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जौनपुर: तुगलक के बसाए जिले में BJP क्यों रही फीकी,9 में से 5 सीटें कैसे जीती SP?

Jaunpur में एक ऐसी सीट भी है जहां होती है हर बार बीजेपी प्रत्याशी की जमानत जब्त, आखिर क्यों ?

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उत्तर प्रदेश चुनाव
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<div class="paragraphs"><p>जौनपुर में चला अखिलेश का जादू, BJP हुई पीछे, नौ में से पांच सीटें कैसे जीती SP?</p></div>
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जौनपुर में चला अखिलेश का जादू, BJP हुई पीछे, नौ में से पांच सीटें कैसे जीती SP?

(फोटो- Altered by Quint)

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UP Chunav Jaunpur results 2022: यूपी चुनाव के नतीजे आ चुके हैंं. भले ही योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में बीजेपी ने राज्य में प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया है लेकिन जौनपुर जिले की 4 सीटों पर ही बीजेपी फतह कर पाई. फिरोज शाह तुगलक द्वारा बसाए जौनपुर की नौ सीटों में से 5 सीटों पर समाजवादी पार्टी गठबंंधन ने कब्जा किया. योगी और मोदी की सभा और दौरे का यहां कोई खास असर नहीं हुआ. जानते हैं एक-एक सीट पर क्या रहा जनादेश और जौनपुर में आए इन नतीजों के पीछे की वजह क्या है.

किस सीट पर क्या स्थिति

जफराबाद

  1. जीते - जगदीश नारायण (सुभासपा-SP) वोट- 89,494

  2. दूसरे - डॉक्टर हरेंद्र सिंह (BJP) वोट-84,036

मल्हनी

  • जीते - लकी यादव (SP) वोट- 94,677

  • दूसरे - धनंजय सिंह (JDU) वोट-78711

मुंगराबादशाहपुर

  1. जीते - पंकज पटेल (SP) वोट- 92,048

  2. दूसरे - अजय शंकर दुबे (BJP) वोट-86,818

जौनपुर सदर

  1. जीते - गिरीश यादव (BJP) वोट- 97136

  2. दूसरे - अरशद खान (SP) वोट-88566

शाहगंज

  1. जीते - रमेश सिंह (BJP-निषाद पार्टी) वोट- 89000

  2. दूसरे - शैलेन्द्र यादव ललई (SP) वोट-88350

केराकत

  1. जीते - तूफानी सरोज (SP) वोट- 95000

  2. दूसरे - दिनेश चौधरी (BJP) वोट-85234

मड़ियाहूं

  1. जीते - डा. आर.के पटेल (अपना दल-एस) वोट- 76007

  2. दूसरे - सुषमा पटेल (SP) वोट-74801

बदलापुर

  1. जीते - रमेश चंद्र मिश्रा (BJP) वोट- 83391

  2. दूसरे - ओमप्रकाश दुबे (SP) वोट-81065

मछलीशहर

  1. जीते - डा. रागिनी सोनकर (SP) वोट- 91659

  2. दूसरे - मेहीलाल (BJP) वोट-83175

जौनपुर में बीजेपी के औसत प्रदर्शन के कारण

  • जौनपुर जिले की सबसे चर्चित सीट मल्हनी रही. इस सीट पर हर बार बीजेपी की जमानत जब्त होती है. माना जाता है कि मल्हनी सीट पर धनंजय सिंह को हराने के लिए बीजेपी एसपी के मदद के लिए चुनाव लड़ती है. मानो मकसद सिर्फ धनंजय को हराना है. यही कारण है कि इस बार भी एसपी ने बाजी मार ली.

  • जौनपुर के दोनोंं सिटिंग एमएलए पार्टी की आंतरिक कलह के शिकार हुए. एंटी इनकंबेंसी भी विधायकों की हार का बड़ा कारण बनी. लगातार प्रत्याशी बदलने के लिए लोकल संगठन की ओर से जोर डाला गया था. लेकिन पार्टी ने नहीं सुनी. ऐसे में सबने मिलकर मोर्चा खोला. जिसके परिणाम बीजेपी के लिए ठीक नहीं हुए.

  • जौनपुर की मुंगराबादशाहपुर विधानसभा में पार्टी की बड़ी नेता और राज्यसभा सांसद समेत संगठन ने प्रत्याशी का जमकर विरोध किया. यहां तक कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जौनपुर सभा करने पहुंचे थे तो पार्टी कार्यकर्ताओं से उनकी मुलाकात होनी थी. पीएम को उन्हीं को मिलवाया गया था जो प्रत्याशी से नाराजगी की बात उनसे न कह सके. यह बड़ा कारण रहा और बीजेपी यहां कमजोर हो गई.

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  • जौनपुर के मछलीशहर विधानसभा से बीजेपी ने गरीब और कमजोर कार्यकर्ता को मैदान में उतारा था. जनता को संदेश देना था कि धनबल और बाहुबल के दम पर पार्टी किसी को टिकट नहीं देती. इस सीट पर लड़ाई भी अच्छी हुई लेकिन दुर्भाग्यवश बीजेपी यह सीट भी हार गई.

  • जौनपुर जिले की 4 सीटों में बीजेपी ने 3 सीटों पर महज 1500 वोट के अंतर से चुनाव जीता है. इन सीटों पर भी प्रत्याशी का विरोध था. लेकिन मोदी योगी के नाम पर किसी तरह प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंच गए. हर सीट पर प्रत्याशी का विरोध बीजेपी के लिए नुकसानदायक रहा.

  • पीएम नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी समेत पूर्वांचल को साधने की पूरी कोशिश की थी. लेकिन वाराणसी को छोड़ दें तो अन्य जनपदों में इनका जादू नहीं चला. पूरी ताकत झोंकने के बाद वाराणसी की 8 सीट पर कब्जा हो सका. लेकिन पड़ोसी जिले जौनपुर में गठबंधन के साथ चार सीटें ही बीजेपी के खाते में गई.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

राजनैतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सिंह ने बताया कि मोदी योगी का शासन, राशन और आवास ही जौनपुर की 4 सीटें बीजेपी को दिला पाया. पार्टी के नेता कार्यकर्ता और वोटर प्रत्याशियों से खासे निराश थे. लेकिन मोदी योगी के दम पर ही यहां की 4 सीटें इज्जत बचाने के लिए बीजेपी के खाते में गई हैं. इन दोनों नेताओं का दबदबा जरा सा भी कम हुआ होता तो बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाता है.

जौनपुर में कौन से मुद्दे काम कर गए ?

जौनपुर के प्रत्याशियों से जनता की नाराजगी एक बड़ा मुद्दा रहा. राज्यसभा सांसद और संगठन के कार्यकर्ताओं का अंतर कलह ही एसपी के लिए वरदान साबित हुआ. विधायकों की उदासीनता और जनता से दूरी ने समाजवादी पार्टी को पूरा मौका दिया और पार्टी ने इसका फायदा भी उठाया.

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