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2018 में कई ऐसी फिल्में रिलीज हुईं, जिसने दर्शकों को बेहद निराश किया. बड़े-बड़े स्टार और भारी भरकम बजट के बावजूद ये फिल्में फ्लॉप हुईं. सबसे ज्यादा निराश तो बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने किया जिनकी फिल्म ठग्स ऑफ हिंदोस्तान ने लोगों को ऐसा ठगा कि जिसकी उन्होंने कभी उम्मीद भी नहीं की होगी. 2018 में कुछ ऐसी ही फिल्में आईं, जिसे देखकर आपके सिर में हो जाएगा दर्द.
अमिताभ बच्चन और आमिर खान को पहली बार स्क्रीन पर एक साथ देखने के लिए दर्शकों ने एडवांस बुकिंग कराई, टिकट के लिए लंबी लाइनों की प्रताड़ना सही, ऑनलाइन बुकिंग की मारा मारी और न जाने क्या-क्या सहा. लेकिन जैसे की दर्शक थिएटर पहुंचे उनके सारे अरमानों पर पानी फिर गया. इस फिल्म ने दर्शकों को ही नहीं बल्कि सिनेमा हॉल के मालिकों को भी ठग लिया. बड़े-बड़े सितारों के बावजूद कमजोर स्क्रिप्ट, और खराब स्क्रीन प्ले फिल्म को डूूबने से बचा नहीं पाई.
300 करोड़ रुपये के बजट में बनी यशराज फिल्म्स की मल्टी-स्टारर फिल्म 'ठग्स ऑफ हिंदोस्तान' बॉलीवुड की अब तक की सबसे महंगी फिल्म है. रिलीज के पहले ही दिन फिल्म में 52 करोड़ का कारोबार कर ओपनिंग डे का रिकॉर्ड अपने नाम किया. दिवाली की छुट्टियों के दौरान भी अच्छी कमाई हुई. लेकिन उसके बाद से फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर दम तोड़ दिया.
कहते हैं जब सलमान खान के स्टारडम का जादू चलता है तो फिल्में चलने नहीं, बल्कि दौड़ने लगती हैं. लेकिन इस साल सलमान खान की फिल्म रेस-3 ने दर्शकों को इतना गहरा सदमा दिया कि शायद ही लोग बिना सोचे समझे थिएटर पहुंच पाएं. रेमो डिसूजा की डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में मल्टीस्टार तो थे, लेकिन बोरिंग डायलॉग, खराब एक्टिंग और बेकार फिल्म प्लॉट दर्शकों को अपनी तरफ नहीं खींच सका. ये फिल्म एक क्लासिक उदाहरण है कि किस तरह से एक्शन थ्रिलर और महंगी कारों पर पैसा बहाया गया है. स्टार्स के एक्शन स्लो मोशन में दिखाए गए फिर भी दर्शकों के हाथ कुछ नहीं आया.
चमकदार कारें, बॉबी देओल का करियर, अनिल कपूर की सफेद दाढ़ी, जैकलिन की सेक्सी टांग, डेजी शाह की हाई हील, साकिब सलीम का ब्लैंक लुक और सलमान खान के लिखे गए बेतुके गाने भी ‘रेस 3’ की नैया डूबने से नहीं बचा पाए. सलमान के नाम पर फिल्म भले ही चाहे 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो गई हो, लेकिन स्टोरी के नाम दर्शक सलमान की फिल्म से तौबा करते नजर आए.
शाहिद कपूर , श्रद्धा कपूर, यामी गौतम की फिल्म 'बत्ती गुल मीटर चालू' में सिर्फ बत्ती ही नहीं, बल्कि बहुत कुछ गुम था. भ्रष्टाचार पर आधारित इस फिल्म में सेंस से लेकर एंटरटेनमेंट तक सब गुल नजर आया. फिल्म मेकर ने भारत के छोटे-छोटे कस्बों से जुड़ी बिजली की समस्या और भारी भरकम बिल के गंभीर मुद्दे को तो सटीक तरीके से उठाया, लेकिन फिल्म की ढीली ढाली कहानी ने दर्शकों का जायका खराब कर दिया.
डायरेक्टर ने फिल्म में बॉलीवुड मसाले का पूरा इस्तेमाल किया गया, लेकिन खराब एडिटिंग और डायरेक्शन ने शाहिद की परफॉर्मेंस को भी फीका कर दिया. तीन घंटे की इस लंबी फिल्म में प्लॉट को इतनी बुरी तरह खींचा गया कि दर्शक सिर्फ इंटरवल और फिल्म के खत्म होने का इंतजार करते रहे.
साल के आखिर में ये फिल्म भी देखनी बाकी थी. जी नहीं ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि ‘नमस्ते इंग्लैंड’ देखकर थिएटर से बाहर निकलते दर्शक कह रहे हैं. कोई फिल्म क्यों बनती है और अगर बन गई तो क्यों देखी जाए इन दोनों सवालों पर डायरेक्टर विपुल शाह की ये फिल्म सवाल उठाती है. विपुल ने नए जमाने से ताल में ताल मिलाकर मिलाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन कमजोर कहानी, खराब एडिटिंग, ढीली एक्टिंग ने सिनेमा हॉल में दम तोड़ दिया.
कम शब्दों में कहा जाए तो फिल्म नमस्ते इंग्लैंड का मतलब लॉजिक को बाय बाय और अच्छे सिनेमा के लिए RIP.
फिल्म ‘ताल’ के बाद दर्शक बेताबी से अनिल कपूर और एेश्वर्या रॉय को पर्दे पर देखने के लिए बेताब थे. लेकिन फिल्म देखने के बाद लोगों का रिएक्शन कुछ ऐसा था कि भगवान ऐसी जोड़ी दोबारा न बनाए. फन्ने खां एक ऑस्कर अवार्ड नॉमिनेटेड फिल्म की ऑफिसियल रrमेक है. लेकिन हर लिहाज से खराब फिल्म साबित हुई.
बेहद सुपरफिशियल किरदार, बकवास स्क्रीनप्ले जिसमें 'कुछ भी' हो रहा है, फिल्म की डिक्शनरी में से लॉजिक शब्द तो जैसे गायब ही हो गया है. प्लाट में दम होने के बावजूद इस फिल्म की राइटिंग इतनी बोरिंग है कि बता पाना और समझा पाना बेहद मुश्किल है.
सलमान ‘रेस’ हारे, आमिर ने ‘ठगा’, अब शाहरुख के ‘जीरो’ का क्या होगा
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