुए उनके खाते में 46 सीटें डाल दी हैं जबकि 12 सीट गठबंधन ने हासिल की है.

जनपद बागपत की बात करें तो यहां कुल तीन विधानसभा सीटें है. जिनमें से बागपत, बड़ौत और छपरौली शामिल हैं. छपरौली को यहां की सबसे हॉट सीट कहा जाता है जिसपर बीजेपी, आरएलडी से लेकर बीएसपी और आप सभी की नजरें थीं.

बागपत जिले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, यूपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने सभाएं की थी. छपरौली सीट पर पिछली बार जीत का अंतर बहुत कम रहा लेकिन इस बार बीजेपी ने इस सीट के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. मगर इस सीट पर चौधरी परिवार ने जिस किसी को भी टिकट दिया यहां की जनता से उसे जिताकर विधानसभा तक भेजने का काम किया है.

और इसीलिए छपरौली सीट चौधरी चरण सिंह की विरासतीय सीट मानी जाती है. क्योंकि इस सीट पर चाहे किसी भी पार्टी की लहर रही हो, कब्जा आरएलडी का ही रहा है.

पिछली बार 2017 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो उसमें भी बागपत, बड़ौत में बीजेपी और छपरौली सीट पर आरएलडी ने जीत हासिल की थी. लेकिन कुछ ही समय के बाद छपरौली सीट से विजयी प्रत्याशी सहेंद्र सिंह रमाला को कमल के फूल की महक ज्यादा अच्छी लगी और वो आरएलडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये.

इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में भी रिजल्ट जस का तस ही नजर आया. बड़ौत और बागपत विधानसभा सीट से मौजूदा विधायक और बीजेपी के प्रत्याशी ने ही जीत का परचम लहराया है और छपरौली सीट पर इस बार भी आरएलडी ने ही जीत दर्ज की है.

बागपत विधानसभा सीट का रिजल्ट

मतदाताओं की कुल संख्या - 3,13,929

डाले गए मतों की संख्या - 2,12,784

जीते- योगेश धामा (बीजेपी)- 1,01,420 वोट

दूसरे- नवाब अहमद हमीद (आरएलडी)- 94,687 वोट

तीसरे- अरुण कसाना (बीएसपी)- 12,863 वोट

चौथे- अनिलदेव त्यागी (कांग्रेस)- 1,229 वोट

पांचवें- नवीन कुमार (आप)- 1,004

नोटा- 574

बड़ौत विधानसभा सीट का रिजल्ट

मतदाताओं की कुल संख्या - 3,01,453

डाले गए मतों की संख्या - 1,96,414

जीते- कृष्णपाल मलिक (बीजेपी)- 90,931 वोट

दूसरे- जयवीर सिंह तोमर (आरएलडी)- 90,616 वोट

तीसरे- अंकित शर्मा (बीएसपी)- 11,244 वोट

चौथे- राहुल कश्यप (कांग्रेस)- 1,849 वोट

पांचवें- सुधीर शर्मा (आप)- 709

नोटा- 579

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छपरौली विधानसभा सीट का रिजल्ट

मतदाताओं की कुल संख्या - 3,33,241

डाले गए मतों की संख्या - 2,09,018

जीते- प्रोफेसर अजय कुमार (आरएलडी)- 1,11,880 वोट

दूसरे- सहेंद्र सिंह रमाला (बीजेपी)- 82,372 वोट

तीसरे- साहिक (बीएसपी)- 9,774 वोट

चौथे- यूनुस चौधरी (कांग्रेस)- 1,239 वोट

पांचवें- राजेन्द्र खोखर (आप)- 508

नोटा- 886

इस बार भाजपा के लिए जीत-हार का अंतर रहा बहुत कम

  • बागपत विधानसभा सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी योगेश धामा 6,733 वोटों से जीते जबकि इससे पहले 2017 में योगेश धामा 31,360 वोटों से जीते थे.

  • बड़ौत विधानसभा सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी कृष्णपाल मलिक 315 वोटों से जीते जबकि इससे पहले 2017 में कृष्णपाल मलिक 26,486 वोटों से जीते थे.

  • छपरौली विधानसभा सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी प्रत्याशी 29,508 वोटों से जीते जबकि इससे पहले 2017 में आरएलडी प्रत्याशी सहेंद्र सिंह रमाला 3,842 वोटों से जीते थे.

जीत के कारण

1.बागपत में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद जाट ओर मुसलमानों के बीच आयी खाई को एसपी-आरएलडी गठबंधन ने पाटने की कोशिश जरूर की लेकिन यहां वे अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाए. जैसे बागपत की सीट पर बीएसपी से आरएलडी में आए अहमद हमीद को टिकट देकर मुस्लिम कार्ड खेला था मगर वह इसमें जाटों का वोट पाने में कामयाब नहीं हो पाए.

2.किसान आंदोलन और बागपत में बकाया गन्ना भुगतान की मांग को लेकर जाटों में बीजेपी से नाराजगी भी दिखाई दी. जिसके कारण यहां जीत का अंतर काफी कम रहा. पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार बीजेपी को वोट कम मिला मगर इतना कम नहीं कि जो बीजेपी प्रत्याशी को हरा सकता हो. यहां बीजेपी प्रत्याशियों का अपना निजी जुड़ाव भी बीजेपी के काम आया.

3.दिल्ली सहारनपुर एनएच 709बी और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे. ग्रामीण क्षेत्रों में दूसरी अन्य सड़कों और सम्पर्क मार्गों के निर्माण के चलते जो विकास क्षेत्र में बीजेपी सरकार के दौरान हुआ है उससे इस क्षेत्र के लोगों ने बीजेपी को विकास के कारण वोट किया और बीजेपी प्रत्याशी को इसका फायदा मिला.

4.बागपत क्षेत्र में बढ़ते क्राइम में कमी और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बीजेपी सरकार ने जो प्रयास किया था वो भी बीजेपी को वोट दिलाने में सहायक हुआ है. खासकर लडकियों और महिलाओं ने सुरक्षा के नाम पर बीजेपी को पसंद करते हुए वोट किया है.

5.कोरोना काल मे गरीब तबके को सुविधाएं दी गई, खासकर मुफ्त राशन वितरण और मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं भी बीजेपी की जीत का एक कारण रहा है. कोरोना काल में रोजगार की जो दिक्कतें सामने आई थी उसमें मुफ्त राशन समय पर मिलने से गरीब तबके को खाने के लाले पड़ने से बचाया. खुद मौजूदा विधायकों ने राशन वितरण प्रणाली पर नजर रखी और प्रत्येक गरीब तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की. जिससे चुनाव में बीजेपी को लाभ हुआ है.

6.बीजेपी के बागपत में तीनों प्रत्याशियों ने विवादित बयानों से खुद को बचाकर रखा. जिससे वो विवादित बयान के कारण होने वाली कन्ट्रोवर्सी से बचे रहे और उनका सारा ध्यान अपने चुनाव की कैम्पेनिंग पर लगा रहा. निर्विवाद रहने के कारण भी यहां प्रत्याशियों को लाभ पहुंचा है.

7.अखिलेश-जयंत के रोड शो के दौरान हालांकि समर्थकों का जरूर भारी जमावड़ा रहा मगर इस भारी भीड़ में अति उत्साह में समर्थकों द्वारा कुछ विवादित टिपणियां भी हुई जिससे आरएलडी समर्थकों को भी बुरा लगा और आरएलडी की कुछ परम्परागत वोट भी बीजेपी में तब्दील हुआ.

8.चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं और सोशल मीडिया पर बीजेपी द्वारा अपनी बात जनता तक पहुंचाने से जनता में दोबारा से बीजेपी के आने का जो माहौल बना हुआ था उससे स्थानीय वोटरों ने स्थानीय विधायक भी बीजेपी का ही चुनना पसंद किया ताकि प्रदेश सरकार और विधायक एक ही दल के होने से क्षेत्र में विकास की गंगा बहती रहे.

9. आरएलडी का भले ही एसपी से गठबंधन रहा मगर यहां आरएलडी की छवि केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाहर मजबूत न होना भी आरएलडी के प्रति मतदाताओं में वो विश्वास पैदा नहीं हुआ जो आऱएलडी को वोट दिला सकता था. स्थानीय मतदाताओं के मन मे एसपी बीएसपी गठबंधन के समय हुई तकरार और उसका परिणाम एसपी-आरएलडी गठबंधन में विश्वास पैदा नहीं करा सका. जिसका सीधा लाभ बीजेपी को हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार

वरिष्ठ पत्रकार कमल जैन के अनुसार केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियां और उनके द्वारा किया जा रहा विकास, प्रदेश में घटते अपराध, महिलाओं की सुरक्षा आदि को स्थानीय मुद्दों से ज्यादा लोगों ने प्राथमिकता दी और जात-पात और धर्म से ऊपर उठकर यहां लोगों ने बीजेपी को वोट दिया. किसान आंदोलन के चलते जीत का मार्जिन कम जरूर हुआ है.

वहीं एक अन्य पत्रकार सनुज शर्मा के अनुसार क्षेत्र में बीजेपी विधायकों द्वारा किया गया विकास और विधायकों द्वारा जनता के बीच में रहकर उनसे निरन्तर संवाद और जनसम्पर्क बनाए रखना बीजेपी के लिए फायदेमंद रहा है. साथ ही योगी-मोदी के नाम पर भी वोट मिला है जो कि बीजेपी प्रत्याशियों की जीत का कारण रहा है.

इनपुट- पारस जैन

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