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लखीमपुर Lakhimpur के किसान सुभ्रान्त शुक्ला जो कभी मोदी जी की नीतियों से इतने प्रभावित हुए कि 2010 में एक बड़ी फार्मा कंपनी की अच्छी-खासी नौकरी को छोड़कर खेती के कार्य में लग गए और किसान बन गए. लेकिन आज वही किसान सुभ्रान्त शुक्ला मोदी सरकार के द्वारा किये गए वादों की असफलता से इतने हताश हैं कि आज उन्हें अपने फैसले पर संदेह हो रहा है. सुभ्रान्त मोदी की क्रांतिकारी नीतियों से प्रभावित हुए थे उन्हें लगा की अब अच्छे दिन आयेंगे लेकिन दिनों में कुछ बदलाव नहीं हुआ.
सुभ्रान्त शुक्ला ने बताया कि जब मोदी जी ने अपनी नीतियों के बारे में बताया कि वो सभी नदियों को आपस में इंटरलिंक करेंगे ताकि बाढ़ और सूखे की समस्या से निजात मिल जाए जिन राज्यों में हर साल बाढ़ आती है वहां के लोग बाढ़ के डर से मुक्त हो और जहां सूखा पड़ता है, वहां पानी की कमी न हो लेकिन आज तक ऐसा कोई भी काम होता नहीं दिख रहा है. उन्होंने बताया कि मोदी जी जब GIG जीआईजी ग्राउंड GROUND में आए थे, तब उन्होंने 14 दिनों के अंदर गन्ना भुगतान का वादा किया था, लेकिन उसपर कोई एक्शन नहीं लिया गया.
शुक्ला ने कहा कि मोदी जी का वन डिस्ट्रिक वन क्रॉप का वादा भी सिर्फ वादे तक सीमित होकर रह गया उस पर भी कुछ काम आज तक नहीं हुआ. शुक्ला ने कुछ अन्य योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद मृदा स्वास्थ कार्ड बने ,जिसमें किसान को अपनी जमीन के स्वास्थ के बारे में जानकारी मिल रही थी, लेकिन वो सिर्फ 1 बार ही हुआ जबकि कम से कम 3 साल में इसे दोहराया जाना चाहिए था.
मोदी जी की नीतियों से प्रभावित हो साल 2010 में एक बड़ी फार्मा कम्पनी की अच्छी नौकरी को छोड़कर सुभ्रान्त शुक्ला खेती के कार्य में लग गए और किसान बन गए. सुभ्रान्त शुक्ला ने बताया कि मोदी जी ने एक बात कही थी की जितनी भी पेप्सी-कोक जैसे ड्रिंक्स Drinks हैं उनमे कम से कम 10-15% फलों के जूस को मिलाना अनिवार्य कर दिया जाएगा तो इससे किसान की आय बढ़ेगी और लोगों की HEALTH स्वास्थ भी ठीक रहेगा, लेकिन उनका ये प्लान भी सिर्फ कभी न पूरा होने वाला वादा बनकर रह गया. जिससे उम्मीद टूट हताशा हाथ लगी.
सुभ्रान्त शुक्ला ने बताया कि छोटे किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा, अगर कोई किसान पांच या दस क्विंटल अनाज पैदा करता है तो वह लखीमपुर मंडी में लाने में असमर्थ होगा ऐसे में उसे अनाज को खुले बाजार में ही ओने-पौने दाम में बेचना पड़ता है, जिससे उसे अपने अनाज की सही कीमत नहीं मिलती, हालांकि शेल्टर्स तो हैं, लेकिन उनके मानक बहुत तगड़े होते हैं कि वो बहाना बनाकर कि नमी बहुत है और भी कई प्रकार के कारण गिनाकर छोटे किसानों को परेशान करते हैं. शुक्ला ने हताश स्वर में कहा कि
सुभ्रान्त शुक्ला ने गुजारिश करते हुए कहा कि चाहे सत्ता में कोई भी सरकार हो उनसे मेरी गुजारिश है कि सरकार देश के अन्नदाता को पीछे छोड़कर आगे न बढ़े सरकार कोई भी नीति बनाए उसमें किसानों, वैज्ञानिकों और फैक्टरी वालों को साथ मी बिठाकर बात करे और नीति बनाए ताकि सभी की विकास हो।शुक्ला ने कहा कि किसान होने के नाते मैं चाहुंगा कि
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