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देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) में चुनाव से ठीक पहले लगातार सांप्रदायिकता की चिंगारी को सुलगाया जा रहा है. फिर चाहे वो टिहरी झील के नजदीक बनी मस्जिद को हटाए जाने का मामला हो या फिर रुड़की में धर्मांतरण के शक में चर्च पर किया गया हमला... पिछले कुछ महीनों से शांति और सद्भाव के लिए मशहूर इस राज्य में यही सब हो रहा है. लेकिन अब सत्ता में काबिज बीजेपी सरकार उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून लाने जा रही है.
उत्तराखंड पुलिस की तरफ से सामूहिक धर्मांतरण को लेकर एक प्रस्ताव भेजा गया है. जिसमें इसके खिलाफ सख्त कानून बनाने की बात कही गई है. पुलिस की तरफ से गए इस प्रस्ताव में सामूहिक धर्मांतरण पर 10 साल तक की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है.
लेकिन ये प्रस्ताव पुलिस ने खुद अपनी मर्जी से नहीं दिया है. क्योंकि उत्तराखंड सरकार खुद ऐसे किसी कानून पर विचार कर रही थी.
यहां तक कि मुख्यमंत्री धामी ने मीडिया से बातचीत करते हुए खुद भी ये साफ किया कि 2018 में बने कानून में संशोधन कर लव जिहाद जैसे मामलों के लिए सख्त से सख्त कानून बनाया जाएगा.
अब पिछले कुछ हफ्तों में हुई उन बड़ी घटनाओं पर नजर डालते हैं, जिनमें सांप्रदायिकता को बढ़ाने की कोशिश हुई और साथ ही ये भी जानते हैं कि इससे किसे सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है.
उत्तराखंड के टिहरी डैम के नजदीक एक मस्जिद का निर्माण किया गया था. जिसे लेकर हिंदू संगठन लगातार पिछले कई सालों से विरोध कर रहे थे, इस मस्जिद को हटाने की लगातार मांग की जा रही थी. पुष्कर धामी के सत्ता में आने के बाद इस मस्जिद को हटाने के निर्देश जारी कर दिए गए. बताया गया कि आपसी बातचीत के बाद मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट करने पर सहमति बनी है.
इसके बाद दूसरी घटना उत्तराखंड के रुड़की में हुई. जहां 250 लोगों ने एक चर्च पर हमला बोल दिया. जिनमें बीजेपी युवा मोर्चा और महिला विंग के कई लोग शामिल थे. चर्च पर भी धर्मांतरण करने के आरोप लगाए गए थे. जिसके बाद सुबह प्रार्थना के दौरान इन लोगों ने चर्च पर धावा बोल दिया. इस हमले में कई लोग घायल भी हुए. पुलिस ने 250 लोगों के खिलाफ मामला तो दर्ज किया, लेकिन कुछ खास कार्रवाई नहीं हुई. इस दौरान बच्चों और बुजुर्गों के साथ भी मारपीट के आरोप लगे.
यूपी और मध्य प्रदेश जैसे बीजेपी शासित राज्यों में लव जिहाद को भुनाने की लगातार कोशिश हो रही है, इसीलिए अब उत्तराखंड की बीजेपी सरकार भी चुनाव नजदीक आते देख इस मामले को लेकर एक्टिव हो चुकी है. ये संभव है कि चुनाव से ठीक पहले धर्मांतरण को लेकर कोई सख्त कानून लाया जाए. बता दें कि उत्तराखंड में 5 साल में धामी तीसरे मुख्यमंत्री हैं, बीजेपी राज्य में एंटी इनकंबेंसी झेल रही है, ऐसे में चुनाव से ठीक पहले लोगों की सहानुभूति के लिए उत्तराखंड सरकार हर मुमकिन कोशिश करेगी.
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