Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Elections Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Uttar pradesh election  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP चुनाव- प्रयागराज में पुलिस ने जिन छात्रों को पीटा वो चुनाव पर क्या सोचते हैं?

UP चुनाव- प्रयागराज में पुलिस ने जिन छात्रों को पीटा वो चुनाव पर क्या सोचते हैं?

एक 21 वर्षीय छात्र का कहना है, ''हम डरे हुए थे. हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा था जैसे हम आतंकवादी हों.''

मेघनाद बोस
उत्तर प्रदेश चुनाव
Published:
<div class="paragraphs"><p>RRB-NTPC: प्रयागराज में जिन छात्रों को पीटा गया था वें किसे देंगे अपना वोट?</p></div>
i

RRB-NTPC: प्रयागराज में जिन छात्रों को पीटा गया था वें किसे देंगे अपना वोट?

द क्विंट

advertisement

कैमरापर्सन: शिव कुमार मौर्य

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

"पुलिस हमारे कमरों में घुस गई और हमारे साथ मारपीट की. हम डर गए थे. हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा था जैसे हम आतंकवादी हों."
प्रयागराज में 21 वर्षीय छात्र सचिन पाल

25 जनवरी को, यूपी पुलिस ने प्रयागराज में एक लॉज पर धावा बोल दिया और आरआरबी-एनटीपीसी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता का विरोध कर रहे छात्रों के साथ मारपीट की.

उस समय कई वीडियो रिकॉर्ड किए गए जिनमें पुलिस को छात्रों को पीटते हुए दिखाया गया था, वो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए.

उस समय जो छात्र पुलिस हिंसा का शिकार हुए थे, उनसे द क्विंट ने बात की. उन्होंने बताया कि उस दिन क्या हुआ था? आरआरबी-एनटीपीसी भर्ती प्रक्रिया से उनकी शिकायत क्या है? बेरोजगारी का मुद्दा उनके लिए कितना बड़ा है? और जारी विधानसभा चुनावों में वे किसे मतदान करेंगे?

(फोटो: मेघनाद बोस/द क्विंट)

'पुलिस ने आरआरबी-एनटीपीसी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होने वालों को भी पीटा'

लॉज निवासी 21 वर्षीय सचिन पाल कहते हैं, ''मैं जेईई की तैयारी कर रहा हूं. मैं एनटीपीसी का आवेदक नहीं हूं और मैं वहां एनटीपीसी के विरोध प्रदर्शन में भी नहीं था. लेकिन जब पुलिस हमारे लॉज में दाखिल हुई, उन्होंने लोगों को पीटा, मैं प्रदर्शन का हिसा नहीं था लेकिन उन्होंने मुझे भी पीटा, यह भयानक था."

(फोटो: द क्विंट)

जिस लॉज में पुलिस घुसी थी वह प्रयागराज के छोटा बगड़ा इलाके में स्थित है. यह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों से भरा हुआ है. क्षेत्र में रहने वाले और एनटीपीसी के विरोध में गए 18 वर्षीय यूपीएससी उम्मीदवार सात्विक सिंह कहते हैं, "पुलिस ने रेलवे स्टेशन पर एकत्रित प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया. फिर, उन्होंने इस इलाके में उनका पीछा किया और उन पर हमला किया. मैंने इसे अपनी आंखों से देखा, जिस तरह से पुलिस उन्हें पीट रही थी वह बर्बर और अमानवीय था."

'जब दिल्ली पुलिस ने जामिया में छात्रों की पिटाई की, तो मुझे लगा कि यह अच्छी बात है. लेकिन अब...'

(फोटो: द क्विंट)

यूपी के प्रतापगढ़ के रहने वाले और उस लॉज में रहने वाले 28 वर्षीय एनटीपीसी आवेदक धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि वह 25 जनवरी को यूपी पुलिस द्वारा पीटे गए छात्रों में थे.

कुमार ने द क्विंट को बताया, "2019 में, जब दिल्ली पुलिस ने जामिया में छात्रों की पिटाई की, मुझे लगा कि वे देश के खिलाफ काम करने और व्यवस्था और प्रशासन का विरोध करने की सजा के रूप में इसके लायक हैं."

और फिर वह कहते हैं, "लेकिन अब, बुरा अनुभव करने के बाद इस पर मेरे विचार बहुत बदल गए हैं. क्योंकि जो कोई भी उनके (सरकार) के खिलाफ बोलता है उसे खलनायक के रूप में लेबल किया जाता है."

"मैं पहले भी बीजेपी का समर्थक रहा हूं और उन्हें वोट दिया है, लेकिन अब, मेरे अपने अनुभवों के परिणामस्वरूप मेरे विचार बदल रहे हैं."
धर्मेंद्र कुमार, एनटीपीसी आवेदक

हिंसा के डर से कई छात्र घर जा चुके हैं

सचिन पाल घर जा चुके छात्रों के बंद कमरों की ओर इशारा करते हैं.

(फोटो: द क्विंट)

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सचिन कहते हैं, ''छात्र इतने डरे हुए हैं कि उनमें से कई अपने कमरे बंद कर घर चले गए हैं.'' वह आगे कहते हैं, ''जिस किसी को भी पीटा जाता है, उसे डर लगना स्वाभाविक है. मैं भी घर जाने वाला हूं.''

जब द क्विंट ने 28 जनवरी को लॉज का दौरा किया, तो वास्तव में कई कमरे बंद थे. उसी छोटा बगदा पड़ोस में रहने वाले अयोध्या के 22 वर्षीय एनटीपीसी आवेदक रवि अग्रहरी कहते हैं, "पुलिस की हिंसा में कई छात्र घायल हो गए थे. उनकी उंगलियों में फ्रैक्चर थे और पीठ पर चोट के निशान. यही कारण है कि बहुत सारे छात्रों ने घर जाना चुना."

सरकार नौकरियां प्रदान करने में विफल रही है

एनटीपीसी के आवेदक राहुल यादव ने नौकरियों की कमी पर अफसोस जताया और इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

(फोटो: द क्विंट)

इस बार आरआरबी-एनटीपीसी भर्ती प्रक्रिया में लगभग 35,000 रिक्तियों के लिए, लगभग 60 लाख छात्रों के परीक्षा में बैठने की सूचना है. "चौथी श्रेणी की नौकरियों की तलाश करने वाले ग्रुप डी आवेदकों के लिए दूसरी, कठिन परीक्षा क्यों शुरू करें? इसका संभावित कारण क्या है?" एनटीपीसी के 22 वर्षीय आवेदक राहुल यादव पूछते हैं.

धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, ''उन्हें परीक्षा के बाद लगभग 7 लाख छात्रों को शॉर्टलिस्ट करना था. इसके बजाय, केवल 3.5 आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किया गया था. इसलिए भी छात्र विरोध कर रहे हैं.'' फिर भी, अधिकांश छात्र इस बात से सहमत हैं कि इन शिकायतों से परे शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी असंतोष का एक बड़ा कारण है.

"महामारी ने स्थिति को खराब कर दिया है. हमारे माता-पिता ने हमें यहां पढ़ने के लिए भेजा इसके लिए पैसा खर्च किया है. लेकिन निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में शायद ही कोई नौकरी है. सरकार रोजगार प्रदान करने में विफल रही है. वे हमारे जीवन को बर्बाद कर रहे हैं."
अयोध्या के 22 वर्षीय एनटीपीसी आवेदक रवि अग्रहरी

राहुल यादव का कहना है, ''सरकार अपने वादे का 10% भी पूरा नहीं करती है.'

'यह मुद्दा निश्चित रूप से प्रभावित करेगा कि हम किसे मतदान करें?'

"2019 के लोकसभा चुनाव में, मैंने यह सोचकर बीजेपी को वोट दिया कि बीजेपी सरकार रोजगार देगी. लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए और इसलिए मैं इस बार उन्हें वोट नहीं दूंगा. इसके बजाय मैं समाजवादी पार्टी को अपना वोट दूंगा."
अयोध्या के 22 वर्षीय एनटीपीसी आवेदक रवि अग्रहरी

आजमगढ़ के 23 वर्षीय विनीत यादव कहते हैं, "प्रियंका गांधी वाड्रा ने छात्रों के लिए आरआरबी-एनटीपीसी मुद्दे पर बात की और यह देखकर बहुत खुशी हुई." विनीत यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) की भी तैयारी कर रहे हैं. वह आगे कहते हैं, "हम ऐसी सरकार नहीं चाहते जो इस तरह से निर्दोष युवाओं की पिटाई करे."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT