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भीम आर्मी चीफ का सपा प्रमुख अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) से मिलना. सीएम योगी का दलित के घर खाना खाना और विधायक घनश्याम लोधी का सपा से इस्तीफा. विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे ही प्रदेश में चुनावी पारा बढ़ रहा है. नजर डालते हैं 14 जनवरी को जिन खबरों से रही यूपी की राजनीति सरगर्म.
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा है कि एकता में बड़ा दम है. मजबूती और एकता के बगैर बीजेपी जैसी मायावी पार्टी को हराना आसान नहीं है. गठबंधन के अगुवा का दायित्व होता है कि वो सभी समाज के लोगों के प्रतिनिधित्व और सम्मान का खयाल रखें. आज यूपी में दलित वर्ग अखिलेश यादव जी से इस जिम्मेदारी को निभाने की अपेक्षा रखता है.
आजाद, शुक्रवार को अखिलेश यादव से मिलने एसपी के दफ्तर पहुंचे. माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद चंद्रशेखर खुद भी चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. सूत्रों का दावा है कि दोनों नेताओं में गठबंधन और सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत जारी है.
बीजेपी से बगावत करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने शुक्रवार को समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. उनके साथ धर्म सिंह सैनी ने भी सपा ज्वाइन किया. अखिलेश यादव की मौजूदगी में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई गई. इसके अलावा, बृजेश प्रजापति, भगवती प्रसाद सागर, मुकेश वर्मा, रोशन लाल वर्मा, विनय शाक्य, अपना दल के चौधरी अमर सिंह, युसुफ अली, नीरज मौर्य, हरपाल सैनी शामिल हुए.
ये वर्चुअल रैली और प्रेस कॉन्फ्रेंस विवादों में घिर गई क्योंकि भीड़ ज्यादा होने के कारण कोरोना नियमों के उल्लंघन के आरोप में समाजवादी पार्टी के सौकड़ों नेताओं के खिलाफ एफआईआर हो गई. जिसको लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि,
शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के मानबेला की पीरु शहीद दलित बस्ती पहुंचे. यहां सीएम योगी ने बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता दलित अमृत लाल के घर पर खाना खाया. इसके बाद अमृत लाल के परिवार ने मुख्यमंत्री योगी को बाबा साहेब अम्बेडकर और भगवान बुद्ध के चित्र के रूप में स्मृति चिन्ह दिया.
यूपी चुनाव में नेताओं के इस्तीफों और दलबदल का दौर थम नहीं रहा है. जहां एक तरफ बीजेपी के नेता एसपी में शामिल हुए तो दूसरी तरफ एसपी के MLC घनश्याम लोधी ने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा है कि पिछड़ों को उचित सम्मान नहीं मिला है.
उन्होंने एक चिट्ठी लिख अपना दर्द बयां किया है. वे लिखते हैं कि सपा द्वारा दलित समाज की उपेक्षा की गई है. इसी वजह से वे इस्तीफा देने जा रहे हैं.
बीएसपी नेता अरशद राणा ने कहा, ‘मैं 24 साल से काम कर रहा हूं. 2018 (2002 यूपी चुनावों के लिए) में औपचारिक रूप से चरथावल से उम्मीदवार भी घोषित किया गया था. अब तक मैं बसपा को 4.5 लाख रुपए का भुगतान कर चुका हूं. मुझे 50 लाख देने को कहा गया है. पार्टी से संपर्क करने की कोशिश कर रहा हूं.’
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