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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) के पहले बढ़ते सियासी पारे के बीच सूबे के बाहुबली फिर से सक्रीय होने लगे हैं. जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raja Bhaiya) ने समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) से 25 नवंबर को मुलाकात की वहीं एसपी के साथ गठबंधन में आये सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर ने भी अभी कुछ दिनों पहले जेल में बंद मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) से मुलाकात की थी.
सूबे के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलकों में इन मुलाकातों को सिर्फ आम शिष्टाचार मुलाकात नहीं माना जा रहा है, बल्कि इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं.
कुंडा से बिना किसी राजनीतिक दलों के सहयोग के1993 से लगातार विधायक रहे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया गुरुवार, 25 नवंबर को एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और इसकी तस्वीर भी ट्विटर पर डाली.
हालांकि मीडिया से बातचीत के दौरान राजा भैया ने इस मुलाकात को मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन के बाद एक अनौपचारिक तौर पर हुई भेंट तक सीमित रखा तथा आगे आने वाली राजनीतिक गतिविधियों के बारे में कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आए. बावजूद इसके विधानसभा चुनाव के पहले इस मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.
गौरतलब है कि राजा भैया ने पहले ही एलान कर रखा है कि यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 100 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर मजबूती से चुनाव लड़ेगी, लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारा जाएगा. ऐसे में एसपी संरक्षक के साथ इस "अनौपचारिक" भेंट के बाद चुनाव के राजनीतिक समीकरण किस ओर करवट लेते हैं, वह देखने लायक होगा.
समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में आये सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर ने अभी कुछ दिनों पहले जेल में बंद मुख्तार अंसारी से मुलाकात की मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म रहा और मुख्तार अंसारी और सपा के फिर से करीब आने के कयास लगाए जा रहे हैं.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश, खास कर पूर्वांचल में बाहुबलियों का राजनीति में खासा दबदबा रहा है. राजा भैया, मुख्तार अंसारी के अलावा धनंजय सिंह और अतीक अहमद जैसे बड़े नाम भी हैं जो कि आगे आने वाले चुनाव में सत्ता और विपक्ष की तरफ से दावेदारी पेश कर अपने-अपने क्षेत्र में चुनावी समीकरण बदलने का दम रखते हैं.
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