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कैमरापर्सन: शिव कुमार मौर्य
वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
25 जनवरी को, यूपी पुलिस ने प्रयागराज में एक लॉज पर धावा बोल दिया और आरआरबी-एनटीपीसी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता का विरोध कर रहे छात्रों के साथ मारपीट की.
उस समय कई वीडियो रिकॉर्ड किए गए जिनमें पुलिस को छात्रों को पीटते हुए दिखाया गया था, वो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए.
लॉज निवासी 21 वर्षीय सचिन पाल कहते हैं, ''मैं जेईई की तैयारी कर रहा हूं. मैं एनटीपीसी का आवेदक नहीं हूं और मैं वहां एनटीपीसी के विरोध प्रदर्शन में भी नहीं था. लेकिन जब पुलिस हमारे लॉज में दाखिल हुई, उन्होंने लोगों को पीटा, मैं प्रदर्शन का हिसा नहीं था लेकिन उन्होंने मुझे भी पीटा, यह भयानक था."
जिस लॉज में पुलिस घुसी थी वह प्रयागराज के छोटा बगड़ा इलाके में स्थित है. यह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों से भरा हुआ है. क्षेत्र में रहने वाले और एनटीपीसी के विरोध में गए 18 वर्षीय यूपीएससी उम्मीदवार सात्विक सिंह कहते हैं, "पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर एकत्रित प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया. फिर, उन्होंने इस इलाके में उनका पीछा किया और उन पर हमला किया. मैंने इसे अपनी आंखों से देखा, जिस तरह से पुलिस उन्हें पीट रही थी वह बर्बर और अमानवीय था."
यूपी के प्रतापगढ़ के रहने वाले और उस लॉज में रहने वाले 28 वर्षीय एनटीपीसी आवेदक धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि वह 25 जनवरी को यूपी पुलिस द्वारा पीटे गए छात्रों में थे.
कुमार ने द क्विंट को बताया, "2019 में, जब दिल्ली पुलिस ने जामिया में छात्रों की पिटाई की, मुझे लगा कि वे देश के खिलाफ काम करने और व्यवस्था और प्रशासन का विरोध करने की सजा के रूप में इसके लायक हैं."
और फिर वह कहते हैं, "लेकिन अब, बुरा अनुभव करने के बाद इस पर मेरे विचार बहुत बदल गए हैं. क्योंकि जो कोई भी उनके (सरकार) के खिलाफ बोलता है उसे खलनायक के रूप में लेबल किया जाता है."
सचिन कहते हैं, ''छात्र इतने डरे हुए हैं कि उनमें से कई अपने कमरे बंद कर घर चले गए हैं.'' वह आगे कहते हैं, ''जिस किसी को भी पीटा जाता है, उसे डर लगना स्वाभाविक है. मैं भी घर जाने वाला हूं.''
जब द क्विंट ने 28 जनवरी को लॉज का दौरा किया, तो वास्तव में कई कमरे बंद थे. उसी छोटा बगदा पड़ोस में रहने वाले अयोध्या के 22 वर्षीय एनटीपीसी आवेदक रवि अग्रहरी कहते हैं, "पुलिस की हिंसा में कई छात्र घायल हो गए थे. उनकी उंगलियों में फ्रैक्चर थे और पीठ पर चोट के निशान. यही कारण है कि बहुत सारे छात्रों ने घर जाना चुना."
इस बार आरआरबी-एनटीपीसी भर्ती प्रक्रिया में लगभग 35,000 रिक्तियों के लिए, लगभग 60 लाख छात्रों के परीक्षा में बैठने की सूचना है. "चौथी श्रेणी की नौकरियों की तलाश करने वाले ग्रुप डी आवेदकों के लिए दूसरी, कठिन परीक्षा क्यों शुरू करें? इसका संभावित कारण क्या है?" एनटीपीसी के 22 वर्षीय आवेदक राहुल यादव पूछते हैं.
धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, ''उन्हें परीक्षा के बाद लगभग 7 लाख छात्रों को शॉर्टलिस्ट करना था. इसके बजाय, केवल 3.5 आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किया गया था. इसलिए भी छात्र विरोध कर रहे हैं.'' फिर भी, अधिकांश छात्र इस बात से सहमत हैं कि इन शिकायतों से परे शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी असंतोष का एक बड़ा कारण है.
राहुल यादव का कहना है, ''सरकार अपने वादे का 10% भी पूरा नहीं करती है.'
आजमगढ़ के 23 वर्षीय विनीत यादव कहते हैं, "प्रियंका गांधी वाड्रा ने छात्रों के लिए आरआरबी-एनटीपीसी मुद्दे पर बात की और यह देखकर बहुत खुशी हुई." विनीत यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) की भी तैयारी कर रहे हैं. वह आगे कहते हैं, "हम ऐसी सरकार नहीं चाहते जो इस तरह से निर्दोष युवाओं की पिटाई करे."
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