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UP Chunav Rae Bareli results 2022: यूपी चुनाव के नतीजों में रायबरेली जिले की बात करें तो पिछली बार यहां की 6 सीटों में बीजेपी के पास 3, कांग्रेस के पास 2 और समाजवादी पार्टी के पास एक सीट थी. वहीं इस बार बीजेपी 2 ही सीटों पर जीत दर्ज कर पाई है. कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में कांग्रेस का तो पत्ता साफ हो गया, लेकिन यहां SP ने 4 सीटें अपने नाम कर लीं. जानते हैं रायबरेली की हर एक सीट का क्या रहा रिजल्ट और रायबरेली में आए इन नतीजों की क्या वजह रही.
जीतीं- अदिति सिंह (BJP), वोट- 102429
दूसरे- राम प्रताप यादव (SP), वोट - 95254
तीसरे- डॉ. मनीष चौहान (INC), वोट - 14954
जीते- श्याम सुंदर भारती (SP), वोट- 65747
दूसरे- लक्ष्मीकांत (अपना दल), वोट- 62935
तीसरे- सुशील कुमार पासी (INC), वोट- 56835
जीते- राहुल राजपूत (SP), वोट- 92498
दूसरे- राकेश सिंह (BJP), वोट- 78009
तीसरे- सुरेंद्र विक्रम सिंह (INC), वोट- 16230
जीते- देवेंद्र प्रताप सिंह (SP), वोट- 66166
दूसरे- धीरेंद्र बहादुर सिंह (BJP), वोट- 62359
तीसरे- सुधा द्विवेदी (INC), वोट- 42702
जीते- मनोज कुमार पांडे (SP), वोट- 82514
दूसरे- अमरपाल मौर्या (BJP), वोट- 75893
तीसरे- अंजली मौर्या (BSP), वोट- 34692
जीते- अशोक कुमार (BJP), वोट- 87715
दूसरे- जगदीश प्रसाद (SP), वोट- 85604
तीसरे- अर्जुन कुमार (INC), वोट- 11439
चलिए एक नजर डालते हैं इस बात पर कि जिले में BJP क्यों पीछे रह गई.
ऊंचाहार विधानसभा की बात करें तो यहां का जातीय समीकरण बीजेपी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ. टिकट बंटवारा भी उसकी एक अहम वजह रही. ऊंचाहार में मनोज कुमार पांडे 2017 में भी रायबरेली से अकेले समाजवादी पार्टी के विधायक थे. उन्हें इस बार हराने के लिए बीजेपी ने 'अभी नहीं तो कभी नहीं' जैसे नारों का सहारा भी लिया. लेकिन इस बार भी वो अपने बीजेपी प्रतिद्वंदी अमरपाल मौर्या से ज्यादा वोट पाकर सीट अपने नाम कर पाए. यहां मनोज कुमार पांडे की ब्राह्मण वोटों पर अच्छी पैठ है, जिसका फायदा तो उन्हें मिला ही. साथ ही, SP का यादव और मुस्लिम वोट भी उन्हें मिला.
बीजेपी ने मौर्या समुदाय से आने वाले अमरपाल मौर्या को टिकट दिया था. BSP ने भी मौर्या समुदाय की बहुलता को नजर में रखते हुए अंजली मौर्या को टिकट दे दिया. यानी जो मौर्या टिकट बीजेपी को मिल सकता था वो दो हिस्सों में बंट गया.
हरचंदपुर विधानसभा में लोधी समुदाय की संख्या काफी है. यहां से SP प्रत्याशी राहुल राजपूत थे. जिन्हें समाजवादी पार्टी के परंपरागत वोटों के साथ ही लोधी समुदाय का सपोर्ट भी मिल गया. और यहां भी समाजवादी पार्टी बीजेपी पर भारी रही. बता दें कि पिछले चुनावों में भी इस बार बीजेपी से हारने वाले राकेश सिंह, कांग्रेस की टिकट पर लड़कर जीते तो जरूर थे, लेकिन दूसरे नंबर पर यहां से बीजेपी की ओर से लड़े उम्मीदवार कंचन लोधी से सिर्फ 4 हजार वोटों से ही आगे थे. यानी जहां पिछली बार बीजेपी ने यहां लोधी समुदाय के प्रतिनिधि को वोट दिया था. वहीं इस बार ये न करना बीजेपी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ है.
जातीय समीकरण और टिकट बंटवारे से इतर देखें तो कैंडिडेट किसी भी पार्टी के लिए चुनावों के दौरान अहम होता है. क्योंकि जनता के बीच उसकी पैठ कैसी है, नेगेटिव है या पॉजिटिव है? ये चीजें भी किसी के जीतने हारने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं. सरेनी विधानसभा की बात करें तो यहां से पिछली बार बीजेपी से धीरेंद्र बहादुर सिंह विधायक रहे. लेकिन इस बार वो दूसरे नंबर पर रहे. उनकी जगह समाजवादी पार्टी कैंडिडेट देवेंद्र प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की. ग्राउंड पर मौजूद सूत्रों के हवाले से पता चला है कि जहां देवेंद्र प्रताप सिंह को लोगों में काफी पसंद किया जाता है. वहीं यहां से विधायक रहे धीरेंद्र बहादुर सिंह के प्रति लोगों में नाराजगी व्याप्त है. जिसका नुकसान सीधा-सीधा बीजेपी को होता दिखा.
जहां पिछली बार कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले इस जिले में कांग्रेस के पास 2 सीटें थीं. इस बार वो शून्य हो गई हैं. और समाजवादी पार्टी के पास पिछली बार से 3 सीटें ज्यादा आ गई हैं. इसका मतलब साफ-साफ ये है कि जो वोटर कांग्रेस का था वो बीजेपी की बजाय समाजवादी पार्टी की तरफ मुड़ चुका था.
अगर बात करें रायबरेली सदर की तो यहां से बीजेपी कैंडिडेट और अखिलेश सिंह की बेटी अदिति सिंह ने चुनाव जीता है.
यानी गंगा के तट पर बसे रायबरेली जिले में बीजेपी इस बार अपना किला नहीं बना पाई. यहां तक कि जो नींव उसने पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान रखी थी, वो भी ढह गई.
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