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आमतौर पर राजनीति में, एक बड़े जनाधार वाले नेता को किसी पार्टी के लिए एक संपत्ति माना जाता है. लेकिन उत्तराखंड में चुनाव (Uttarakhand Election) से ठीक पहले इसके उल्टा असर दिखाई दे रहा है- ठाकुर नेता हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) के मामले में. युवा पुष्कर सिंह धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से हटाए जाने के 72 घंटे से अधिक समय बाद हरक सिंह राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं. लेकिन कांग्रेस हाईकमान की ‘ना’ या हां की हरी झंडी का इंतजार है, तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा, वे जरूर शामिल होंगे.
उलट पलट की राजनीति के प्रतीक माने जाने वाले बीजेपी से निष्कासित हरक सिंह के मुद्दे पर सोनिया-राहुल ने बुधवार, 19 जनवरी को भी मुलाकात नहीं की, लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा, हाईकमान टिकट बंटवारे में व्यस्त है. लिहाजा अब गुरुवार को वे पार्टी में शामिल होंगे, जबकि हरीश रावत का खेमा हरक सिंह रावत को पार्टी मे शामिल न करने का दवाब बना रहा है. ऐसे में एक कद्दावर ठाकुर नेता के राजनीति भविष्य का सूर्य अस्त की ओर इशारा कर रहा है.
सूत्रों का कहना है कि 16 जनवरी के बाद से पार्टी नेतृत्व हरक की वापसी के बाद होने वाले नफा नुकसान का भी आंकलन करने में जुटी हुई है. बागी हरक की वापसी पर हरीश गुट की नाराजगी भी चुनाव में नुकसान का सबब बनने की भी आशंका जताई जा रही थी. तो वहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीते तीन दिन से हरक सिंह के भाजपाई कार्यकाल से जुड़े मामले भी दस जनपथ पहुंचाए जा रहे थे.
इस मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल व नेता प्रीतम सिंह एक साथ थे. दोनों ही लंबे समय से हरक की पार्टी में वापसी को लेकर अपनी मुहिम में जुटे हुए थे.
बुधवार को भी दिन भर हरक के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर खबरें जोरों पर थी. लेकिन हाईकमान से कोई फोन नहीं आने पर शामिल होने का मामला लटक गया. बुधवार की शाम कांग्रेसी सूत्रों से हरक को शामिल नहीं किये जाने की बात उठी, जबकि गोदियाल ने इस खबर को गलत करार देते हुए कहा कि जल्द ही हरक सिंह को पार्टी में शामिल कर लिया जाएगा.
(इनपुट- मधुसूदन जोशी)
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