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पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) और उनके करीबियों का भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़कर समाजवादी पार्टी (SP) में जाना धीरे-धीरे महंगा सौदा साबित होता जा रहा है. मौर्य के करीबी पूर्व विधायक साथी जैसे रोशन लाल वर्मा, बृजेश प्रजापति और धर्म सिंह सैनी एक साथ बीजेपी छोड़कर चुनाव से ठीक पहले एसपी में आए थे.
आधा दर्जन से ज्यादा विधायकों का एक साथ पार्टी छोड़ना बीजेपी के लिए उस समय एक बड़ा झटका माना जा रहा था, हालांकि चुनाव परिणामों में इसका कुछ खासा प्रभाव देखने को नहीं मिला और बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आसान जीत दर्ज की थी. नई सरकार बनने के बाद योगी 2.0 (Yogi 2.0) का बुलडोजर (Bulldozer) धीरे-धीरे इन विरोधियों के घर दस्तक दे रहा है.
अप्रैल महीने की 21 तारीख को तिलहर के पूर्व विधायक रोशनलाल वर्मा द्वारा कराया गया एक अवैध निर्माण ध्वस्त कर दिया गया. स्वामी प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाने वाले वर्मा 2016 में बीएसपी छोड़कर बीजेपी में आए थे और ठीक उसी तरह 2022 में चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में आ गए थे. तीन बार से लगातार विधायक रहने वाले वर्मा इस बार चुनाव हार गए.
इसी कड़ी में दूसरा नाम बृजेश प्रजापति का है. मौर्य के करीबी प्रजापति को एक बहुमंजिला इमारत के अवैध निर्माण को लेकर बांदा विकास प्राधिकरण ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. अब प्राधिकरण ने निर्माण को गिराए जाने के निर्देश दे दिए हैं.
कड़े मुकाबले में वह अपने गृह जनपद के नकुड़ विधानसभा सीट से हार गए थे. अब अवैध निर्माण को गिराने की कार्रवाई उनके दरवाजे पर भी पहुंच गई है.
सहारनपुर जिले के चिलकाना कस्बे में पशु चिकित्सालय को ध्वस्त करके एक अवैध मार्केट का निर्माण हुआ था, जिसमें 24 दुकानें 12 लोग के स्वामित्व में बनी हुई हैं. सूत्रों की मानें तो इनमें दो दुकाने पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी की भी हैं और उनको स्थानीय प्रशासन की तरफ से नोटिस भी जारी हो चुका है.
इस बीच सरकारी नौकरी का प्रलोभन देकर लोगों को लूटने के आरोपियों का भंडाफोड़ करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने अरमान खान नामक एक व्यक्ति सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि यह व्यक्ति पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या का निजी सचिव था.
सूत्रों की मानें तो आने वाले समय में सरकार के इन विरोधियों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. सरकार की इस "बुलडोजर" कार्रवाई का समाजवादी पार्टी या मुखिया अखिलेश यादव ने अभी तक खुलकर मुखर विरोध नहीं किया है.
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