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‘गर्ल नेक्सट डोर’ यानी ‘पड़ोस की लड़की’ वाली छवि लेकर अभिनेत्रियां तो हिंदी सिनेमा में कई आईं लेकिन ‘बॉय नेक्सट डोर’ यानी ‘पड़ोस का लड़का’ हमारे हीरो की छवि से मेल नहीं खाता. सालों पहले, सत्तर के दशक में इस परिभाषा पर खरे उतरते थे अमोल पालेकर और आज के दौर में सिल्वर स्क्रीन पर आयुष्मान खुराना को देखकर लगता है- अरे, ये तो पड़ोस के शर्मा जी के लड़के जैसा है.
‘विक्की डोनर’, ‘बरेली की बर्फी’, ‘दम लगा के हईशा’, ‘बधाई हो’ और ‘अंधाधुन’ जैसी फिल्मों की कड़ी में आयुष्मान की अगली पेशकश है- ड्रीम गर्ल
ह्रतिक रोशन, सलमान खान, अक्षय कुमार, रणवीर सिंह जैसे माचो छवि वाले स्टार्स की फौज में मिडिल क्लास परिवार की छवि लिए ये चुलबुला सा लड़का अपने हर किरदार में दर्शकों को भीतर तक गुदगुदा देता है. कुछ वैसे ही जैसे सत्तर के दशक में अमोल पालेकर करते थे.
अमोल पालेकर की जो जोड़ी उस दौर के बेहतरीन एक्टर उत्पल दत्त के साथ जमाई आयुष्मान वो जुगलबंदी अन्नू कपूर के साथ दिखाते नजर आते हैं.
आयुष्मान के फिल्मों को देखें तो हर किरदार कुछ हटके के है, 2012 आयुष्मान की पहली फिल्म आई थी ‘विक्की डोनर’. इस फिल्म में आयुष्मान ने एक ऐसे नौजवान का किरदार निभाया था, जो स्पर्म डोनर है. एक बोल्ड और सेंसटिव सब्जेक्ट पर बनी इस फिल्म को बेहद कॉमिक अंदाज में पेश किया गया था, पंजाबी मुंडे के किरदार में आयुष्मान और उनके डॉक्टर अनु कपूर की जुगलबंदी देखकर लोग हंसते-हंसते लोट-पोट हो गए.
‘दम लगा के हईशा’ एक साधारण से परिवार की बेहद आम सी कहानी थी. आयुष्मान खुराना इस फिल्म में प्रेम नाम के एक नौजवान लड़के के किरदार में थे, जिसकी शादी एक ऐसी लड़की से हो जाती है, जो बहुत मोटी है. फिल्म की कहानी 90 के दशक की थी, जब कुमार सानू के गाने गली-गली गूंजा करते थे. एक मिडिल क्लास के आम लड़के का किरदार आयुष्मान ने बखूबी निभाया, जो अपनी पत्नी के मोटापे को लेकर दोस्तों के बीच खुद को शर्मिंदा महसूस करता है.
बरेली की बर्फी की कहानी वाकई दिलों में मिठास घोल देती है. इस फिल्म में आयुष्मान चिराग नाम के एक लड़के के किरदार में हैं, जो एक प्रीटिंग प्रेस का मालिक है. फिल्म में राजकुमार राव भी अहम किरदार में हैं. सीधी-सादी, आसान सी कहानी के साथ जबरदस्त परफॉरमेंस और कड़क डायलॉग डिलीवरी फैंस का दिल जीत लेगी.
फिल्म ‘बधाई हो’ में आयुष्मान ने एक ऐसे नौजवान लड़के का किरदार निभाया है, जिसकी मां अधेड़ उम्र में गर्भवती हो जाती है. फिल्म की कहानी दिल्ली के एक मिडिल क्लास फेमिली की है, एक आम सी कहानी को इतने बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है कि दर्शक थियेटर में हंसते-हंसते लोट-पोट हो गए.
‘अंधाधुन’ आयुष्मान को वो फिल्म है, जिसने उनको नेशनल अवॉर्ड दिला दिया. इस फिल्म में आयुष्मान एक पियानो प्लेयर के किरदार में हैं. जो अंधे होने की एक्टिंग करता है और उसकी आंखों के सामने एक मर्डर हो जाता है.
फिल्म में बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं. एक मिनट में आप जो सोच रहे होते ठीक उसका उल्टा हो जाता है, थ्रिल और सस्पेंस से भरपूर ने भारत ही नहीं, बल्कि चीन में भी बंपर कमाई का रिकॉर्ड बनाया.
इस पूरी फेहहरिस्ट में आर्टिकल 15 जैसी फिल्म भी है जो आयुष्मान की अभिनय क्षमता का एक और रंग दिखाती है. ऐसे रोल उन्हें अमोल पालेकर से एक कदम आगे ले जाकर खड़ा कर देते हैं.
इस साल रिलीज हुई आर्टिकल 15 में आयुष्मान पहली बार वर्दी पहने नजर आए. फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है कि आईपीएस अयान रंजन यानी आयुष्मान खुराना सेंट स्टीफन से पढ़ाई करके भारत आते हैं. विदेश से लौटने के बाद अपने आस-पास की चीजों को देखकर वो परेशान हो जाते हैं. उनकी ऐसे लोगों से मुलाकात होती हैं, जिनकी पहचान उनकी जाति से होती है और उनकी पूरी दुनिया इसी नजरिए से सोचती है. एक सच्चे और ईमानदार पुलिस अफसर के रोल में आयुष्मान खुराना ने कमाल का काम किया है.
इन तमाम भूमिकाओं और भविष्य की संभावनाों को देखते हुए यही कहने को मन करता है- आयुष्मान भव!!
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