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अब हाथरस और बिकरू कांड वाले इलाकों में वोट की बारी, 59 सीटों पर BJP या SP भारी?

UP Third Phase Election: हर चौथा उम्मीदवार दागी, तीन सबसे अमीर उम्मीदवारों में 2 कांग्रेस के हैं

विकास कुमार
उत्तर प्रदेश चुनाव
Updated:
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यूपी का चुनाव (UP election) जाटलैंड (Jatland) से शिफ्ट होकर यादवलैंड (Yadavland) की तरफ बढ़ चुका है. 20 फरवरी को तीसरे फेज की वोटिंग है. 59 सीटों पर 627 उम्मीदवार मैदान में हैं. इस फेज में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav), शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) और हरिओम यादव (Hariom Yadav) जैसे बड़े चेहरे मैदान में हैं. हाथरस (Hathras) और बिकरू कांड (Bikru kand) वाली विधानसभा सीटों पर भी इसी फेज में मतदान होना है. ऐसे में समझते हैं कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में इन 59 सीटों का समीकरण क्या रहा?

पिछले दो चरणों की तुलना में तीसरे चरण में ज्यादा सीटों पर मतदान है. 16 जिले हाथरस, फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा हैं.

2012: SP का 62% और BJP का 13% सीटों का कब्जा

साल 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 59 में से 62% सीटों पर कब्जा किया था. कुल 37 सीट जीत ली थी, जिसमें कानपुर नगर की 5, कन्नौज की 3, औरेया की 3, इटावा की 3, मैनपुरी की 4, एटा की 6 और फिरोजाबाद की 3 सीटों पर कब्जा जमाया था. दूसरे नंबर पर बीएसपी थी. हाथरस और ललित में 2-2 सीटों सहित कुल 10 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी 8 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर थी. उसने कानपुर नगर से 4, झांसी और फिरोजबादा से एक-एक सीट पर कब्जा किया था.

यूपी: साल 2012 के नतीजे

ग्राफिक्स- मोहन सिंह

2017: मोदी लहर में BJP का 83% सीटों पर कब्जा

साल 2017 में मोदी लहर का असर दिखा कि 59 सीटों में जो बीजेपी 13% सीटों पर थी, वह 83% सीट जीत जाती है. यानी मोदी लहर में 70% सीटों पर जंप का फायदा मिला. एसपी 37 से घटकर 8 पर आ जाती है, जिसमें मैनपुरी से 3, कानपुर नगर से 2, फिरोजाबाद-कन्नोज से 1-1 सीट जीतती है. बीएसपी जो इस क्षेत्र में दूसरे नंबर पर थी वह 10 से घटकर 1 पर आ जाती है. वह सिर्फ हाथरस की सादाबाद सीट जीत पाती है. कांग्रेस पहले 3 पर थी वह भी बीएसपी के बराबर एक सीट पर आ जाती है.

साल 2017 के नतीजे

ग्राफिक्स- मोहन सिंह

तीसरे चरण में मुस्लिम वोटर का प्रभाव कम

तीसरे चरण में 16 जिलों में मतदान है. उसमें से टॉप 5 मुस्लिम आबादी वाले जिले कन्नौज, कानपुर नगर, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद और हाथरस है. साल 2017 में कन्नौज की 3 में से दो सीटों पर बीजेपी जीत गई थी. एक पर एसपी. कानपुर नगर की 10 सीटों में से 7 पर बीजेपी, 2 पर एसपी और 1 पर कांग्रेस जीती थी. फर्रुखाबाद की चारों सीटों पर बीजेपी जीत गई थी. सब मिलाकर ये कहा जा सकता है कि तीसरे चरण में मुस्लिम वोटर का बहुत ज्यादा असर नहीं है. हालांकि देखना होगा कि जिस तरह से पिछले दो चरणों में इन जिलों में वोटिंग प्रतिशत ज्यादा रहा, वैसा ही तीसरे चरण में भी देखने को मिलता है या नहीं.

तीसरे फेज में 25% सीटों पर SC-ST का प्रभाव

तीसरे चरण के चुनाव में जिन 59 सीटों पर मतदान होना है, उसमें से 15 सीटें अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए रिजर्व हैं. ये तीसरे फेज की कुल सीटों का 25% है. सीटों के नाम हाथरस, टूंडला, जलेसर, किशनी, कायमगंज, कन्नौज, भरथना, औरैया, रसूलाबाद, बिल्हौर, घाटमपुर, उरई, मऊरानीपुर, महरौनी, राठ है. कुल 44 जनरल सीट है.

उत्तर प्रदेश में औसत 20% एससी-एसटी आबादी है. जिन 16 राज्यों में चुनाव हो रहा है, उनमें से 9 जिले ऐसे हैं जहां पर औसत 25% एससी-एसटी आबादी है.
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अखिलेश-शिवपाल और असीम अरुण जैसे बड़े नाम

तीसरे चरण के चुनाव में सबसे बड़ा नाम अखिलेश यादव का है. वे मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके चाचा शिवपाल यादव इटावा के जसवंतनगर सीट से मैदान में हैं.

कन्नौज सुरक्षित सीट से आईपीएस की नौकरी छोड़कर बीजेपी में आए बीजेपी उम्मीदवार असीम अरुण हैं. मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव 2017 में एसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन अबकी बार सिरसागंज से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. कानपुर के किदवई नगर से कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय कपूर और सीसामऊ से हाजी इरफान सोलंकी मैदान में हैं. योगी सरकार के मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री मैनपुरी की भोगांव विधानसभा सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.

हाथरस-खुशी दुबे-इत्र कारोबारी मुद्दों का प्रभाव

उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण में जिन जिन जिलों में चुनाव है, उनके हाथरस, कानपुर और कन्नौज आता है. ये तीनों जिले काफी सुर्खियों में रहे हैं. समझते हैं कि तीनों मुद्दों का क्या असर पड़ सकता है.

  • 14 सितंबर 2020 को हाथरस जिले में 19 साल की लड़की के साथ बलात्कार कर हत्या का मामला सामने आया था. आरोप लगा कि प्रशासन ने मामले को दबाने की कोशिश की. परिवार की इजाजत के बिना ही मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया. ऐसे में प्रशासन और सत्ता के प्रति स्थानीय लोगों में गुस्सा दिखा. ये सुरक्षित सीट है. यहां 25% से ज्यादा आबादी एससी है. ऐसे में बीजेपी को मुश्किल का सामने करना पड़ सकता है.

  • बिकरू कांड भला कौन भूल सकता है. कानपुर में ही पूरी वारदात हुई, जिसके बाद विकास दुबे और उसके शॉर्प शूटर अमर दुबे का एनकाउंट हुआ. अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे जेल में है. कांग्रेस ने खुशी दुबे की बहन को टिकट दिया है. वहीं बीएसपी लगातार कहती आ रही है कि ब्राह्राण होने की वजह से खुशी दुबे को जेल में बंद किया गया है. यानी पूरा खेल ब्राह्मण वोटर को अपनी तरफ खींचने का है. इसमें कांग्रेस और बीएसपी को कुछ न कुछ फायदा मिल सकता है.

  • कन्नौज में इत्र कारोबारी के घर छापे के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई थी. एसपी और बीजेपी एक दूसरे पर बयानों के वार-पलटवार कर रहे थे. पीयूष जैन के कानपुर और कन्नौज के घर में कई दिनों की छापेमारी के बाद 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी मिली थी. दोनों पार्टियां एक दूसरे को चोर बताने में जुटी थी. वहीं अखिलेश ने कहा था कि बीजेपी कन्नौज को बदमान कर रही है.

अब तीसरे चरण के दागियों की भी बात कर लेते हैं. 623 में से 135 (22%) उम्मीदवार दागी हैं. सबसे ज्यादा एसपी ने 52%, बीजेपी ने 46%, बीएसपी ने 39% और कांग्रेस ने 36% दागियों को टिकट दिया है.

यूपी: तीसरे चरण में दागी उम्मीदवार

ग्राफिक्स- मोहन सिंह

करोड़पति उम्मीदवारों की बात करें तो 623 में से 245 (39%) उम्मीदवार करोड़पति हैं. एसपी के करीब 90% उम्मीदवार करोड़पति हैं.

यूपी: तीसरे चरण में करोड़पति उम्मीदवार

ग्राफिक्स- मोहन सिंह

तीसरे चरण में सबसे अमीर उम्मीदवार देखें तो पहले नंबर पर एसपी के यशपाल सिंह यादव हैं. झांसी से हैं. 70 करोड़ रुपए की संपत्ति है. दूसरे और तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अजय कपूर और प्रमोद कुमार हैं. उनके पास 69 करोड़ और 45 करोड़ रुपए की की संपत्ति है.

यूपी: तीसरे चरण में महिला उम्मीदवार

ग्राफिक्स- मोहन सिंह

तीसरे चरण के मतदान में कुल 21575430 वोटर हैं. कहने को तो यादवलैंड में चुनाव है, लेकिन साल 2017 में एसपी इस क्षेत्र में ज्यादा कमाल नहीं कर पाई थी. हालांकि मोदी लहर से पहले 60% पर जीत हासिल की थी. ऐसे में अबकी बार चुनाव दिलचस्प होगा. क्योंकि अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल मैदान में हैं. वहीं बीजेपी 2017 और 2019 के सोशल इंजीनियरिंग वाले फॉर्मूले पर कायम है. 20 फरवरी को जनता अपना फैसला सुना देगी.

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Published: 17 Feb 2022,06:41 PM IST

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