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उत्तराखंड: BJP को बड़ा झटका, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने थामा कांग्रेस का हाथ

पिछले चुनाव के दौरान कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे यशपाल आर्य

क्विंट हिंदी
उत्तराखंड चुनाव
Updated:
<div class="paragraphs"><p>यशपाल आर्य और उनके बेटे राहुल गांधी के साथ</p></div>
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यशपाल आर्य और उनके बेटे राहुल गांधी के साथ

फोटो- कांग्रेस

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उत्तराखंड में चुनाव (Uttarakhand Election 2022) नजदीक आते ही दल बदलू नेताओं ने फिर से करवट लेनी शुरू कर दी है. अब कांग्रेस से बीजेपी में गए नेता यशपाल आर्य ने एक बार फिर से घर वापसी का मन बनाया है. यशपाल आर्य (Yashpal Arya) और उनके बेटे संजीव आर्य कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. उत्तराखंड चुनाव से ठीक पहले ये बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. क्योंकि यशपाल आर्य बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, जबकि उनके बेटे संजीव आर्य विधायक हैं.

बता दें कि यशपाल आर्य उन्हीं कांग्रेसी नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने पिछले चुनाव के दौरान पार्टी का साथ छोड़ दिया था. उनके साथ कांग्रेस छोड़ने वालों में सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत जैसे नेता भी शामिल थे.

बीजेपी के खिलाफ माहौल

उत्तराखंड में बीजेपी सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है और बुरी तरह नाकाम रही है. यही कारण है कि पार्टी को पांच साल में तीन मुख्यमंत्री जनता के सामने लाने पड़े.

चुनाव से ठीक 8 महीने पहले ही मुख्यमंत्री बदल दिया गया. बीजेपी को लगता है कि ऐसा करके वो राज्य में एंटी इनकंबेंसी को कुछ हद तक कम कर सकती है. क्योंकि राज्य का अब तक का ये रिकॉर्ड रहा है कि हर बार सत्ता बदल दी जाती है, तो ऐसे में यशपाल आर्य जैसे नेता चुनाव से पहले ही घर वापसी का फैसला ले रहे हैं.
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बागियों को साधने की कोशिश

जब साल 2017 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के तमाम बड़े नेता बीजेपी में शामिल हुए तो ये बीजेपी के लिए किसी तोहफे से कम नहीं था. सभी नेताओं का वोट बैंक सीधे बीजेपी की तरफ ट्रांसफर हो गया और चुनावों में पार्टी ने भारी बहुमत से जीत हासिल की. लेकिन बागी नेता बीजेपी में असहज महसूस करने लगे. कांग्रेस के बीजेपी में गए इन नेताओं को लेकर लगातार ऐसी खबरें सामने आती रहीं. सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत भी उन्हीं में से एक थे.

बताया गया कि 4 साल मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने में इन बागियों की अहम भूमिका रही. उनका कहना था कि अफसरशाही राज्य में हावी हो गई है और अधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं. इसके बाद आखिरकार मुख्यमंत्री बदला गया. गौर करने वाली बात ये रही कि हर बार कांग्रेस से आए इन नेताओं को साधने की कोशिश हुई. उन्हें मलाईदार मंत्रालय सौंपकर शांत कराया गया. यशपाल आर्य भी परिवहन मंत्रालय के अलावा कई और अहम मंत्रालय संभाल रहे थे.

चुनाव से पहले लग सकते हैं कई झटके

अब चुनाव होने में अभी करीब 4 महीने का समय बाकी है. इस बीच बीजेपी को और कुछ झटके लग सकते हैं. कांग्रेस में हरीश रावत के अलावा कोई बड़ा नाम नहीं होने के चलते पार्टी की स्थिति पिछले काफी समय से खराब चल रही है.

लेकिन अगर यशपाल आर्य की तरह कुछ और नेता कांग्रेस में वापसी करते हैं तो जो अभी 50-50 का मामला दिख रहा है, उसकी बाजी पलट सकती है. आर्य के अलावा दिग्गज नेता हरक सिंह रावत भी बीजेपी में असहज महसूस कर रहे हैं. कई बार वो अपना गुस्सा भी जाहिर कर चुके हैं. यहां तक कि हरक सिंह रावत ने चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान भी कर दिया. जिसे बीजेपी पर दबाव बनाने की एक कोशिश बताया गया. इसीलिए अटकलें ये भी हैं कि हरक सिंह रावत की भी घर वापसी हो सकती है.

अगर कुछ और बागी नेताओं की कांग्रेस में वापसी होती है तो पुष्कर सिंह धामी सरकार के लिए ये सिर मुंडवाते ही ओले पड़ने जैसा होगा. क्योंकि धामी को केंद्रीय नेतृत्व ने इसी उम्मीद में कुर्सी थमाई है कि वो जनता की नाराजगी को थोड़ा कम कर पार्टी की नैय्या पार लगा दें.

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Published: 11 Oct 2021,03:52 PM IST

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